जलवायु

बाढ़-तूफान की वजह से हो सकती हैं दिमागी बीमारियां: स्टडी

एक नए शोध के अनुसार जिन लोगों के घरों को तूफान या बाढ़ से नुकसान होता है, उनको दिमागी बीमारियां होने की आशंका रहती है। ऐसे लोगों में अवसाद और घबराहट होने की दिक्कत अधिक होती है।

Dayanidhi

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ एनवायर्नमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक नए शोध के अनुसार जिन लोगों के घरों को तूफान या बाढ़ से नुकसान होता है, उनको दिमागी बीमारियां होने की आशंका रहती है। ऐसे लोगों में अवसाद और घबराहट होने की दिक्कत अधिक होती है।

यॉर्क यूनिवर्सिटी और नेशनल सेंटर फॉर सोशल रिसर्च के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में पाया कि मौसम से हुए नुकसान का मानसिक स्वास्थ्य पर उसी तरह से प्रभाव पड़ता है, जैसे अशांत क्षेत्र (डिस्टर्बड एरिया) में रहने वाले लोगों का मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता होता है।

अध्ययन से पता चलता है कि जिन लोगों के घर मौसम के कारण क्षतिग्रस्त हो जाते है, वे मानसिक रुप से अपने आपको अस्वस्थ महसूस करते हैं, चाहे नुकसान मामूली ही क्यों न हो।

वैज्ञानिकों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से दुनिया में तूफान और बाढ़ की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि होने की संभावना है। शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि मौसम की चरम घटनाओं से प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता दी जानी चाहिए, ताकि उनका मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहे। 

शोधकर्ताओं ने एक राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों का विश्लेषण किया, जिसे एडल्ट साइकियाट्रिक मॉर्बिडिटी सर्वे (एपीएमएस) कहा जाता है। एपीएमएस इंग्लैंड में रहने वाले लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी का प्राथमिक स्रोत है और लक्षण के आधार पर मानसिक विकारों का आकलन करता है।

मानसिक स्वास्थ्य पर मौसम की चरम घटनाओं का प्रभाव जानने के लिए, ब्रिटेन में 2014 में एक सर्वेक्षण किया गया था। इसमें ऐसे सवालों को भी शामिल किया गया था, जिसमें प्रतिभागियों से पूछा गया था कि क्या उनका घर साक्षात्कार से छह महीने पहले हवा, बारिश, बर्फ या बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुआ था? - यह अवधि दिसंबर 2013 से मार्च 2014 तक की थी, जिसमें यहां सर्दियों के गंभीर तूफान देखे गए थे और ब्रिटेन में विनाशकारी बाढ़ आई थी। 

खराब मानसिक स्वास्थ्य की आशंका को बढ़ाने के लिए जाने, जाने वाले अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए - जैसे कि सामाजिक नुकसान, ऋण और खराब शारीरिक स्वास्थ्य - शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों के घरों में तूफान और बाढ़ से नुकसान हुआ था, उनमें 50% से अधिक लोग खराब मानसिक स्वास्थ्य का अनुभव कर रहे थे।

प्रमुख अध्ययनकर्ता यॉर्क विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य विज्ञान विभाग के प्रोफेसर हिलेरी ग्राहम ने कहा: "यह अध्ययन दर्शाता है कि मौसम की चरम या मध्यम घटनाओं के संपर्क में आने से मानसिक स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव पड़ सकते हैं।

बाढं और तूफानों से घरों और व्यवसायों को होने वाली क्षति के साथ-साथ लोगों के जीवन पर बड़े प्रभाव पड़ते है। लोगों में सुरक्षा की भावना की कमी और भावनात्मक क्षति भी होती है।

प्रोफेसर ग्राहम कहते है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ती मौसम की चरम घटनाओं के साथ, पर्यावरण और स्वास्थ्य नीतियों को और अधिक प्रबल बनाने की आवश्यकता है। इसका अर्थ यह है कि यदि बाढ़ सुरक्षा नीतियां प्रबल होंगी तो बाढं से स्वास्थ्य की सुरक्षा भी होगी। बाढ़ से समुदायों की बेहतर रक्षा के साथ-साथ उनके मानसिक स्वास्थ्य की भी रक्षा आवश्यक है। 

शोधकर्ता कहते है कि लोगों पर बाढ़ का प्रभाव विनाशकारी होता है, और बाढ़ के पानी के चले जाने के बाद भी यह प्रभाव लंबे समय तक बना रह सकता है। यह शोध बताता है कि बाढ़ के परिणामों का मानसिक स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव कैसे पड़ सकते है।