जलवायु

बढ़ते तापमान के कारण बढ़ रही हैं भीषण बारिश की घटनाएं: रिपोर्ट

अध्ययन में इस बात की पुष्टि की गई है कि भारी बारिश की तीव्रता और आवृत्ति ग्लोबल वार्मिंग के हर डिग्री के वृद्धि के साथ तेजी से बढ़ रही है

Dayanidhi

एक नए अध्ययन के अनुसार, अत्याधुनिक जलवायु मॉडल इस बात का सही से पता नहीं लगा सकते हैं कि, बढ़ते तापमान के कारण चरम बारिश की घटनाएं कितनी बढ़ सकती हैं। जिसके कारण भविष्य में और अधिक विनाशकारी बाढ़ की घटनाएं बढ़ सकती हैं। अध्ययन में कहा गया है कि, इस तरह की घटनाएं तब तक जारी रहेंगी जब तक कि लोग ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर अंकुश नहीं लगाते।

इस सप्ताह के अंत में दुबई में शुरू होने वाले कॉप 28 शिखर सम्मेलन में की तैयारी की जा रही है। यह पहला ग्लोबल स्टॉकटेक (जीएसटी) पेरिस समझौते को अपनाने के बाद से हुई प्रगति का व्यापक मूल्यांकन प्रदान करेगा। इससे जलवायु कार्रवाई पर प्रयासों को संरेखित करने में मदद मिलेगी, जिसमें प्रगति में कमी को दूर करने के लिए आवश्यक उपाय भी शामिल होंगे।

इस डर के बीच कि लंबे समय तक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना जल्द ही असंभव हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मानवजनित जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों को रोकने के लिए यह आवश्यक है।

पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च (पीआईके) के शोधकर्ताओं ने अपने वैश्विक आकलन में संयुक्त राष्ट्र निकाय द्वारा उपयोग किए जाने वाले 21 "अगली पीढ़ी" जलवायु मॉडल में भूमि पर दैनिक वर्षा की तीव्रता और आवृत्ति का पता लगाया है।

फिर उन्होंने मॉडलों द्वारा अनुमानित बदलावों की तुलना ऐतिहासिक रूप से देखे गए परिवर्तनों से की, जिससे पता चला कि लगभग सभी जलवायु मॉडलों ने वैश्विक तापमान वृद्धि के साथ बारिश की चरम सीमा में वृद्धि की दर को काफी कम करके आंका है।

जर्नल ऑफ क्लाइमेट में प्रकाशित शोध के मुख्य शोधकर्ता मैक्स कोट्ज ने कहा, यह अध्ययन इस बात की पुष्टि करता है कि भारी बारिश की तीव्रता और आवृत्ति ग्लोबल वार्मिंग में हर डिग्री के वृद्धि के साथ तेजी से बढ़ रही है।

परिवर्तन भौतिकी में क्लॉसियस-क्लैपेरॉन संबंध के साथ ट्रैक करते हैं, जिसने स्थापित किया कि गर्म हवा में अधिक जल वाष्प होता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह खोज इस तथ्य को उजागर करती है कि,चरम बारिश की घटनाओं में वैश्विक परिवर्तन में हवा नहीं बल्कि तापमान हावी होता है।

यहां बताते चलें कि, क्लॉसियस-क्लैपेरॉन संबंध, एक ही पदार्थ के दो चरणों के बीच तापमान की निर्भरता से संबंधित है, इसमें सबसे महत्वपूर्ण वह है जो वाष्प दबाव को उजागर करता है।

अध्ययन के अनुसार, दक्षिण पूर्व एशिया या उत्तरी कनाडा जैसे उष्णकटिबंधीय और उच्च अक्षांशों में चरम बारिश की तीव्रता और आवृत्ति में भारी वृद्धि पाई गई।

सह-शोधकर्ता एंडर्स लीवरमैन ने कहा, चरम बारिश की घटनाएं और अधिक बार होगी। समाज को इसके लिए तैयार रहने की जरूरत है। अच्छी खबर यह है कि इससे अत्यधिक वर्षा के भविष्य की भविष्यवाणी करना आसान हो जाता है। बुरी खबर यह है अगर हम ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करके वैश्विक तापमान को बढ़ाते रहे तो यह और भी बदतर हो जाएगा।