जलवायु

20 से 30 सालों में टिपिंग प्वाइंट तक पहुंच जाएगा पृथ्वी का तापमान: अध्ययन

यह वैश्विक स्तर पर लिए गए आंकड़ों के आधार पर प्रकाश संश्लेषण के लिए तापमान की सीमा का पता लगाने वाला पहला अध्ययन है

Dayanidhi

न्यूजीलैंड के वाइकाटो विश्वविद्यालय  के वुडवेल क्लाइमेट रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन के अनुसार, पौधों के द्वारा मानव-निर्मित कार्बन उत्सर्जन को अवशोषित करने की क्षमता को अगले दो दशकों के भीतर तापमान की वर्तमान दर आधा कर देगी।

दुनिया भर में माप टावरों के दो दशकों से अधिक के आंकड़ों का उपयोग करते हुए, टीम ने एक महत्वपूर्ण तापमान टिपिंग पॉइंट की पहचान की, जिसके आगे पौधों की वायुमंडलीय कार्बन अवशोषित करने और स्टोर करने की क्षमता का प्रभाव जिसे "लैंड कार्बन सिंक"  कहा जाता है, तापमान बढ़ने के साथ-साथ कम होता है। टिपिंग प्वाइंट्स ऐसी सीमा है, जिसके पार  होने पर धरती में बड़े परिवर्तन हो सकते हैं, जो खतरे का संकेत है।  

स्थलीय जीवमंडल, भूमि पौधों और मिट्टी के सूक्ष्म जीवों की गतिविधि  तथा पृथ्वी में कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन का आदान-प्रदान करती है। दुनिया भर में पारिस्थितिकी तंत्र प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और सूक्ष्म जीव और पौधों की श्वसन के माध्यम से इसे वापस वायुमंडल में छोड़ देते हैं। पिछले कुछ दशकों में, जैवमंडल ने आम तौर पर जलवायु परिवर्तन को कम करते हुए अधिक कार्बन को अवशोषित किया है।

लेकिन जैसे-जैसे दुनिया भर में रिकॉर्ड-तोड़ तापमान बढ रहा है, हो सकता है यह लगातार न बना रहे। वुडवेल क्लाइमेट और वाइकाटो के शोधकर्ताओं ने एक तापमान सीमा का पता लगाया है, जिसमें भविष्य में पौधों के कार्बन अवशोषित करने की दर कम और कार्बन छोड़ने की दर तेज होगी।

पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता कथर्न डफी ने पानी और धूप जैसे अन्य प्रभावों को दूर करने के बाद भी दुनिया भर में लगभग हर बायोम में इस तापमान सीमा से ऊपर प्रकाश संश्लेषण में तेज गिरावट देखी। वनस्पतियों और जीवों के एक बड़े प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले समुदाय का एक प्रमुख निवास स्थान को बायोम कहते हैं। यह अध्ययन साइंस एडवांसेज में प्रकाशित हुआ है।

डफी ने कहा मानव शरीर के बुखार की तरह पृथ्वी का लगातार तापमान बढ़ रहा है, हम जानते हैं कि हर जैविक प्रक्रिया में तापमान की एक सीमा होती है, एक सीमा से ऊपर तापमान से चीजें प्रभावित होती हैं। हम जानना चाहते थे कि पौधे कितनी गर्मी झेल सकते हैं?

यह वैश्विक स्तर पर लिए गए आंकड़ों के आधार पर प्रकाश संश्लेषण के लिए तापमान की सीमा का पता लगाने वाला पहला अध्ययन है। जबकि प्रकाश संश्लेषण और श्वसन के लिए तापमान का शुरूआती अध्ययन लैब में किया गया है, फ्लक्सनेट के आंकड़े एक मौका प्रदान करते हैं जो यह बताता है की पूरी पृथ्वी में पारिस्थितिक तंत्र क्या अनुभव कर रहे हैं और वे कैसे प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

डफी ने कहा हम जानते हैं कि मनुष्यों के लिए तापमान की अनुकूल स्थिति  37 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहती है, लेकिन हमें पता नहीं था कि उन स्थलीय जीवमंडल के लिए अनुकूल स्थिति क्या थी। उन्होंने वुडवेल क्लाइमेट और वाइकाटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर काम किया, जिन्होंने हाल ही में उस प्रश्न का उत्तर देने के लिए एक नया दृष्टिकोण विकसित किया, जिसे मैक्रोमोलेक्यूलर रेट थ्योरी  (एमएमआरटी) कहा गया है। जो थर्मोडायनामिक्स के सिद्धांतों में अपने आधार के साथ, एमएमआरटी के शोधकर्ताओं को हर प्रमुख बायोम और ग्लोब के लिए तापमान वक्र उत्पन्न करने में मदद मदद करता है।

परिणाम चिंताजनक थे

शोधकर्ताओं ने पाया कि तापमान बढ़ने से कार्बन निकलने की दर तेज हुई है। अधिक व्यापक सी3 पौधों के लिए 18 डिग्री सेल्सियस और सी4 पौधों के लिए 28 डिग्री सेल्सियस जो की पहले से ही पार हो चुका है, लेकिन श्वसन पर कोई तापमान जांच नहीं देखी गई। इसका मतलब यह है कि कई बायोम में, निकलने वाली गर्मी प्रकाश संश्लेषण को कम कर देगी, जबकि श्वसन दर में तेजी से वृद्धि होगी। यह कार्बन सिंक से कार्बन स्रोत तक पारिस्थितिकी प्रणालियों के संतुलन को आगे बढ़ाता है जिससे जलवायु परिवर्तन में तेजी आती है।   

जॉर्ज कोच ने कहा विभिन्न प्रकार के पौधे उनके तापमान प्रतिक्रियाओं के विवरण में भिन्न होते हैं, लेकिन प्रकाश संश्लेषण में गिरावट आती है।

अभी स्थलीय जीवमंडल के 10 प्रतिशत से कम प्रकाश संश्लेषक अधिकतम तापमान का अनुभव करते हैं। लेकिन उत्सर्जन की वर्तमान दर पर, मध्य स्थलीय जीवमंडल के आधे से अधिक तापमान सदी के मध्य तक उस उत्पादकता सीमा से अधिक तापमान का अनुभव कर सकते हैं। दुनिया में सबसे अधिक कार्बन युक्त बायोम, अमेज़न और दक्षिण पूर्व एशिया में उष्णकटिबंधीय वर्षावनों सहित रूस और कनाडा में टैगा, उस टिपिंग पॉइंट को पार करने वालों में से पहले होंगे।

वाइकाटो विश्वविद्यालय के एक जीवविज्ञानी और सह-अध्ययनकर्ता विक आर्कस ने कहा हमारे विश्लेषण में सबसे खास बात यह है कि, सभी पारिस्थितिक तंत्रों में प्रकाश संश्लेषण के लिए तापमान की अनुकूल स्थिति बहुत कम थी। हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि 18 डिग्री सेल्सियस से ऊपर किसी भी तापमान में वृद्धि स्थलीय कार्बन सिंक के लिए हानिकारक है। पेरिस जलवायु सहमति में स्थापित स्तरों पर या उससे नीचे रहने के लिए तापमान पर अंकुश लगाए बिना भूमि कार्बन सिंक हमारे उत्सर्जन की भरपाई नहीं करेगा और हमें आगे भी करने का समय नहीं देगा।