भीषण गर्मी के बीच कुछ पल आराम के: वाराणसी में गंगा किनारे गर्मी के दौरान कुछ पल आराम करता साधु; फोटो: आईस्टॉक 
जलवायु

पृथ्वी को लगातार 12 महीने रहा बुखार, क्या अंत के हैं संकेत

Lalit Maurya

दुनिया में बढ़ता तापमान थमने का नाम ही नहीं ले रहा। गर्मी ऐसी कि इंसान ही नहीं पेड़-पौधे जानवर हर कोई कुम्हला गया है। ऐसा लगता है कि दुनिया में बढ़ते तापमान के रिकॉर्ड की एक होड़ सी लग गई है। मई में भी ऐसा ही दर्ज किया गया, जब बढ़ता तापमान अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।

वैज्ञानिकों के मुताबिक जलवायु रिकॉर्ड में कभी भी मई के महीने में इतनी गर्मी नहीं पड़ी। कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस ने भी पुष्टि की है कि मई 2024 अब तक का सबसे गर्म मई रहा। देखा जाए तो पिछले लगातार बारह महीनों में कोई भी ऐसा नहीं रहा जब बढ़ते तापमान ने रिकॉर्ड न बनाया हो, आंकड़े भी इस बात की गवाही देते हैं।

कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि मई 2024 में वैश्विक औसत तापमान 1991 से 2020 के दरमियान मई के दौरान दर्ज औसत तापमान से 0.65 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। वहीं औद्योगिक काल से पहले के आंकड़ों पर नजर डालें तो मई के दौरान वैश्विक औसत तापमान में हुई यह वृद्धि 1.52 डिग्री सेल्सियस दर्ज की गई।

डेढ़ डिग्री सीमा को पार कर रही धरती

वहीं यदि जुलाई 2023 से देखें तो पिछले 11 महीनों में कोई भी महीना ऐसा नहीं रहा जब बढ़ते तापमान ने डेढ़ डिग्री की सीमा को पार न किया हो। इस तरह जून 2023 से मई 2024 के बीच जिन बारह महीनों ने बढ़ते तापमान के नए कीर्तिमान बनाए हैं, वो दर्शाते हैं कि इस अवधि के दौरान औसत तापमान अब तक का सबसे अधिक रहा।

यदि 1991 से 2020 के बीच इन 12 महीनों के औसत तापमान से तुलना करें तो इस अवधि के दौरान तापमान 0.75 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। इसी तरह यदि औद्योगिक काल से पहले के जून से मई के दौरान महीनों के औसत तापमान से 2023-24 के इन 12 महीनों के तापमान की तुलना करें तो वो 1.63 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया।

मतलब साफ है कि जिस तरह से तापमान में इजाफा हो रहा है वो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि 2024 भी अब तक के सबसे गर्म वर्ष होने की राह पर है। बता दें कि अब तक के सबसे गर्म वर्ष होने का यह रिकॉर्ड 2023 के नाम दर्ज है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने भी 2024 से 2028 के लिए जारी एक रिपोर्ट में आशंका जताई है कि अगले पांच वर्षों में से कम से कम एक वर्ष अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा, जब बढ़ता तापमान 2023 को पीछे छोड़ देगा।

देखा जाए तो भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में पड़ रही भीषण गर्मी इस बात का पुख्ता सबूत है कि हम इंसानों की वजह से धरती कहीं ज्यादा गर्म हो गई है। यही वजह है कि बढ़ता तापमान आए दिन नए रिकॉर्ड बना रहा है।

यदि साल 2024 के शुरूआती पांचों महीनों को देखें तो हर महीने ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है। उदाहरण के लिए अप्रैल 2024 में वैश्विक औसत तापमान, औद्योगिक काल से पहले के औसत तापमान से 1.58 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। कुछ ऐसा ही हाल मार्च में भी रहा, जब तापमान गर्मी के पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ औसत से 1.68 डिग्री बढ़ गया। वहीं फरवरी में दर्ज वैश्विक औसत तापमान सामान्य से 1.4 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। 

क्या अंत के हैं संकेत

इसी तरह साल का आगाज भी अब तक की सबसे गर्म जनवरी के साथ हुआ था, जब बढ़ता तापमान औद्योगिक काल (1850 से 1900) से पहले की तुलना में 1.66 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा।

गौरतलब है कि वैज्ञानिक पहले ही इसको लेकर चेता चुके हैं कि यदि धरती पर बढ़ता तापमान डेढ़ डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर जाता है तो उसके बेहद गंभीर परिणाम झेलने पड़ेंगें। कहीं बारिश, कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा इन सबका आना तो बेहद आम हो गया है। ऐसे में क्या बढ़ते तापमान के साथ इससे भी गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।

आशंका है कि धरती पर बढ़ते तापमान के साथ कहीं ज्यादा गर्मी पड़ेगी, बारिश और मानसून का पैटर्न बदल जाएगा। ऐसे में एकाएक बाढ़ और सूखे की आशंका बनी रहेगी। इसकी वजह से पहले से कहीं ज्यादा बर्फ पिघलेगी, जो सुदूर ध्रुवों से लेकर हिमालय के ऊंचे शिखरों तक को प्रभावित करेगी।

इसकी वजह से न केवल जलापूर्ति बाधित होगी साथ ही समुद्र का जलस्तर भी बढ़ेगा। नतीजन वो खूबसूरत द्वीप जो पर्यावरण के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण हैं अपना अस्तित्व खो देंगें। कृषि और खाद्य सुरक्षा से जुड़ी समस्याएं पैदा हो जाएंगी और नई बीमारियां इंसानों को अपना निशाना बनाएंगी। नतीजन स्वास्थ्य पर भी गंभीर खतरा मंडराने लगेगा।

सी3एस के निदेशक कार्लो बुओनटेम्पो ने इस बारे में प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से कहा है कि, "यह चौंकाने वाला है कि हम पिछले 12 महीनों में बढ़ते तापमान की लकीर पर पहुंच गए हैं।" हालांकि वो इसको लेकर हैरान नहीं। उन्होंने आगे कहा कि गर्मी के इन रिकॉर्ड तोड़ महीनों का यह क्रम आखिरकार बाधित हो जाएगा, लेकिन जलवायु परिवर्तन का प्रभाव फिर भी बना रहेगा और आगे भी इसके कम होने के कोई संकेत नहीं हैं।

बढ़ते तापमान के बारे में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का भी कहना है कि पिछले एक साल से हर बीतते दिन के साथ धरती और गर्म होती जा रही है। हमारा ग्रह हमें कुछ बताने की कोशिश कर रह रहा है। लेकिन लगता नहीं कि हम उसको सुनने के लिए गंभीर हैं। वैश्विक तापमान नए रिकॉर्ड बना रहा है। हम चरम मौसमी घटनाओं का सामना करने को मजबूर हैं।" उनके मुताबिक यह जलवायु संकट का समय है। ऐसे में यह एकजुट होकर जलवायु में आते बदलावों के खिलाफ कार्रवाई करने का समय है।