जलवायु

भीषण गर्मी और ठंड से हर साल मरते हैं 50 लाख से ज्यादा लोग

Lalit Maurya

हाल ही में किए एक अध्ययन से पता चला है कि अत्यधिक गर्म या ठंडी परिस्थितियों के कारण दुनिया भर में हर साल 50 लाख से ज्यादा लोग मारे जाते हैं। अनुमान है कि दुनिया में होने वाली करीब 9.4 फीसदी मौतों के लिए यही वजह जिम्मेवार है, जोकि प्रति लाख लोगों 74 अतिरिक्त मौतों के बराबर है। इनमें से 8.52 फीसदी मौतों के लिए अत्यंत सर्दी और करीब 0.91फीसदी के लिए भीषण गर्मी जिम्मेवार थी।

इसी तरह भारत में जहां भीषण गर्मी के कारण हर साल 83,700 लोगों की जान जाती है वहीं अत्यधिक ठंड के कारण मरने वालों का आंकड़ा करीब 6.55 लाख है। हालांकि जैसे-जैसे वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है, उससे गर्मीं के कारण होने वाली मौतों में भी वृद्धि हो रही है, जो स्पष्ट तौर पर यह दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भविष्य में स्थिति और खराब हो सकती है।

हैरान कर देने वाली बात यह है कि 2000 से 2019 के बीच जहां ठंड से होने वाली मौतों में 0.51 फीसदी की कमी आई है, जबकि गर्मी के कारण होने वाली मौतों में 0.21 फीसदी की वृद्धि हुई है। इस लिहाज से ठंड और गर्म तापमान के कारण होने वाली शुद्ध मृत्यु दर में कमी आई है। शुद्ध मृत्यु दर में सबसे बड़ी गिरावट दक्षिण पूर्व एशिया में दर्ज की गई है जबकि दक्षिण एशिया और यूरोप में इसमें अस्थायी वृद्धि देखी गई है।

तापमान में प्रति दशक दर्ज की गई 0.26 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि

इसे समझने के लिए दुनिया भर के दर्जन भर से ज्यादा वैज्ञानिकों ने 2000 से 2019 के बीच 43 देशों में 750 स्थानों पर मृत्यु दर और मौसम सम्बन्धी आंकड़ों का विश्लेषण किया है। जिससे पता चला है कि इन स्थानों पर औसत दैनिक तापमान में प्रति दशक 0.26 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। मोनाश यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में किया गया यह शोध द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

आंकड़ों के अनुसार एशिया में चरम तापमान के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा सबसे ज्यादा था। जहां भीषण गर्मी के कारण हर साल 2.24 लाख जानें गई थी वहीं अत्यधिक ठंड के कारण 24 लाख लोगों की जान गई थी। इसी तरह यूरोप में जहां भीषण गर्मी के कारण 178,700 लोगों की जान गई थे, जबकि अफ्रीका में अत्यधिक ठंड के कारण 11.8 लाख लोगों की जान गई थी।

शोध से पता चला है कि दुनिया चरम तापमान के कारण होने वाली कुल मौतों में से आधे से अधिक एशिया में, विशेष रूप से पूर्व और दक्षिण एशिया में सामने आई थी। इसी तरह गर्मी के संपर्क में आने के कारण यूरोप में प्रति लाख लोगों पर मृत्युदर का आंकड़ा सबसे ज्यादा था, जबकि उप-सहारा अफ्रीका में ठंड के कारण प्रति लाख लोगों पर सबसे ज्यादा जानें गई थी।

इस शोध से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता युमिंग गुओ के अनुसार जिस तरह से वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है उसके कारण ठंड से संबंधित मृत्यु दर में कमी आ रही है। हालांकि यदि बढ़ते तापमान पर अभी लगाम न लगाई गई तो भीषण गर्मी से होने वाली मौतों का आंकड़ा भविष्य में और बढ़ सकता है।