जलवायु

साल 2022 में 4 करोड़ बच्चों को मजबूरी में छोड़ना पड़ा अपना घर, ये थी वजह?

Lalit Maurya

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के मुताबिक 2022 में करीब 4.33 करोड़ बच्चों को जबरन विस्थापित होने का दंश झेलना पड़ा था। विस्थापित बच्चों का यह आंकड़ा 2022 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। गौरतलब है कि अपने घरों को छोड़ जबरन विस्थापित हुए बच्चों की संख्या पिछले दशक में बढ़कर दोगुनी हो गई है।

इनमें से 1.2 करोड़ बच्चे वो थे जिनकों बाढ़, सूखा, तूफान जैसी चरम मौसमी घटनाओं के चलते जबरन अपना घर-बार छोड़ना पड़ा था। इन चरम मौसमी घटनाओं में 2022 के दौरान पाकिस्तान में आई बाढ़ और हॉर्न ऑफ अफ्रीका में पड़ा भीषण सूखा शामिल था। बच्चों के विस्थापन की यह वेदना कितनी करुण है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इन विस्थापित बच्चों में से कइयों को अपना पूरा बचपन विस्थापित के रूप में ही बिताना पड़ेगा।

यूनिसेफ ने जो आंकड़े साझा किए हैं उनके मुताबिक 2022 के अंत तक विस्थापित हुए 4.33 करोड़ बच्चों में से करीब 60 फीसदी यानी 2.58 करोड़ संघर्ष और हिंसा का शिकार थे। यदि यूक्रेन में जारी युद्ध को ही देखें तो इसकी वजह से 20 लाख से अधिक यूक्रेनी बच्चों को अपने देश से भागने पर मजबूर होना पड़ा है। वहीं इस युद्ध ने देश में ही 10 लाख से अधिक बच्चों को विस्थापित बना दिया है।

इसी तरह शरणार्थी और शरण चाहने वाले बच्चों का आंकड़ा भी 2022 में बढ़कर 1.75 करोड़ पर पहुंच गया था जोकि एक नया रिकॉर्ड है। यूनिसेफ के अनुसार केवल सूडान में ही अब तक संघर्ष के चलते 940,000 से ज्यादा बच्चे विस्थापित हो चुके हैं।

इस बारे में यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि, "पिछले एक दशक में अपने घरों को छोड़ विस्थापित होने वाले बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ी है।" उन्होंने जोर देकर कहा कि इस संकट का सामना करने की हमारी क्षमता गहरे दबाव में है। उनके अनुसार विस्थापित बच्चों की संख्या में होने वाली यह वृद्धि सीधे तौर पर दुनिया भर में चल रहे संघर्ष, हिंसा, और जलवायु आपदाओं से जुड़ी है।

इसके साथ ही यह शरणार्थी और आंतरिक रूप से विस्थापित बच्चों के कल्याण, शिक्षा और समग्र विकास की सुरक्षा के लिए कई सरकारों द्वारा किए अपर्याप्त प्रयासों को भी रेखांकित करती है।

पहले से कहीं ज्यादा लोगों को झेलनी पड़ा विस्थापन की दर्द

वहीं संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) ने 2022 के लिए जारी अपनी नई रिपोर्ट में जानकारी दी है कि संघर्षों और जलवायु प्रेरित उथल-पुथल के बीच यूक्रेन में चलते युद्ध के कारण 2022 में पहले से कहीं ज्यादा लोगों को विस्थापन की पीड़ा झेलनी पड़ी है। ऐसे में इस वैश्विक संकट से निपटने के लिए तत्काल सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता और बढ़ गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक 2022 के अन्त तक युद्ध, उत्पीड़न, हिंसा और मानवाधिकारों के होते हनन के कारण विस्थापित हुए लोगों की संख्या, रिकॉर्ड 10.84 करोड़ तक पहुंच गई थी, जोकि पिछले वर्ष की तुलना में करीब 1.9 करोड़ ज्यादा है। हालांकि वर्ष 2021 में भी इसमें रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई थी। गौरतलब है कि विस्थापित हुए लोगों में से 40 फीसदी बच्चे थे।

वैश्विक स्तर पर कुल शरणार्थियों में से, 3.53 करोड़ ऐसे थे, जिन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए अन्तरराष्ट्रीय सरहदों को पार किया था। वहीं इसका एक बड़ा हिस्सा, करीब 58 फीसदी (6.25 करोड़) वो था जो संघर्ष एवं हिंसा के कारण आन्तरिक रूप से विस्थापित हुए थे।

इस रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए हैं उनके मुताबिक 2022 में करीब 3.26 करोड़ लोगों को प्राकृतिक आपदाओं के चलते अपने देश में ही विस्थापित होना पड़ा था। वहीं 2022 के अंत तक भी इनमें से 87 लाख लोग विस्थापितों के रूप में जीवन काट रहे थे।

रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में आई बाढ़ के चलते जहां 82 लाख लोगों को अपने देश में ही विस्थापित होना पड़ा था। वहीं फिलीपीन्स में आई बाढ़ और तूफान में 54 लाख जबकि चीन में आए तूफान और बाढ़ ने 36 लाख लोगों को विस्थापित बना दिया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक हॉर्न ऑफ अफ्रीका में करीब 28 लाख लोग सूखे के चलते विस्थापित हुए थे।

देखा जाए तो दूसरे बच्चों की तुलना में आंतरिक रूप से विस्थापित और शरणार्थी बच्चे अक्सर कहीं ज्यादा संवेदनशील होते हैं। इनमें से बहुत से बच्चे शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल से वंचित रह जाते हैं। कई नियमित टीकाकरण से चूक जाते हैं और कई सामाजिक सुरक्षा तक पहुंच बना पाने में असमर्थ रह जाते हैं।

इसके अलावा, इन बच्चों के लिए विस्थापन अक्सर लंबा और लंबे समय तक चलने वाला होता है। वहीं इनमें से कई बच्चे तो ऐसे हैं जो अपना पूरा बचपन ही विस्थापित के रूप में काट देंगें। इसके उनके स्वास्थ्य, विकास और कल्याण पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

जलवायु-प्रेरित विस्थापन भी गंभीर चिंता का विषय है। यूनिसेफ के अनुसार यदि ग्लोबल वार्मिंग को संबोधित नहीं किया जाता और जलवायु प्रभावित क्षेत्रों में हाशिए पर रह रहे समुदायों को तत्काल समर्थन नहीं दिया जाता तो उसके बिना जलवायु प्रेरित विस्थापन को कम करने की उम्मीद नहीं की जा सकती।