उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के हिस्से में आने वाले सूखागस्त बुंदेलखंड के सभी जिले अब मॉनसूनी बारिश से त्रस्त हैं। क्षेत्र ने दशकों बाद ऐसी बारिश हुई है। अधिकांश जिलों में पिछले एक महीने से लगातार जारी इस बारिश ने किसानों को खरीफ की बुवाई का समय ही नहीं दिया है।
मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ और निवाड़ी जिलों में 90 प्रतिशत खेतों में बुवाई नहीं हो पाई है। जिले के निवासी और समाजसेवी रोहित ने डाउन टू अर्थ को बताया कि जिन 10 प्रतिशत खेतों में बुवाई हुई वहां अत्यधिक बारिश की वजह से अंकुरण (जर्मिनेशन) नहीं हुआ है। उन्होंने आगे बताया कि लगातार जारी बारिश से खरीफ सीजन किसानों को कुछ देकर नहीं जाएगा, बल्कि नुकसान ही पहुंचाएगा। उन्होंने आगे बताया कि टीकमगढ़ और निवाड़ी में 11 जुलाई से 14 जुलाई के बीच सैकड़ों एमएम बारिश ने खेती किसानी को चौपट कर दिया है, खासकर मूंगफली और उड़द पूरी तरह खत्म है।
मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों के अनुसार, टीकमगढ़ जिले में 16 जुलाई तक 835 एमएम से अधिक बारिश हो चुकी है जो सामान्य बारिश 268 एमएम से 212 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह निवाड़ी जिले में 315 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है जो पूरे मध्य प्रदेश में सर्वाधिक है। निवाड़ी में 194 एमएम सामान्य बारिश के मुकाबले 805 एमएम बारिश रिकॉर्ड हुई है। निवाड़ी में वार्षिक औसत वर्षा 823 एमएम है। इस लिहाज से देखें तो जिले की सालाना बारिश का 98 प्रतिशत मॉनसून के केवल दो महीने में हो चुकी है। इसी तरह टीकमगढ़ जिले की सालाना बारिश का करीब 80 प्रतिशत बरस चुका है।
बुंदेलखंड क्षेत्र में आने वाले मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में 190 प्रतिशत अधिक बारिश, सागर में 69 प्रतिशत अधिक बारिश, पन्ना में 102 प्रतिशत अधिक बारिश, दमोह में 77 प्रतिशत अधिक बारिश और दतिया में 37 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। दतिया (एक्सेस) को छोड़कर ये सभी जिले लार्ज एक्सेस बारिश वाली श्रेणी में शामिल हैं। ललितपुर स्थित गैर लाभकारी संगठन बुंदेलखंड सेवा संस्थान के सचिव वासुदेव कहते हैं जिले के सभी 14 बांध पूरी तरह भर चुके हैं और उनसे पानी छोड़ा रहा रहा है।
पन्ना में रहने वाली समीना यूसुफ ने बताया कि एक्सेस मॉनसून की स्थिति साधारण नहीं है। इसका सीधा असर जनजीवन पर पड़ेगा। यह बारिश खरीफ की फसल जैसे तिल, मूंग, उड़द के लिए नुकसानदायक है। लगातार बारिश होने से गांव में लोगों के कच्चे मकान गिर रहे हैं और बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। लोग घर के बाहर काम काज करने नहीं जा पा रहे हैं। समीना के अनुसार, बुंदेलखंड क्षेत्र में 20 वर्ष बाद इस तरह की बारिश हुई है। वह आगे बताती हैं कि 23 जून से लगातार पानी तेजी से बरस रहा है। जिन किसानों ने तिल, उड़द, मूंग एवं मूंगफली की बुवाई कर दी गई थी, उनमें से अधिकांश के बीज पानी के साथ बह गए हैं।
उत्तर प्रदेश के हिस्से में आने वाले बुंदेलखंड क्षेत्र ने भी दशकों बाद ऐसी बारिश देखी है। लगातार बारिश से केन, बेतवा, यमुना नदी उफान पर हैं। कई स्थानों पर पुल और रपटा के बहने की खबर है। बांदा में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार अशोक निगम कहते हैं कि उन्होंने 1992 के बाद इतनी ज्यादा बारिश देखी है। इससे पहले 1982 में ऐसी बारिश हुई थी। निगम कहते हैं कि खरीफ की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। अधिकांश खेत पानी से लबालब भर चुके हैं। ऐसी स्थिति में बुवाई संभव नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि भारी बारिश ने नदी के तटीय गांवों की उपजाऊ मिट्टी बहा दी है। हालांकि उनका मानना है कि यह बारिश धान की फसल के लिए अच्छी है और रबी की फसल को भी फायदा होने की उम्मीद है।
बांदा जिले के ही बसहरी गांव में रहने वाले घनश्याम कुमार कहते हैं कि उनका गांव खरीफ के सीजन में लगभग 100 प्रतिशत खेतों में तिल की बुवाई करता है, लेकिन इस साल बारिश ने बुवाई का समय ही नहीं दिया। उनका कहना है कि बारिश से दशकों बाद उनके गांव का तालाब भरा है लेकिन खरीफ का पूरा सीजन किसानों को खाली हाथ रखेगा।
बांदा जिले में सामान्य से 86 प्रतिशत अधिक, चित्रकूट में 70 प्रतिशत अधिक, हमीरपुर में 123 प्रतिशत अधिक, जालौन में 65 प्रतिशत अधिक, झांसी में 58 प्रतिशत अधिक, ललितपुर में 185 प्रतिशत अधिक और महोबा में 139 प्रतिशत अधिक बारिश रिकॉर्ड हुई है। झांसी (एक्सेस) को छोड़कर उत्तर प्रदेश के ये सभी जिले लार्ज एक्सेस की श्रेणी में हैं। निगम कहते हैं कि 16 जुलाई की शाम से बांदा में तेज बारिश शुरू हो गई जिससे आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है क्योंकि अगले तीन दिन तक भारी बारिश का अलर्ट है।
महोबा जिले के पान किसान और चौरसिया समाज सेवा समिति के अध्यक्ष राजकुमार चौरसिया कहते हैं कि उन्होंने अपनी 56 साल की उम्र में इतनी ज्यादा बारिश नहीं देखी है। उनका कहना है कि महोबा और छतरपुर जिले की सीमा पर बना उर्मिल बांध लगभग पूरा भर चुका है और जल्द ही उसके गेट खोले जा सकते हैं। इतना ही नहीं महोबा के कीरत सागर, मदन सागर और विजय सागर जैसे तालाबों ने लंबे समय पर बाद इतना पानी देखा है। हालांकि ये अभी पूरे नहीं भरे हैं, लेकिन अगले कुछ दिन में पूरे भर सकते हैं। जानकार बताते हैं कि बुंदेलखंड में बारिश के पैटर्न में इस साल बड़ा बदलाव दिखा है। क्षेत्र में आमतौर पर 15 जुलाई के बाद बारिश होती थी, लेकिन इस साल बारिश का चरित्र पूरी तरह बदला-बदला है। वे इसे जलवायु परिवर्तन से जोड़कर देख रहे हैं।