जिस तरह से बदलती जलवायु प्रकृति के हर पहलु को प्रभावित कर रही है, ऐसे में क्या कोविड-19 महामारी के उभरने में जलवायु परिवर्तन की कोई भूमिका थी, यह एक बड़ा सवाल है। जिसका जवाब शायद काफी हद तक वैज्ञानिकों ने ढूंढ़ लिया है। हाल ही में साइंस ऑफ द टोटल एनवायरमेंट जर्नल में एक शोध प्रकाशित हुआ है जिसमें इस बात की सम्भावना व्यक्त की है कि सार्स कोव-1 और सार्स कोव-2 (कोविड-19) के उद्भव में जलवायु परिवर्तन का हाथ हो सकता है।
गौरतलब है कि यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है जो इस बात की ओर इशारा करता है कि कोविड-19 की उत्पत्ति में जलवायु परिवर्तन की भूमिका हो सकती है।
अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार दुनिया भर के चमगादड़ों में करीब 3,000 तरह के कोरोनावायरस हैं। जिसका मतलब है कि चमगादड़ की हर प्रजाति में करीब 2.7 तरह के कोरोनावायरस हैं। ऐसे में किसी एक क्षेत्र विशेष में जलवायु परिवर्तन के चलते चमगादड़ों की प्रजातियों में होने वाली वृद्धि इस वायरस के मनुष्यों में फैलने की सम्भावना को और बढ़ा सकती है।
हालांकि चमगादड़ों में पाए जाने वाले अधिकांश कोरोनावायरस इंसानों में नहीं फैल सकते लेकिन इनमें कई ऐसे कोरोनावायरस की उत्पत्ति हो सकती है जो इंसानों को संक्रमित कर सकते हैं। इनमें से मर्स, सार्स कोव-1 और सार्स कोव-2 (कोविड-19) पहले ही इंसानों में फैल चुके हैं।
क्या है इसके पीछे की वजह
शोध के अनुसार पिछली एक शताब्दी में जिस तरह ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि हो रही है जिसके चलते वैश्विक तापमान लगातार बढ़ रहा है। तापमान में आने वाले इस बदलाव से दक्षिणी चीन में तेजी से उन जंगलों का विकास हुआ है, जो चमगादड़ों के लिए उपयुक्त आवास प्रदान करते हैं। यही वजह है कि यह क्षेत्र पिछले 100 वर्षों में उन चमगादड़ों का हॉटस्पॉट बन गया है जिनमें कोरोनावायरस हैं।
शोध के अनुसार जलवायु परिवर्तन से दक्षिणी चीन के युन्नान और उसके आसपास म्यांमार और लाओस की वनस्पति में बड़े पैमाने पर बदलाव आया है। जलवायु परिवर्तन के साथ यहां तापमान, सूर्य के प्रकाश और कार्बन डाइऑक्साइड में वृद्धि हो रही है जो पेड़-पौधों के विकास को प्रभावित करती है।
इस बदलाव ने यहां उष्णकटिबंधीय झाड़ियों को उष्णकटिबंधीय सवाना और पर्णपाती वुडलैंड में बदल दिया है। जिसकी वजह से यह क्षेत्र उन कई चमगादड़ों के लिए उपयुक्त बन गया है जो पहले जंगलों में रहते थे। किसी क्षेत्र में कोरोनावायरस की संख्या, उस क्षेत्र में मौजूद चमगादड़ों की प्रजातियों की संख्या पर निर्भर करती है। अध्ययन से पता चला है कि पिछले 100 वर्षों में यून्नान में चमगादड़ों की 40 नई प्रजातियां मिली है जिनमें 100 से भी ज्यादा कोरोनावायरस हो सकते हैं।
इस शोध से जुड़े शोधकर्ता और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से सम्बन्ध रखने वाले रॉबर्ट बेयर के अनुसार पिछले 100 वर्षों में जलवायु परिवर्तन ने यून्नान को चमगादड़ों की अधिक प्रजातियों के लिए उपयुक्त बना दिया है। ऐसे में यह जानते हुए कि जलवायु परिवर्तन किस तरह वैश्विक स्तर पर चमगादड़ों की प्रजातियों का स्थानांतरण हो रहा है यह कोविड-19 की उत्पत्ति के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है।
उनके अनुसार जलवायु परिवर्तन के साथ जीव ज्यादा उपयुक्त स्थानों की ओर चले जाते हैं, इन जीवों के स्थानांतरण के साथ उनमें मौजूद वायरस भी अन्य स्थानों पर पहुंच जाते हैं। यह न केवल उन क्षेत्रों में बदलाव करता है जहां वायरस हैं। साथ ही इससे वायरस और जीवों के बीच के आपसी संपर्क भी बढ़ जाता है। जिसकी वजह से अधिक हानिकारक वायरसों की उत्पत्ति और प्रसार का खतरा भी बढ़ जाता है।
दुनिया भर में अब तक कोविड-19 के 10.6 करोड़ से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जबकि इनमें से 23 लाख से अधिक मरीजों की जान जा चुकी है। इस शोध से जुड़े शोधकर्ता कैमिलो मोरा के अनुसार “चूंकि जलवायु परिवर्तन के कारण जंगली जीवों से वायरस इंसानों में फ़ैल सकता है ऐसे में वैश्विक उत्सर्जन को कम करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की जरुरत है।” इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने शहरी क्षेत्रों, कृषि और प्राकृतिक आवास में जीवों के शिकार क्षेत्र के विस्तार को सीमित करने पर बल दिया है। जिससे वायरस से ग्रस्त जीवों और इंसानों के बीच के संपर्क को जितना हो सके उतना कम किया जा सके।