जलवायु

बाढ़ की विभीषिका

DTE Staff

पिछले वर्षों की तरह इस बार भी मानसून की शुरुआत बहुत शांत रही, कुछ समय के लिए तो ऐसा लगता था कि मानो इस वर्ष भारत के कई राज्यों और हिस्सों में उतनी बारिश भी नहीं होगी जितनी आम तौर पर हुआ करती है। लेकिन अचानक न जाने क्या हुआ कि प्रकृति ने अपना विकराल रूप दिखलाना शुरू कर दिया, आज देश में चारों ओर जहां देखो बस हाहाकार और तबाही का ही मंजर नजर आता है । कहीं आकस्मिक बाढ़ आ रही है, कहीं बादल फटने की घटनाएं घट रही हैं । पर इन सबके बीच सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या इस तबाही के लिए सिर्फ प्रकृति ही जिम्मेदार है, क्या हमारे द्वारा पर्यावरण में हो रही छेड़छाड़ का इसमें कोई योगदान नहीं है, यदि है, तो आखिर हम कब समझेंगे कि प्रकृति के इस रौद्र रूप का भाजन आखिर में हमें ही बनना पड़ेगा ।