जलवायु

ला नीना के बावजूद सामान्य से ज्यादा रह सकता है अगले कुछ महीनों में तापमान: डब्ल्यूएमओ

Lalit Maurya

ला नीना के बावजूद अगले कुछ महीनों में दुनिया के कई हिस्सों का तापमान सामान्य से ज्यादा रह सकता है, यह बात विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा साझा की गई जानकारी में सामने आई है। यही नहीं डब्ल्यूएमओ ने इसके लिए वातावरण में तेजी से बढ़ते ग्रीनहाउस गैसों के स्तर को जिम्मेवार माना है।

डब्ल्यूएमओ के अनुसार ला नीना की घटना, जो अगस्त 2020 में सामने आई थी। उसने इस साल मई से दुनिया को अपने चंगुल में जकड़ रखा है, और जिसके  फिर से प्रकट हो गया था और इसके 2022 की शुरुआत तक रहने की उम्मीद है। यही नहीं यह भी सामने आया है कि ला नीना की यह घटना वैश्विक तापमान और वर्षा पर भी असर डालेगी, हालांकि इस घटना के चलते तापमान में आने वाली गिरावट के बावजूद कई स्थानों पर तापमान के सामान्य से ऊपर रहने की सम्भावना है। 

इसके बारे में डब्ल्यूएमओ प्रमुख पेटेरी तालस ने जानकारी दी है कि ला नीना के कारण तापमान में आने वाली कमी आमतौर पर घटना के दूसरे भाग में महसूस की जाती है, जिसका मतलब है कि 2021 इतिहास का सबसे गर्म वर्ष होने की जगह 10 सबसे गर्म वर्षों में से एक होगा।

उनके अनुसार ला नीना केवल कुछ समय के लिए ही तापमान में राहत देगा, लेकिन वो वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि के प्रभाव को बदल नहीं सकता है। न ही इसकी वजह से जलवायु में आ रहे बदलावों के लिए किए जा रहे प्रयासों पर कोई खास प्रभाव होगा। डब्ल्यूएमओ की मानें तो इस बातक की 90 फीसदी सम्भावना है कि 2021 के अंत तक उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर की सतह के तापमान पर ला नीना का प्रभाव रहेगा। वहीं 2022 के शुरुवाती तीन महीनों में इस बात की करीब 70 से 80 फीसदी सम्भावना है।

सामान्य से कम सर्द रहेंगी इस साल कुछ क्षेत्रों में सर्दियां

आर्कटिक और एशिया के उत्तर और उत्तरपूर्वी हिस्सों में तापमान के सामान्य से ऊपर रहने का अनुमान है, जिसकी वजह से इन हिस्सों में सर्दियों का मौसम असामान्य रूप से गर्म रह सकता है। यही नहीं उत्तरी अमेरिका के पूर्वी और दक्षिणपूर्वी हिस्सों, यूरोप के अधिकांश हिस्सों और एशिया के उत्तरपूर्वी हिस्सों में भी तापमान के औसत से ऊपर रहने की सम्भावना जताई गई है।

वहीं भूमध्यरेखीय अफ्रीका के आसपास भी तापमान के सामान्य से अधिक रहने की उम्मीद है, जिसमें पहले ही सूखे की मार झेल रहा मेडागास्कर भी शामिल है। गौरतलब है कि यह अफ्रीकी देश जलवायु में आ रहे बदलावों के चलते अकाल जैसी स्थिति का सामना करने को मजबूर है। यही नहीं डब्ल्यूएमओ के अनुसार दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण अमेरिका के उत्तरी हिस्सों में असामान्य रूप से बारिश की सम्भावना जताई गई है जबकि दक्षिण अमेरिका में भूमध्य रेखा के निचले हिस्सों और दक्षिणी एशिया एवं मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों में असामान्य रूप से सूखे की स्थिति बनने की सम्भावना व्यक्त की गई है।

गौरतलब है कि इससे पहले भी विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने ला नीना के बारे में जानकारी साझा की थी, जिसमें सम्भावना व्यक्त की गई थी कि ला नीना की मध्यम से मजबूत स्थिति बनने के बावजूद 2020 इतिहास के सबसे गर्म वर्षों में शुमार हो सकता है। इससे पहले आखिरी बार मजबूत ला नीना की घटना 2010-2011 में घटी थी, जबकि 2011-2012 में यह मध्यम स्तर का रिकॉर्ड किया गया था। 

क्या होता है ‘ला नीना’

स्पेनिश भाषा में ला नीना जिसे ‘छोटी बच्ची’ भी कहते हैं, क्योंकि इसका प्रभाव एल नीनो के विपरीत होता है, इसलिए इसे प्रति एल नीनो भी कहा जाता है। देखा जाए तो एल नीनो और ला नीना दोनों ही प्रशांत महासागर से जुड़ी प्रक्रियाएं हैं। यह मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में घटने वाली घटनाएं हैं, जो बड़े पैमाने पर मौसम और जलवायु को प्रभावित करती हैं।

एक तरफ जहां एल नीनो के चलते समुद्र का तापमान 2 से 4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है और साथ ही उसके चलते गर्म हवाएं चलने लगती हैं। जबकि इसके विपरीत ला नीना के कारण पूर्वी प्रशांत महासागर का तापमान सामान्य से 3 से 5 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाता है। जिस वजह से सर्द हवाएं चलने लगती हैं और वैश्विक तापमान में कमी आ जाती है।