संरक्षण परियोजनाओं का बंद होना: दुनिया भर में कम से कम एक तिहाई परियोजनाएं कुछ सालों में ही बंद हो जाती हैं, जिससे वास्तविक प्रगति का भ्रम पैदा होता है। प्रतीकात्मक छवि, फोटो साभार: आईस्टॉक
जलवायु

कॉप-30: संरक्षण परियोजनाओं की अनदेखी: जैव विविधता व जलवायु लक्ष्यों के लिए भारी खतरा

एक अंतरराष्ट्रीय शोध टीम ने एक चेतावनी दी है कि संरक्षण परियोजनाओं के धीरे-धीरे बंद होने से कई तरह के खतरे बढ़ रहे हैं

Dayanidhi

  • संरक्षण परियोजनाओं का बंद होना: दुनिया भर में कम से कम एक तिहाई परियोजनाएं कुछ सालों में ही बंद हो जाती हैं, जिससे वास्तविक प्रगति का भ्रम पैदा होता है।

  • वैश्विक वित्तपोषण और आवश्यकता: वर्तमान में सालाना खर्च 87 से 200 अरब अमेरिकी डॉलर है, जबकि 2030 और 2050 तक निवेश की आवश्यकता क्रमशः 540 अरब और 740 अरब अमेरिकी डॉलर होगी।

  • पैड घटनाएं और रोलबैक: 3,700 से अधिक संरक्षित क्षेत्र डाउनग्रेडिंग, डाउनसाइजिंग और डिगजेटमेंट (पैड) घटनाएं हुई हैं, जिससे वैश्विक संरक्षण कमजोर हुआ।

  • ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में चुनौतियां: ऑस्ट्रेलिया, चिली, कनाडा और मोरक्को में परियोजनाएं छोड़ देने या कमजोर प्रबंधन के कारण असुरक्षित हैं।

  • समाधान और नीति सुझाव: शोध टीम ने लंबे समय में वित्तपोषण, पारदर्शिता और वैश्विक निगरानी प्रणाली की आवश्यकता पर जोर दिया।

दुनिया भर के नेताओं ने ब्राजील में कॉप-30 जलवायु वार्ता शुरू की है। इसी बीच, सिडनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ता समेत अंतरराष्ट्रीय शोध टीम ने एक गंभीर चेतावनी दी है। उनका कहना है कि दुनिया भर में जैव विविधता और कार्बन लक्ष्यों को खतरा, "संरक्षण परियोजनाओं के धीरे-धीरे बंद होने" के रूप में सामने आया है।

संरक्षण पर खर्च और हकीकत

शोध पत्र में कहा गया है कि दुनिया भर में सालाना 87 अरब अमेरिकी डॉलर तक संरक्षण कार्यक्रमों पर खर्च होता है और यह आंकड़ा 200 अरब अमेरिकी डॉलर तक भी पहुंच सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि किन-किन खर्चों को शामिल किया गया है।

दुनिया भर में जैव विविधता और जलवायु संकट को देखते हुए, 2030 तक इन निवेशों की आवश्यकता 540 अरब अमेरिकी डॉलर और 2050 तक 740 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ सकती है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि ये परियोजनाएं कितने समय तक जारी रहती हैं।

शोध से पता चलता है कि कम से कम एक तिहाई परियोजनाएं केवल कुछ सालों में ही बंद हो जाती हैं। इसका मतलब है कि केवल परियोजनाओं की शुरुआत को गिनने से प्रगति का गलत आभास हो सकता है।

“संरक्षण परियोजनाओं का बंद होना” क्या है?

अध्ययन ने “संरक्षण परियोजनाओं का बंद होने” का नया सिद्धांत पेश किया। इसमें दो तरह की स्थितियां आती हैं:

  • जिम्मेदार पक्ष अनौपचारिक रूप से अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते।

  • कानून या समझौते बदलकर परियोजनाओं को औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया जाता है।

  • अक्सर ये बंद परियोजनाएं रिपोर्टिंग में शामिल रहती हैं, जिससे वास्तविक स्थिति का पता नहीं चलता।

नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन पत्रिका में प्रकाशित शोध में कई देशों में परियोजनाओं की रोकथाम और बदलाव के उदाहरण दिए गए हैं - दुनिया भर में 3,700 से अधिक संरक्षित क्षेत्र का डाउनग्रेडिंग, डाउनसाइजिंग और डिगजेटमेंट (पैड) घटनाएं हुई हैं, यानी संरक्षित क्षेत्रों में औपचारिक कटौती, कमजोरी या समाप्ति। अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में सामुदायिक संरक्षण कार्यक्रमों को बंद किया गया। चिली में सामुदायिक मछली पालन परियोजनाओं में से 22 फीसदी बंद कर दी गई।

कनाडा में समुद्री संरक्षित क्षेत्र को औपचारिक रूप से कम किया गया, जिससे 26,450 वर्ग किलोमीटर में तेल अन्वेषण की अनुमति मिली। मोरक्को और कनाडा ने कुल मिलाकर 2,412 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की सात संरक्षण परियोजनाओं को खत्म किया गया।

ऑस्ट्रेलिया भी इस समस्या से अछूता नहीं है। कई कार्यक्रम अल्प वित्तपोषित या चुपचाप बंद कर दिए जाते हैं। ग्रेट बैरियर रीफ समेत राष्ट्रीय उद्यानों की सुरक्षा घटाई गई। समुद्री संरक्षित क्षेत्रों के बड़े नेटवर्क होने के बावजूद, प्रभावी प्रबंधन और निगरानी बहुत कम है।

साल 2021 के शोध के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया के समुद्री संरक्षित क्षेत्रों में 38 बार सुरक्षा को घटाया गया, जिससे 10 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र प्रभावित हुआ।

सुझाव और समाधान

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से इसके समाधान के लिए कुछ सुझाव दिए हैं, वैश्विक निगरानी प्रणाली बनाना, ताकि संरक्षण परियोजनाओं के बंद होने का पता चल सके। लंबे समय तक वित्तपोषण सुनिश्चित करना। पारदर्शिता बढ़ाना, ताकि रिपोर्टिंग में केवल चालू और प्रभावी परियोजनाओं को ही शामिल किया जाए।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि नई परियोजना की शुरुआत केवल शुरुआत है। यदि वित्तपोषण खत्म हो जाता है या जिम्मेदारी छोड़ी जाती है, तो हम पहले जैसी स्थिति में लौट जाते हैं।

राजनीतिक संदर्भ

शोध में कहा गया है कि हाल की वैश्विक राजनीतिक घटनाएं संरक्षण प्रयासों को कमजोर कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, ट्रंप प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय संरक्षण परियोजनाओं के लिए 365 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की फंडिंग कम कर दी। ऐसे कदम वैश्विक स्तर पर संरक्षण परियोजनाओं के बंद होने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे सकते हैं।

कॉप-30 में प्रतिनिधियों को न केवल नई परियोजनाओं की संख्या देखनी चाहिए, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि पहले से चल रही परियोजनाएं लंबी अवधि तक प्रभावी और टिकाऊ रहें।

संरक्षण परियोजनाओं का केवल प्रारंभिक आकलन पर्याप्त नहीं है। जैव विविधता और जलवायु लक्ष्यों की वास्तविक सफलता के लिए परियोजनाओं को सदाबहार समर्थन और निगरानी की आवश्यकता है।

जैसा कि अध्ययन बताता है, यदि हम इस "छुपी हुई समस्या" को नजरअंदाज करते हैं, तो हम न केवल अरबों डॉलर का निवेश खो रहे हैं, बल्कि पृथ्वी की जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा भी खतरे में डाल रहे हैं।