जलवायु

कॉप-26: जलवायु वित्त पर स्पष्टता होने पर ही एनडीसी को अपडेट करेगा भारत

Avantika Goswami, Dayanidhi

एनडीसी क्या है?

सरल शब्दों में कहें तो एनडीसी या राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान, उत्सर्जन में कटौती और जलवायु प्रभावों के अडॉप्टेशन या अनुकूल के लिए एक जलवायु कार्य योजना है। पेरिस समझौते के प्रत्येक पक्ष को एक एनडीसी स्थापित करना और हर पांच साल में इसे अपडेट करना आवश्यक है।

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के लिए पार्टियों का 26वां सम्मेलन (कॉप-26) समाप्ति की ओर है। यहां देखें 9 नवंबर, 2021 को सम्मेलन में क्या हुआ था:

  • सिविल सोसाइटी ने कॉप-26 पर वित्त और जीवाश्म ईंधन के बारे में ठीक से ध्यान न देने पर चिंता जताई
  • पूरे शिखर सम्मेलन में वित्त पर चर्चा जारी रही, विकसित देशों ने अडॉप्टेशन या अनुकूलन वित्त को दोगुना करने पर आपत्ति जताई और जलवायु वित्त की परिभाषा पर भी असहमति जताई (अर्थ नेगोशिएशन बुलेटिन)।
  • विकसित देश भी दान देने वाले देशों की सूची को बढ़ाने के इच्छुक हैं, इसमें चीन को भी जलवायु पर वित्त प्रदान करने के लिए शामिल किया जा सकता है।
  • सूत्रों के अनुसार, बंद दरवाजों के पीछे यूरोपीय संघ की स्थिति जलवायु अनुकूलन वित्त के लिए एक अलग रास्ते को अपनाने से रोकने और इससे संबंधित वित्त को परिभाषित करने के लिए ठोस वचनबद्धता से बचने की अफवाह है।
  • जी 77 / चीन के वित्त समन्वयक सहित कई वार्ताकार नोवेल कोरोनावायरस रोग (कोविड -19) परीक्षण में पॉजिटिव पाए गए, जो की शिखर सम्मेलन में उनकी उपस्थिति सार्थक परिणाम के लिए ख़तरनाक हो सकती (अर्थ नेगोशिएशन बुलेटिन) है। 
  • क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर (सीएटी) ने अपने नवीनतम विश्लेषण का अनावरण किया, जिसमें पाया गया कि वर्तमान 2030 के लक्ष्य (दीर्घकालिक वादों के बिना) ने सदी के अंत तक 2.4 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि होना बताया है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया है कि प्राकृतिक गैस "पेरिस समझौते के अनुकूल नहीं है"।
  • ऑयल चेंज इंटरनेशनल की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, लगभग 29 देशों ने 2022 के अंत तक बेरोकटोक तेल, गैस और कोयले के लिए अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक वित्त को समाप्त करने के लिए वचनबद्धता जताई है।
  • कॉप-26 वार्ता में, सामान्य समय-सीमा के लिए प्रस्तुत नौ विकल्पों को रवांडा और स्विट्जरलैंड  के मंत्रियों की अगुवाई में किए गए परामर्श में घटाकर दो कर दिया गया है।
  • सूत्रों के मुताबिक भारत अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को तब तक अपडेट नहीं करेगा जब तक कि जलवायु वित्त पर स्पष्टता नहीं होगी।