जलवायु

कॉप-26 : ग्रेटा को दिग्गज राष्ट्रों के नेताओं से ईमानदारी की उम्मीद

यह खबर मूलरूप से रायटर्स की है। यह वास्तव में जलवायु की खबरों की कवरेज के लिए बनाए गए वैश्विक मीडिया सहयोग संगठन, कवरिंग क्लाईमेट नाउ का हिस्सा है। ग्रेटा से बातचीत का संचालन कवरिंग क्लाईमेट नाउ के सहयोगियों एनबीसी न्यूज, रायटर्स और द नेशन ने किया-

Anna Ringstrom

जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने कहा है कि 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप-26) तभी कामयाब माना जाएगा, जब दिग्गज राष्ट्रों के नेता अपने भाषणों को ईमानदारी से अमल में लाएंगे।

यह सम्मेलन अगले महीने स्कॉटलैंड के ग्लासगो में होना है। उम्मीद है कि इसमें विश्व- नेता वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे बनाए रखने के संकल्प को दोहराएंगे।

बुधवार की शाम स्कूल से लौटने के बाद स्टॉकहोम के अपने दो कमरे के घर में 18 साल की ग्रेटा ने कहा,  ‘हम उस लक्ष्य से बहुत, बहुत पीछे हैं, जिसे हासिल किया जाना चाहिए। अगर नेता इस मुद्दे को लेकर ईमानदार बनें और इसकी अपरिहार्यता लोगों को समझाएं तो लोग जागरुक हो सकते हैं।’

ग्रेटा ने महज तीन साल पहले शुक्रवार के दिन अपना स्कूल छोड़कर स्वीडन की संसद के सामने जलवायु-परिवर्तन के मुद्दे को लेकर विरोध- प्रदर्शन शुरू किया था। कम समय में ही वह इस मुद्दे का वैश्विक चेहरा बन गईं। वह दशकों से इस समस्या को सुलझाने में नाकाम रही दुनिया के सामने सबसे सशक्त युवा आवाज बनकर उभरी हैं।  

अगले महीने यूनाइटेड किंगडम की अध्यक्षता में 31 अक्टूबर और 12 नवंबर 2021 के बीच स्कॉटलैंड के ग्लासगो में होने वाला सम्मेलन, जिसे सीओपी-26 नाम भी दिया गया है, 26वां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन है।

यह दुनिया के बड़े नेताओं के सामने अंतिम बड़ा मौका होगा कि वे दशकों से टाले जा रहे औद्योगिक उत्सर्जन को कम करने के लिए ठोस कदमों का एलान करें। थनबर्ग का कहना है कि वे निश्चित तौर पर सम्मेलन में हिस्सा लेंगी और उन्हें उम्मीद है कि वह एक बार निराश नहीं होंगी।

वह कहती हैं, ‘मेरी अपेक्षा यह है कि हमें सम्मेलन में बहुत अच्छे- अच्छे भाषण सुनेंगेे, हमें कई संकल्प सुनने को मिलेंगे- अगर गहराई से उनकी पड़ताल करें तो आप पाएंगे कि वास्तव में उनका कोई खास मतलब नही है। ये बातें सिर्फ इसलिए कहीं जाती हैं क्योंकि राष्ट्र- प्रमुखों को कुछ कहना होता है, बस इसलिए ताकि मीडिया में रिपोर्ट करने के लिए कुछ कहा जाए।’

उनके मुताबिक, ‘इसीलिए मैं यही उम्मीद करती हूं कि चीजें फिर से पहले की तरह ही रहेंगी। अभी जिस तरह का माहौल हैं, उसमें सीओपी-26 से कोई बदलाव नहीं आएगा, जब तक कि बाकी दुनिया से उस पर बहुत ज्यादा दबाव नहीं बनाया जाता। ’

ऐसे समय में, वैश्विक तापमान पहले से ही 1.1 डिग्री सेल्सियस अधिक है और संयुक्त राष्ट्र की जलवायु समिति ने चेतावनी दी है कि जलवायु-परिवर्तन नियंत्रण से बाहर होने के करीब है, थनबर्ग ने मीडिया पार्टनरशिप, कवरिंग क्लाईमेट नाउ के संचालन में सम्मेलन से जुड़े मुद्दों पर बात की। यह इंटरव्यू रायटर्स, एनबीसी न्यूज और द नेशन ने लिए।

फिर से स्कूल
पिछले तीन सालों में लाखों युवा थनबर्ग के शुक्रवार को संसद के सामने किए जाने वाले उनके विरोध- प्रदर्शन से जुड़े हैं। ये युवा जलवायु- परिवर्तन के लिए उठाए जा रह कदमों के खिलाफ अपना स्कूल छोड़कर ग्रेटा के साथ आए हैं।

उनके बेबाक भाषणों ने दुनिया के नेताओं को उन पर  ध्यान देने को मजबूर किया है। संयुक्त राष्ट्र के 2019 के सम्मेलन में उन्होंने कहा था - “आप हमें नाकाम कर रहे हैं। लेकिन युवा आपके विश्वासघात को समझने लगे हैं और यदि आप हमें नाकाम करना ही चुनते हैं, तो मैं कहती हूं कि हम आपको कभी माफ नहीं करेंगे।’

आंदोलन को पूरा समय देने के चलते वह स्कूल से एक साल बाहर रहीं। फिलहाल वह हाईस्कूल में दूसरे साल की छात्रा हैं। माता- पिता के घर से अलग वह उधार के एक अपार्टमेंट में रॉक्सी नाम के एक लैब्राडोर और मोसेस नाम के दूसरे कुत्ते के साथ रह रही हैं। उनके पिता स्वांते अक्सर उनसे मिलने आते हैं।

ग्रेटा  की छोटी बहन और ओपेरा- गायिका उनकी मां मलेना अर्नमैन, इन दिनों स्टॉकहोम में गायिका एडिथ पियॉफ पर चल रहे एक संगीत कार्यक्रम में हिस्सा ले रही हैं।

वह कहती हैं, ‘जब आप जमीन से जुड़े रहते हैं, तो सामान्य जीवन में वापस लौटना कभी उतना मुश्किल नहीं होता। और मैं तो वैसे भी भाग्यशाली हूं क्योंकि स्वीडन के लोग, प्रसिद्ध लोगों की ज्यादा परवाह नहीं करते। इसलिए मुझे अकेला छोड़ दिया गया है।’

जिस बेबाकपन के चलते उन्हें वैश्विक स्तर पर पहचान मिली, वह अभी भी उनकी खासियत है। इंटरव्यू से पहले उन्होंने बताया कि यह उनकी स्वलीनता ही है, जिसके चलते उन्हें बीते सालों में ‘सुपरपॉवर’ के तौर पर दिखाया गया। उनके मुताबिक इसी चीज ने उन्हें इंटरव्यू देते समय सीधे कैमरे में देखने के लिए सहज बनाया।

पिछले महीने मिलान में उन्होंने युवा कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में भाषण में विश्व-नेताओं की नकल करके दिखाई। उन्होंने कहा, ‘हम बेहतर बनाएंगे - वगैरह वगैरह वगैरह। विश्व अर्थव्यवस्था -वगैरह वगैरह वगैरह। 2050 तक शून्य उत्सर्जन - वगैरह वगैरह वगैरह। जलवायु निरपेक्ष - वगैरह वगैरह वगैरह। यही वे बातें हैं, हम जो हम अपने तथाकथित नेताओं से सुनते आ रहे हैं। सुनने में तो ये शब्द भारी लगते हैं लेकिन वे कार्रवाइयों मेें नहीं बदल पाते।’

भविष्य में कोई दिक्कत न आए इसलिए ग्रेटा अब शुक्रवार को छूटने वाली अपनी पढ़ाई को व्यवस्थित भी कर रही हैं। हालांकि कोरोना महामरी के चलते बीते काफी समय से पढ़ाई ऑनलाइन ही चल रही थी, इसलिए उसमें समय ज्यादा नहीं लग रहा था।

उनके मुताबिक, ‘मैं कुशल बनने के लिए कोशिश कर रही हूं। जब स्कूल में होती हूं तो पूरा होमवर्क निपटा देती हूं ताकि घर आने पर दूसरे कामों के लिए समय मिल सके। आश्चर्यजनक तौर से मैं दोनों भूमिकाओं को ठीक से संभाल लेती हं।’ दो साल में हाईस्कूल पूरा करने के बाद वह आगे पढ़ाई जारी रखना चाहती हैं क्योंकि उन्हें यही पसंद है।

और स्कूल के बाद क्या ? इस सवाल पर वह कहती हैं, ‘मैं उन लोगों में हूं, जो टाल-मटोल करते रहते हैं। फिर भी देखते हैं कि मैं क्या करती हूं।’