जलवायु

जलवायु परिवर्तन का दंश झेल रहे मछुआरे, एक दशक में 14 करोड़ डॉलर का नुकसान

वैश्विक जलीय कृषि उत्पादन का 91 फीसदी से अधिक वर्तमान में एशिया में उत्पादित किया जाता है, जिसमें बांग्लादेश चीन, इंडोनेशिया, भारत और वियतनाम के बाद विश्व स्तर पर पांचवें स्थान पर है।

Dayanidhi

वैश्विक जलीय कृषि उत्पादन का 91 फीसदी से अधिक वर्तमान में एशिया में उत्पादित किया जाता है, जिसमें बांग्लादेश, चीन, इंडोनेशिया, भारत और वियतनाम के बाद विश्व स्तर पर पांचवें स्थान पर है।

एक नए विश्लेषण से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण एशिया खासकर बांग्लादेश के जलीय कृषि क्षेत्र को एक दशक में 14 करोड़ अमेरिकी डॉलर के बराबर का नुकसान हुआ, जो  जलवायु के बेहतर आंकड़ों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

क्लाइमेट रिस्क मैनेजमेंट में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, बांग्लादेश चरम मौसम की घटनाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, जिसके निकट और भविष्य में बढ़ने का पूर्वानुमान लगाया गया है।

इसमें कहा गया है कि प्रभावी जलवायु संबंधी जानकारियां मछुआरों को ऐसी घटनाओं से होने वाले जलीय कृषि नुकसान को कम करने में मदद कर सकती हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि बाढ़ हैचरी, खुले पानी की मछलियों और झींगा के लिए सबसे अधिक धन संबंधी नुकसान और हर समय खतरा बरकरार रहता है।

2011 से 2020 के बीच, बाढ़ के कारण लगभग 54,000 टन जलीय कृषि उत्पादन का नुकसान हुआ, जिसका मूल्य 9.3 करोड़ अमेरिकी डॉलर के बराबर था। चक्रवात दूसरे सबसे अधिक नुकसानदायक रहे, जिससे कुल 2. 48 करोड़ अमेरिकी डॉलर मूल्य के बराबर 12,000 टन मछली उत्पादों का नुकसान हुआ।

अध्ययन में कहा गया है, जलवायु संबंधी जानकारी जलवायु से होने वाले खतरों को कम करने का एक तरीका हो सकता है जो मछली पालकों के जलवायु को लेकर निर्णय लेने और उत्पादन प्रबंधन प्रक्रियाओं का समर्थन करके जलीय कृषि क्षेत्र को खतरे से मुक्त कर सकती है।

ये सेवाएं जलवायु के आंकड़ों को प्रदान करती हैं जो अनुकूलन, शमन और खतरों के प्रबंधन संबंधी निर्णयों में मदद कर सकती हैं।

विश्लेषण के अनुसार, ग्लोबल साउथ के देश अपने आर्थिक फायदों के बारे में जागरूकता की कमी और फसलों पर ऐसे उपकरणों के उपयोग के कारण जलीय कृषि के लिए जलवायु सेवाओं को विकसित करने में काफी धीमे रहे हैं।

वर्ल्डफिश वैज्ञानिक और प्रमुख अध्ययनकर्ता पीरजादी रुमाना हुसैन ने कहा कि जलीय कृषि में जलवायु सेवाओं का कार्यान्वयन नीति निर्माताओं के समर्थन पर निर्भर करता है।

हुसैन ने  बताया, हमने नीति स्तर पर समावेशन के लिए कुछ प्रस्ताव विकसित करने के लिए बांग्लादेश मत्स्य पालन विभाग के साथ पहले काम किया है।

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश मौसम विज्ञान विभाग द्वारा उत्पन्न जलवायु संबंधी जानकारी को मत्स्य पालन विभाग के माध्यम से पहुंचाया जा सकता है, ताकि क्षेत्र को सलाह देने और जलवायु के कारण होने वाले खतरों का प्रबंधन करने में मदद मिल सके।

हुसैन ने कहा, बड़े पैमाने पर जलवायु सेवाओं को बढ़ाने के लिए देश में जलीय खाद्य प्रणालियों के सभी मूल्य श्रृंखला लोगों को जलवायु संबंधी जानकारी और सलाहकार सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजिटल प्लेटफार्मों की स्थिरता के लिए निजी क्षेत्रों से भागीदारी और निवेश की भी आवश्यकता है।

मछली और मछली आधारित खाद्य पदार्थ बांग्लादेश की आबादी के लिए कुल रोजमर्रा के पशु से मिलने वाले प्रोटीन का 60 प्रतिशत प्रदान करते हैं, जो देश के कमजोर और हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए पोषण और खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि बांग्लादेश के कृषि सकल घरेलू उत्पाद में जलीय कृषि और मत्स्य पालन का योगदान लगभग 26 फीसदी है।

लेकिन जलवायु के कारण होने वाले चरम मौसम की घटनाओं से मछली पालने वाले किसान तेजी से प्रभावित हो रहे हैं, जबकि देश में जलीय कृषि में जलवायु में बदलाव- जैसे अनियमित बारिश, लू और ठंड के दौर के आंकड़े दुर्लभ हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इससे जलवायु के खतरों के प्रबंधन हस्तक्षेपों का मूल्यांकन करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

हुसैन और उनके सह-शोधकर्ताओं ने दक्षिण-पश्चिमी बांग्लादेश में उच्च तापमान और शुष्क मौसम के कारण हैचरी ऑपरेशन में मछलियों का नुकसान देखा।

उन्होंने कहा कि मछली पालने वाले किसानों ने शोधकर्ताओं को बताया कि अगर उन्हें पता होता कि जून में बारिश नहीं होगी और तापमान इतना अधिक यानी, 36 से 40 डिग्री सेल्सियस होगा, तो वह फिंगरलिंग स्टॉकिंग अवधि पहले या बाद में निर्धारित कर सकता था।

पश्चिम बंगाल पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय में मत्स्य संसाधन प्रबंधन के प्रोफेसर सुधीर कुमार दास ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मत्स्य पालन नीति को मत्स्य पालन और जलीय कृषि को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

दास ने बताया, मत्स्य पालन में संकटग्रस्त मछलियों के संरक्षण के साथ-साथ पर्यावरण और सामाजिक विकास पर जोर देने के साथ मत्स्य संसाधनों के उचित प्रबंधन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।