पिछली शताब्दी में वेनेजुएला पहले ही छह अन्य ग्लेशियर खो चुका है।  फोटो साभार: एक्स, एक्सट्रीम टेम्परेचर अराउंड दि वर्ल्ड
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जलवायु संकट: अपने सभी ग्लेशियर खोने वाला दुनिया का पहला देश बन सकता है वेनेजुएला

इस साल मार्च में वेनेजुएला के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी थी कि हम्बोल्ट ग्लेशियर बहुत तेजी से सिकुड़ रहा है, उस समय ग्लेशियर 450 हेक्टेयर से सिकुड़कर अब मात्र दो हेक्टेयर रह गया था।

Dayanidhi

वेनेजुएला आधुनिक इतिहास में अपने सभी ग्लेशियर खोने वाला पहला देश बन सकता है। वैज्ञानिक तरीकों से ऐड्वकसी करने वाले संगठन इंटरनेशनल क्रायोस्फीयर क्लाइमेट इनिशिएटिव (आईसीसी) के मुताबिक, दक्षिण अमेरिकी राष्ट्र का एकमात्र बचा हुआ ग्लेशियर - हम्बोल्ट, या ला कोरोना, एंडीज में - ग्लेशियर के रूप में शामिल किए जाने के लिए बहुत छोटा हो गया है। संगठन ने कहा, इससे वेनेजुएला एंडीज पर्वत श्रृंखला में अपने सभी ग्लेशियर खोने वाला पहला देश बन गया है।

रिपोर्ट में डरहम विश्वविद्यालय की ग्लेशियोलॉजिस्ट ने कहा, 2000 के दशक के बाद से वेनेजुएला के आखिरी ग्लेशियर पर अब बहुत अधिक बर्फ नहीं बची है। उन्होंने कहा, अब इसमें और बर्फ नहीं पड़ रही है, इसलिए इसे बर्फ वाले हिस्से के रूप में फिर से वर्गीकृत किया गया है।

उल्लेखनीय है कि पिछली शताब्दी में वेनेजुएला कम से कम छह अन्य ग्लेशियर खो चुका है और इस साल मार्च में वेनेजुएला के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी थी कि हम्बोल्ट ग्लेशियर बहुत तेजी से सिकुड़ रहा है। उस समय ग्लेशियर 450 हेक्टेयर से सिकुड़कर अब मात्र दो हेक्टेयर रह गया था। अब, विशेषज्ञों के अनुसार, यह उससे भी कम रह गया है।

ग्लेशियर बर्फ के बड़े ढेर होते हैं जो सदियों से बर्फ के जमाव के कारण बनते हैं। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के अनुसार, वे आम तौर पर वहां  मौजूद होते हैं जहां औसत वार्षिक तापमान लगभग शून्य से नीचे पहुंच जाता है और सर्दियों में होने वाली वर्षा के कारण बर्फ बड़ी मात्रा में जमा होती है। ग्लेशियर विकास का एक अहम पहलू यह है कि साल के बाकी समय के दौरान तापमान पिछले सर्दियों में जमा बर्फ के पूरी तरह से नष्ट नहीं होनी चाहिए, इसी तरह ग्लेशियरों का रखरखाव होता है तो वे बढ़ते हैं।

मिनेसोटा विश्वविद्यालय के भूवैज्ञानिक और शोधकर्ता ने रिपोर्ट के हवाले से बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि के साथ, बर्फ के बड़ी मात्रा में पिघलना एक सतत घटना है जो अन्य बातों के अलावा, दुनिया भर में समुद्र के स्तर को बढ़ाने के लिए भी जिम्मेवार है।

उन्होंने आगे कहा यह एक ग्लेशियर चक्र का अंत है। अंतर-उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में, मूल रूप से 5,000 मीटर से नीचे, लगभग सभी ग्लेशियर गायब हो रहे हैं। हम्बोल्ट का मामला विशेष था क्योंकि यह 4,800 मीटर पर है और फिर भी यह काफी लंबे समय तक बना रहा तथा यह एक जलवायु विसंगति की घटना है।

रिपोर्ट के अनुसार, हम्बोल्ट ग्लेशियर का मामला अकेला नहीं है। दुनिया भर में ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं और कुछ तो विशेषज्ञों की भविष्यवाणी से भी अधिक तेजी से गायब हो रहे हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार ग्लेशियर का पिघलना आगे के अध्ययन का एक अवसर भी है। वेनेजुएला में ग्लेशियर का खत्म होना इस क्षेत्र में एक नई प्रक्रिया की शुरुआत है और एक ऐसी घटना है जिसकी जांच करना जरूरी है।