मिस्र के शर्म अल-शेख में जलवायु परिवर्तन पर चल रहे शिखर सम्मेलन (कॉप-27) के दौरान संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने आगाह किया है कि इस साल दुनिया भर में करीब 2.77 करोड़ बच्चे भीषण बाढ़ की चपेट में आए हैं। इसके चलते उनका भविष्य खतरे में है। यूनिसेफ द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार पाकिस्तान, चाड, गाम्बिया और पूर्वोत्तर बांग्लादेश में पिछले 30 वर्षों में बाढ़ प्रभावित बच्चों की संख्या अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
देखा जाए तो इस साल बाढ़ की चपेट में आए करीब तीन करोड़ बच्चों पर न केवल डूबने का खतरा मंडरा रहा है, बल्कि साथ ही वो इसके कारण पैदा हुई बीमारियों, साफ पानी की कमी, कुपोषण, हिंसा और शिक्षा जैसी समस्याओं से भी जूझ रहे हैं।
इस बारे में कॉप-27 में यूनिसेफ का प्रतिनिधित्व कर रही पालोमा एस्कुडेरो का कहना है कि, “इस वर्ष दुनिया भर में हमने बाढ़ के अभूतपूर्व स्तर को देखा है, जिसके कारण बच्चों पर संकट बढ़ गया है।“उनके अनुसार जलवायु संकट यहां पहुंच चुका है। कई जगहों पर बाढ़ के हालात इतने बदतर है जितने पहले कभी नहीं देखे गए। बच्चे पहले ही उस स्तर पर पीड़ा का अनुभव कर रहे हैं जितनी बाढ़ से पीड़ा उनके अभिभावकों ने पहले कभी नहीं झेली।
यूनिसेफ के अनुसार बाढ़ के बाद उपजी परिस्थितियां, उन चरम मौसमी घटनाओं की तुलना में कहीं ज्यादा घातक हैं जो बाढ़ की वजह बनती है। पता चला है कि 2022 में बाढ़ के कारण बच्चों में कुपोषण, मलेरिया, हैजा और दस्त जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ा है।
पाकिस्तान में बाढ़ से प्रभावित हुई है 20 लाख बच्चों की शिक्षा
यूनिसेफ द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान में सिंध और बलूचिस्तान के बाढ़ प्रभावित इलाकों में बड़ी संख्या में बच्चे कुपोषण का शिकार पाए गए थे। वहां हर नौ में से एक बच्चा कुपोषण से गंभीर रुप से पीड़ित पाया गया था। इसके साथ ही वहां हाल ही में आई बाढ़ ने करीब 27 हजार स्कूलों को नुकसान पहुंचाया है, जिसकी वजह से करीब 20 लाख बच्चों की शिक्षा पर असर पड़ा है।
अफ्रीकी देश चाड में आई बाढ़ से करीब 4.65 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि प्रभावित हुई है जिससे खाद्य सुरक्षा की स्थिति गंभीर हो गई है। इसी तरह हाल के महीनों में नाइजीरिया में आई बाढ़ से करीब 8.4 बच्चे को विस्थापन की पीड़ा झेलनी पड़ी है।
मलावी में जनवरी 2022 में आए उष्णकटिबंधीय तूफान 'एना' और उसके कारण आई बाढ़ के चलते साफ पानी और स्वच्छता पर व्यापक असर पड़ा है। इसकी वजह से हैजे का प्रकोप फैल गया था जिसने 203 लोगों की जिंदगियों को लील लिया था, इनमें 28 बच्चे भी शामिल था। जानकारी मिली है कि वहां अब तक 1,631 बच्चे हैजे से संक्रमित हो चुके हैं।
ऐसी ही परिस्थितियां दक्षिण सूडान में भी देखी गई हैं जहां 95 स्कूलों में यूनिसेफ समर्थित पोषण केंद्र बाढ़ प्रभावित हुए हैं, जिससे 92 हजार बच्चों के लिए जीवन रक्षक और कुपोषण की रोकथाम के लिए जरूरी सेवाओं पर असर पड़ा है। इसी तरह यमन में भी भारी बारिश और बाढ़ से आश्रय स्थलों को व्यापक नुकसान पहुंचा है। इसकी वजह से 73,854 लोग प्रभावित हुए हैं और 24 हजार को विस्थापन का सामना करना पड़ा है।
यूनिसेफ प्रतिनिधिमंडल की प्रमुख पालोमा एस्कुडेरो ने कॉप-27 सम्मेलन को एक ऐसा अवसर बताया है, जिसकी मदद से जलवायु अनुकूलन और ‘हानि व क्षति’ के मुद्दे को हल करने के लिए जरूरी फण्ड एकत्र करने की दिशा में विश्वसनीय रोडमैप तैयार किया जा सकता है।
ऐसे में यूनिसेफ ने सरकारों और बड़े व्यवसायों से उत्सर्जन में तेजी से कमी करने का आग्रह किया है। साथ ही नेताओं से अपील की है कि बच्चों को जलवायु संकट से बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है। इसके लिए बाढ़ और सूखे के दौरान जरूरी सेवाओं जैसे जल, स्वास्थ्य व शिक्षा प्रणालियां को मजबूत करने की बात कही है जिससे लोगों का जीवन बचाया जा सके और उनकी उम्मीदों को जीवित रखा जा सके।
यूनिसेफ ने याद दिलाया है कि पिछले साल विकसित देशों ने जलवायु अनुकूलन को सशक्त करने के लिए दिए जा रहे फण्ड को 2025 तक दोगुना यानी हर वर्ष 40 अरब डॉलर किए जाने पर सहमति जताई थी। ऐसे में वो इसे कैसे पूरा करेंगें इस बारे में विकसित देशों को कॉप-27 के दौरान विश्वसनीय रोडमैप प्रस्तुत करने की जरूरत है। ऐसे में यूनीसेफ ने सभी पक्षों से जलवायु घटनाओं के कारण होने वाली 'हानि व क्षति' से जूझ रहे समुदायों की मदद करने और इससे बचाव के समाधानों को ढूंढने की अपील की है।