जलवायु

जलवायु संकट: फरवरी में लगातार नौवें महीने बढ़ते तापमान ने तोड़े रिकॉर्ड, 1.4 डिग्री ज्यादा रहा तापमान

वैज्ञानिकों ने इस बात की 45 फीसदी आशंका जताई है कि 2024 जलवायु इतिहास का अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा

Lalit Maurya

175 वर्षों के जलवायु रिकॉर्ड में अब तक का सबसे गर्म फरवरी 2024 में दर्ज किया गया है। इसकी पुष्टि नेशनल ओसेनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन (एनसीईआई) से जुड़े वैज्ञानिकों ने भी की है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक फरवरी 2024 में भूमि और महासागरों की सतह का वैश्विक औसत तापमान 20वीं सदी में फरवरी के दौरान दर्ज औसत तापमान से 1.4 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है, जो उसे अब तक की सबसे गर्म फरवरी बनाता है। बता दें कि यूरोप की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) ने भी फरवरी 2024 को अब तक की सबसे गर्म फरवरी घोषित किया था।

हालांकि उनकी गणना जमीन के पास हवा के औसत तापमान पर आधारित थी। कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के मुताबिक फरवरी 2024 में  बढ़ता तापमान औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.77 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था।

वहीं यदि पिछले नौ महीनों को देखें तो कोई भी महीना ऐसा नहीं रहा जब बढ़ते तापमान ने नए रिकॉर्ड न बनाए हों। बता दें कि इससे पहले जनवरी 2024 में बढ़ता तापमान औद्योगिक काल (1850 से 1900) से पहले की तुलना में 1.66 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया था, जो इसे अब तक की सबसे गर्म जनवरी बनाता है।

नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन से जुड़े वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि की है कि दिसंबर 2023 से फरवरी 2024 की अवधि दोनों गोलार्धों के लिए अब तक की सबसे गर्म अवधि थी। इस दौरान वैश्विक स्तर पर सतह का वैश्विक औसत तापमान बीसवीं सदी के औसत से 1.36 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया।

गहराते जा रहे हैं जलवायु में आते बदलावों के निशान

वहीं यदि क्षेत्रीय तौर पर महाद्वीपों के आधार पर देखें तो जहां यूरोप, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका ने 2024 में अब तक की सबसे गर्म फरवरी का सामना किया था, जबकि अफ्रीका के लिए यह अब तक का दूसरा सबसे गर्म फरवरी का महीना था। इसी तरह उसने दिसंबर से फरवरी 2024 के बीच अपने दूसरे सबसे गर्म मौसम का सामना किया था।

वहीं यदि एशिया की बात करें तो उसने अब तक की 26वीं सबसे गर्म फरवरी का सामना किया था। वहीं पिछले तीन महीनों का तापमान उसे अब तक के 10वां सबसे गर्म सर्दियों का मौसम बनाता है। वहीं कैरिबियन क्षेत्र ने अपनी सबसे गर्म सर्दियों का सामना किया।

इस बारे में जारी रिपोर्ट के मुताबिक जहां जापान ने अपनी दूसरी सबसे गर्म सर्दियों का सामना किया। वहीं ऑस्ट्रेलिया के लिए यह तीसरी सबसे गर्म गर्मियां थी। यदि चरम मौसमी घटनाओं को देखें तो इक्वेडोर में भारी बारिश के बाद आई बाढ़ ने उत्तर और पश्चिमी इक्वेडोर में भारी तबाही मचाई थी। इसी तरह उत्तरी मेडागास्कर में भी भारी बारिश के चलते आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी। इससे 12 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे।

वहीं यदि सिर्फ 2024 के शुरूआती दोनों महीनों जनवरी और फरवरी 2024 की बात करें तो यह जलवायु इतिहास की अब तक की सबसे गर्म अवधि है। वैज्ञानिकों ने इस बात की भी आशंका जताई है कि इस बात के 45 फीसदी आशंका है कि 2024, पिछले 175 वर्षों के जलवायु इतिहास का अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा। वहीं 2024 के अब तक के पांच सबसे गर्म वर्षों में शुमार होने की आशंका 99 फीसदी है। जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि बढ़ता तापमान किस कदर हावी होता जा रहा है।

इसी तरह यदि समुद्री बर्फ के विस्तार को देखें तो वो पिछले 46 वर्षों के रिकॉर्ड में चौथा सबसे छोटा था। जो 1991 से 2020 के औसत से 460,000 वर्ग मील कम दर्ज किया गया। फरवरी में आर्कटिक में जमा समुद्री बर्फ का विस्तार औसत से थोड़ा कम (100,000 वर्ग मील) दर्ज किया गया। वहीं अंटार्कटिक में समुद्री बर्फ का यह विस्तार औसत से 370,000 वर्ग मील कम रहा, जो उसे रिकॉर्ड पर दूसरा सबसे छोटा विस्तार बनाता है।

यदि उष्णकटिबंधीय तूफानों की बात करें तो फरवरी में वैश्विक स्तर पर ग्यारह नामित तूफान आए थे, जो 1991-2020 औसत से अधिक है। हालांकि इनमें से केवल दो तूफान जमीन से टकराए थे। इन दोनों की वजह से उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में तेज हवाएं दर्ज की गई थी।