जलवायु

जलवायु संकट: बदलते मौसम के बीच ओडिशा, तेलंगाना में समय से पहले लगी आम में बौर

Akshit Sangomla, Lalit Maurya

दिसंबर के तीसरे सप्ताह से ही तेलंगाना और ओडिशा में आम के पेड़ में बौरों का आना शुरू हो गया है, जो देखा जाए तो इसके सामान्य समय से कम से कम एक महीने पहले है। विशेषज्ञों के अनुसार इसके लिए बेमौसम बारिश और सामान्य से ज्यादा गर्म होती सर्दियों जिम्मेवार हो सकती है। देखा जाए तो बेमौसम बारिश और गर्म होती सर्दियां दोनों ही जलवायु में आते बदलावों के निशान हैं।

बैंगलोर स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में इकोलॉजी के प्रोफेसर एमडी सुभाष चंद्रन ने इस बारे में डाउन टू अर्थ (डीटीई) को बताया कि "आमतौर पर इस समय दक्षिणी केरल में आम के पेड़ों में फूल आना शुरू हो जाता है।" उनके अनुसार ऐसा इसलिए है क्योंकि फूलों को गर्मी और नमी की आवश्यकता होती है, जो इस अवधि के दौरान केरल में होती है।

यहां से फूलों के खिलने का सिलसिला शुरू होता है जो समय के साथ उत्तर की ओर बढ़ता जाता है, और अंत में उत्तर पश्चिमी  भारत में बौर लगने का यह सिलसिला खत्म होता है। उनके अनुसार आम के पेड़ों पर लगने वाली बौर भी इसी दक्षिण से उत्तर के पैटर्न का अनुसरण करती है।

देखा जाए तो तेलंगाना और ओडिशा जैसे प्रायद्वीपीय क्षेत्र के उत्तरी भागों में, यह आमतौर पर शुष्क अवधि होती है। ऐसे में यहां बौरों का लगना जल्दी और अत्यधिक असामान्य है। यदि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो, 8 से 14 दिसंबर, 2022 के बीच तेलंगाना के 33 में से 16 जिलों में भारी बारिश हुई थी।

आईएमडी ने जानकारी दी है कि संगारेड्डी जिले में जहां डीटीई ने बौरों को देखा है, वहां सामान्य से 735 फीसदी ज्यादा बारिश हुई थी। इस तरह की भारी बारिश और उसके बाद नमी, आम के पेड़ों को समय से पहले फूलने के लिए प्रेरित करती है।

पेड़ों को भी लगता है कि यह मौसम फूलों के लगने के लिए अनुकूल है। ऐसे में यह बेमौसम होने के बावजूद पेड़ों में बौर लगने का सिलसिला शुरू होने लगता है। आमतौर पर फूल लगने का सिलसिला मौसम की सबसे सर्द अवधि के समाप्त होने के बाद शुरू होता है, जब बसंत की शुरुआत होती है।

गौरतलब है कि यह इस बात को दर्शाता है कि तेलंगाना और ओडिशा में साल की यह अवधि सामान्य से कहीं ज्यादा गर्म है। प्रोफेसर चंद्रन का भी कहना है कि "बेमौसम बारिश के अलावा गर्म तापमान भी आम के पेड़ों में बौर लगने को प्रेरित कर सकता है।"

मार्च 2016 में जर्नल इकोलॉजी एनवायरनमेंट एंड कंजर्वेशन में प्रकाशित एक शोध से पता चला है कि जलवायु में आते बदलावों के चलते आम के पेड़ों में समय से पहले और बाद में बौरों का लगना उसकी एक विशेषता है।

रिपोर्ट के मुताबिक किसी क्षेत्र की जलवायु आम के लिए उपयुक्त है या नहीं यह दो सबसे महत्वपूर्ण कारकों उस क्षेत्र में हवा के तापमान और बारिश पर निर्भर करता है। ऐसे में यदि तापमान और बारिश में यदि बदलाव आता है तो वो पौधों की वृद्धि और विकास की गति और समय को प्रभावित करता है।

ऐसे में वैज्ञानिकों का तर्क है कि जलवायु परिवर्तन से पौधों के विकास के पैटर्न और अप्रत्यक्ष रूप उनकी वानस्पतिक और प्रजनन प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकता है, जिससे उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता घट जाती है।

इसी तरह असामान्य रूप से विभिन्न क्षेत्रों में इस बार फरवरी में ही आम के पेड़ों में बौरों का लगना देखा गया था। बौरों के लगने की यह गति भी काफी तेज थी। वहीं कुछ स्थानों पर कई पेड़ों में बौरों के साथ फल लगने की भी जानकारियां सामने आई हैं। इस बारे में डीटीई में प्रकाशित रिपोर्ट से पता चला है कि यह आने वाले तूफानी मौसम और तेज गर्मी का संकेत है। गौरतलब है कि विशेषज्ञों के एक वर्ग का मानना है कि मौजूदा शुरुआती फूल भी इसी तरह की स्थिति का संकेत देते हैं।