जलवायु

जलवायु में आ रहे बदलाव से बदल रहा है बादलों का व्यवहार

बादलों का ठंडा या गर्म होने का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि वे कितनी ऊंचाई पर हैं।

Dayanidhi

वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने अटलांटिक द्वीप के पास क्यूम्यलस बादलों के इलाकों और अन्य जगहों के आंकड़े एकत्र कर उनका विश्लेषण किया। विश्लेषण के बाद वैज्ञानिकों ने कहा कि जलवायु के गर्म होने में इन बादलों की भूमिका के बारे में फिर से मूल्यांकन किया जाना चाहिए। इस शोध की अगुवाई यूनिवर्सिटी हैम्बर्ग के सेंटर फॉर अर्थ सिस्टम रिसर्च एंड सस्टेनेबिलिटी (सीईएन) के डॉ. रफाएला वोगेल ने की है।

वायुमंडलीय वैज्ञानिक वोगेल कहते हैं कि ट्रेड विंड या हवाएं बादलों को उड़ाकर दुनिया भर में जलवायु प्रणाली को प्रभावित करते हैं, लेकिन आंकड़े इस तरह की प्रक्रिया को पहले की तुलना में अलग तरह से प्रदर्शित करते हैं। नतीजतन, पृथ्वी के तापमान में अत्यधिक वृद्धि की संभावना कम है। हालांकि भविष्य के जलवायु परिदृश्यों को अधिक सटीक रूप से पेश करने के लिए यह पहलू बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन निश्चित रूप से इसका मतलब यह नहीं है कि हम जलवायु संरक्षण पर पीछे हट जाएं।

यह सुनिश्चित करने के लिए, कई जलवायु मॉडल ने विंड ट्रेड बादलों में एक बड़ी कमी का सिमुलेट या अनुकरण किया है, जिसका अर्थ होगा कि उनका ठंडा करने के अधिकतर काम का नुकसान हो जाएगा और इसके परिणामस्वरूप वातावरण और भी अधिक गर्म हो जाएगा। नए आंकड़ों से पता चलता है कि ऐसा होने की संभावना नहीं है।

यह निश्चित है कि जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, समुद्र की सतह पर अधिक पानी वाष्पित हो जाता है और ट्रेड विंड बादलों के आधार के पास नमी बढ़ जाती है। इसके विपरीत, बादलों के ऊपरी भाग में वायु घनत्व बहुत शुष्क हो जाता है और नमी थोड़ी कम हो जाती हैं। इससे ऊपर और नीचे की नमी में काफी अंतर  होता है।

वायु घनत्व के मिश्रित होने पर वातावरण में यह दूर हो जाता है। पिछली परिकल्पना के मुताबिक शुष्क हवा को नीचे की ओर ले जाता है, जिससे बादल की बूंदें अधिक तेजी से वाष्पित हो जाती हैं और इस बात की अधिक संभावना होती है कि बादल छट  जाएंगे।

अब पहली बार अवलोकन संबंधी आंकड़ों को मजबूती से सामने रखा गया है, जिसमें ऊर्ध्वाधर मिश्रण वास्तव में कितना स्पष्ट है और यह नमी और बादलों के आवरण को कैसे प्रभावित करता है। इस प्रकार, यह एक ऐसी प्रक्रिया को उजागर करने वाले पहले आंकड़े है जो जलवायु परिवर्तन को समझने के लिए आवश्यक है।

अधिक सघन मिश्रण निचली परतों को शुष्क नहीं बनाता है या बादलों को गायब नहीं करता है। बल्कि, आंकड़ों से पता चलता है कि ऊर्ध्वाधर मिश्रण या वर्टिकल मिक्सिंग बढ़ने से बादलों का आवरण वास्तव में बढ़ता है।

वोगेल कहते हैं, यह अच्छी खबर है, क्योंकि इसका मतलब है कि ट्रेड-विंड क्लाउड अथवा हवा द्वारा बादलों को दूर ले जाने से ये बढ़ते तापमान के प्रति बहुत कम संवेदनशील हैं। हमारे नए अवलोकन और निष्कर्षों के साथ, अब हम सीधे परीक्षण कर सकते हैं कि वास्तविक रूप से जलवायु मॉडल ट्रेड-विंड क्लाउड की घटना को कैसे चित्रित करते हैं।

इस संबंध में, उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले जलवायु मॉडल की एक नई पीढ़ी जो दुनिया भर में बादलों की गतिशीलता का अनुकरण कर सकती है। एक किलोमीटर के पैमाने के पर अच्छी तरह से काम कर सकती है। यह स्पष्ट है कि भविष्य के अनुमान अधिक सटीक और विश्वसनीय होंगे।

महीने भर चलने वाले क्षेत्र अभियान को टीम के सदस्यों द्वारा दो शोध विमानों के साथ डिजाइन किया गया था, जिसमें विभिन्न उपकरण लगे थे और अलग-अलग ऊंचाई पर संचालित थे।

नौ किलोमीटर की ऊंचाई से सैकड़ों वायुमंडलीय जांच करने के लिए एक विमान का इस्तेमाल किया गया था। जांच ने तापमान, नमी, दबाव और हवा के वायुमंडलीय आंकड़े एकत्र किए। दूसरे विमान ने 800 मीटर की ऊंचाई पर अपने आधार पर बादलों का सर्वेक्षण किया, जबकि जहाज ने सतह-आधारित माप ली।

इस सब से एक अभूतपूर्व डेटाबेस बना जो जलवायु प्रणाली में बादलों की अस्पष्ट भूमिका को समझने में मदद करेगा तथा भविष्य के जलवायु परिवर्तन में उनकी भूमिका का अधिक सटीक अनुमान लगाने में मदद करेगा।

बादलों का ठंडा या गर्म होने का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि वे कितनी ऊंचाई पर हैं। दो से तीन किलोमीटर की अधिकतम ऊंचाई के साथ, यहां जांचे जाने वाले ट्रेड-विंड क्लाउड तुलनात्मक रूप से कम हैं, सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करते हैं और इस प्रक्रिया के तहत वे वातावरण को ठंडा करते हैं। इसके विपरीत, बहुत अधिक ऊंचाई वाले बादल जलवायु को गर्म करते हुए ग्रीनहाउस प्रभाव को बढ़ाते हैं। यह शोध नेचर नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।