जलवायु

जलवायु संकट: 2023 में दर्ज किया गया 174 वर्षों के जलवायु इतिहास का तीसरा सबसे गर्म मई

बढ़ते तापमान के निशान स्पष्ट तौर पर दर्शाते हैं कि जलवायु में आते बदलावों के चलते दिन-प्रतिदिन मानवता के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है

Lalit Maurya

आज बढ़ता तापमान मानवता के लिए बड़ा खतरा बन गया है। हालांकि इसके जिम्मेवार भी हम इंसान ही हैं। हर दिन जलवायु रिकॉर्ड के बनने बिगड़ने की जानकारी सामने आ रही है, जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि दिन प्रतिदिन स्थिति किस तरह खराब होती जा रही है।

ऐसा ही कुछ मई में भी सामने आया है जब 2023 में यह महीना जलवायु इतिहास के तीसरे सबसे गर्म मई के रूप में दर्ज हो गया है। इस बारे में नेशनल ओसेनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन (एनसीईआई) द्वारा जारी नई रिपोर्ट से पता चला है कि इस बार मई का महीना सामान्य से 0.97 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म था।

यह लगातार 47वां मई है जब तापमान 20वीं सदी के औसत तापमान से ज्यादा दर्ज किया गया है। इसी तरह 531 महीनों में कभी भी तापमान सदी के औसत तापमान से नीचे नहीं गया है। देखा जाए तो जिस तरह से वैश्विक स्तर पर जलवायु में बदलाव आ रहे हैं उसके साथ ही बढ़ता तापमान नए रिकॉर्ड बना रहा है।

गौरतलब है कि इससे पहले मई 2016 जोकि एक अल नीनो वर्ष भी था। अब तक का सबसे गर्म मई का महीना था। जब औसत तापमान सामान्य से 0.99 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इसी तरह 2020 में दूसरा सबसे गर्म मई का महीना दर्ज किया गया था। आंकड़ों की मानें तो जलवायु रिकॉर्ड के दस सबसे गर्म मई 2010 के बाद ही दर्ज किए गए हैं।

इसी तरह पिछला अप्रैल का महीना भी अब तक का चौथा सबसे गर्म अप्रैल था। जब तापमान सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया था। इसी तरह मार्च 2023 में भी तापमान सामान्य से 1.24 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था, जो उसे इतिहास का दूसरा सबसे गर्म मार्च बनता है।

वहीं फरवरी का महीना भी जलवायु रिकॉर्ड का चौथा सबसे गर्म फरवरी का महीना था, जब तापमान सामान्य से 0.97 डिग्री सेल्सियस ज्यादा हो गया था। इसी तरह जनवरी का महीना भी जलवायु इतिहास का सातवां सबसे गर्म जनवरी का महीना था।  

यदि क्षेत्रीय तौर पर देखें तो जहां उत्तरी और दक्षिण अमेरिका दोनों ही महाद्वीपों में मई के दौरान तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। वहीं एशिया, अफ्रीका और यूरोप सभी ने अपने 20 सबसे गर्म महीनों में से एक को दर्ज किया था। यदि ओशिनिया से जुड़े आंकड़ों को देखें तो इस क्षेत्र ने 2011 के बाद अब तक के अपने सबसे ठन्डे मई को दर्ज किया था।   

न्यूजीलैंड में दर्ज किया गया अब तक का सबसे गर्म मई

वहीं यदि देशों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो जहां पाकिस्तान ने दूसरी बार मई के महीन में इतनी ज्यादा बारिश देखी है। वहीं इसके उलट ऑस्ट्रेलिया में यह दूसरा मौका है जब इतना सूखा मई दर्ज किया गया है। वहीं न्यूजीलैंड ने भी अपने अब तक के सबसे गर्म मई को अनुभव किया था।

इस तरह मेक्सिको की खाड़ी के लिए भी दूसरा सबसे गर्म मई था। वहीं अमेरिका को देखें तो उसने अब तक के अपने 11वें सबसे गर्म मई को दर्ज किया। इसी तरह आर्कटिक ने भी अपने पांचवें सबसे गर्म मई के महीने को अनुभव किया था। वहीं अंटार्कटिका में मई का महीना इस बार औसत से अधिक ठंडा रहा।

कनाडा को देखें तो उसके जंगलों में सैकड़ों आग की घटनाएं दर्ज की गई हैं। आग की इन घटनाओं में 60 लाख एकड़ में फैले जंगल जल कर राख हो गए हैं। जंगल में लगी इस भीषण आग के चलते कनाडा और अमेरिका में वायु प्रदूषण की स्थिति खराब हो गई थी।

ऐसा नहीं ही की जमीन पर ही तापमान में वृद्धि हो रही है। लगातार दूसरे महीने वैश्विक स्तर पर महासागरों की सतह का तापमान भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। गौरतलब है कि कुछ समय पहले भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में बढ़ते तापमान के चलते एनओएए अल नीनो के आगमन की सूचना दे चुका है।

इसी तरह जनवरी से मई 2023 के औसत तापमान को देखें तो वो इतिहास की चौथी सबसे गर्म अवधि थी जब तापमान सामान्य से 1.01 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया। वहीं यदि मार्च से मई की अवधि को देखें तो उत्तरी गोलार्ध और दक्षिणी गोलार्ध दोनों ही जगह तापमान सामान्य से ज्यादा था। जहां इस बार उत्तरी गोलार्ध में इस बार बसंत सामान्य से 1.29 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। वहीं दक्षिणी गोलार्ध में सर्दियां का तापमान सामान्य से 0.83 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रिकॉर्ड किया गया।

यदि एनसीईआई द्वारा वैश्विक वार्षिक तापमान को लेकर जारी रिपोर्ट की मानें तो इस बात की 99 फीसदी आशंका है कि 2023 इतिहास के दस सबसे गर्म वर्षों में शामिल होगा। वहीं इस बात की करीब 89 फीसदी आशंका है कि वो शीर्ष पांच सबसे गर्म वर्षों में से एक होगा।

इसी तरह यदि ध्रुवों पर जमा समुद्री बर्फ की स्थिति को देखें तो यह दूसरा मौका है जब मई के महीने में वहां समुद्री बर्फ की सीमा इतनी कम दर्ज की गई है। इससे पहले 2019 में मई में इतनी कम समुद्री बर्फ देखी गई थी। अंटार्कटिक से जुड़े आंकड़ों को देखें तो वहां मई के महीने में कभी भी इतनी कम समुद्री बर्फ नहीं देखी गई थी। जो सामान्य से 750,000 वर्ग मील कम थी। इसी तरह आर्कटिक ने भी 13वीं सबसे कम समुद्री बर्फ की सीमा को दर्ज किया था। जो सामान्य से करीब 40,000 वर्ग मील कम थी।

यदि चक्रवातों की बात करें तो मई कही ज्यादा सक्रिय महीना था। इस दौरान दुनिया भर में तीन तूफान दर्ज किए गए थे। इनमें से सभी गंभीर श्रेणी के थे जिनकी गति  111 मील प्रति घंटे या उससे ज्यादा थी। वहीं दो तूफान श्रेणी 5 तक पहुंच गए थे।