जलवायु

जलवायु संकट: 2023 में दर्ज किया गया इतिहास का चौथा सबसे गर्म अप्रैल

कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के मुताबिक इस साल अप्रैल का औसत तापमान 1991 से 2020 के औसत तापमान से 0.32 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म रिकॉर्ड किया गया, वहीं भारत में तापमान औसत से कम रहा

Lalit Maurya

इतिहास का चौथा सबसे गर्म अप्रैल इस साल 2023 में दर्ज किया गया है। इस बारे में कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2023 का औसत तापमान 1991 से 2020 के औसत तापमान से 0.32 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म था। वहीं इससे पहले अप्रैल 2022, 143 वर्षों के जलवायु इतिहास में पांचवा सबसे गर्म अप्रैल था, जब तापमान सामान्य से 0.85 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया था।

कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस यूरोपियन यूनियन के अर्थ ऑब्जरवेशन प्रोग्राम का हिस्सा है। देखा जाए तो इस साल अप्रैल का औसत तापमान 2016 में अप्रैल के तापमान से करीब 0.2 डिग्री सेल्सियस कम रहा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 2016 जलवायु इतिहास का अब तक का सबसे गर्म वर्ष था। 

इस बारे में सी3एस की उप निदेशक सामंथा बर्गेस का कहना है कि अप्रैल के दौरान स्पेन और पुर्तगाल में असाधारण रूप से गर्म तापमान देखा गया। जहां परिस्थितियां बेहद शुष्क थी।" उनके मुताबिक दक्षिणी यूरोप में लू के अलावा भूमध्यरेखीय पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में तापमान औसत से ऊपर दर्ज किया गया, जो कहीं न कहीं अल नीनो के संभावित बदलावों का प्रारंभिक संकेत देता है। गौरतलब है कि अल नीनो अक्सर वैश्विक तापमान में वृद्धि की वजह बनता है।

हालांकि रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में स्थान के आधार पर तापमान में काफी भिन्नता देखी गई। जहां दक्षिण-पश्चिम यूरोप में तापमान औसत से ऊपर था और स्पेन और पुर्तगाल ने अप्रैल में अब तक के सबसे अधिक तापमान को दर्ज किया। वहीं यूनाइटेड किंगडम से दक्षिण-पूर्व यूरोप तक फैले एक बैंड में भी तापमान औसत से ज्यादा रहा।

भारत सहित कई देशों में औसत से ठंडा रहा तापमान

इसी तरह अफ्रीका के कुछ हिस्से, मध्य एशिया में कैस्पियन सागर के आसपास, दक्षिण पूर्व एशिया और जापान के साथ-साथ उत्तरी अमेरिका में भी तापमान औसत से ज्यादा गर्म था। वहीं दूसरी तरफ भारत, अलास्का, मंगोलिया, अरब प्रायद्वीप और ऑस्ट्रेलिया में तापमान औसत से ज्यादा ठंडा रहा।

यदि बारिश की स्थिति को देखें तो अप्रैल 2023 में ब्रिटेन, फ्रांस और आयरलैंड से पश्चिम से पूर्व के एक बड़े क्षेत्र में मौसम औसत से अधिक गीला था। यही स्थिति पूरे मध्य यूरोप से लेकर इतालवी प्रायद्वीप, बाल्कन और काला सागर तक रही। वहीं दूसरी तरफ आल्प्स के दक्षिण में इबेरियन प्रायद्वीप और भूमध्यसागरीय फ्रांस के क्षेत्रों में असाधारण रूप से शुष्क  परिस्थितियां दर्ज की गई। इसके अलावा उत्तर-पश्चिमी स्कैंडिनेविया, बाल्टिक देश और पश्चिमी रूस का अधिकांश हिस्सा औसत से ज्यादा शुष्क थे।

इसी तरह अप्रैल 2023 के दौरान अमेरिका और पश्चिमी रूस के बड़े हिस्से में मौसम औसत से अधिक सूखा था। इसी तरह पूर्व में कैस्पियन सागर के साथ-साथ उष्णकटिबंधीय दक्षिण-पूर्व एशिया में भी औसत से ज्यादा सूखा था। कुछ ऐसी ही स्थिति हॉर्न ऑफ अफ्रीका, दक्षिणी अफ्रीका के अधिकांश हिस्सों, अर्जेंटीना और ब्राजील के कुछ हिस्सों में भी दर्ज की गई।

वहीं दक्षिण-पूर्वी अमेरिका, पूर्वी एशिया के हिस्सों के साथ उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और तंजानिया में औसत से ज्यादा बारिश हुई। वहीं यदि ध्रुवों पर जमा बर्फ को देखें तो अंटार्कटिक में समुद्री बर्फ का विस्तार औसत से 19 फीसद कम था। देखा जाए तो अप्रैल में यह तीसरा मौका है जब वहां जमा बर्फ की सीमा इतनी कम दर्ज की गई है।

इसी तरह कुछ हिस्सों को छोड़ दें तो दक्षिणी महासागर के ज्यादातर क्षेत्रों में समुद्री बर्फ की मात्रा औसत से बहुत कम थी। वहीं आर्कटिक में जमा समुद्री बर्फ का विस्तार औसत से तीन फीसदी कम दर्ज किया गया। जो उसे रिकॉर्ड में अप्रैल के दौरान जमा बर्फ की दसवीं सबसे कम बर्फ की सीमा बनाता है। इसी तरह ग्रीनलैंड को छोड़कर आर्कटिक महासागर के अधिकांश हिस्सों में समुद्री बर्फ की मात्रा औसत से कम थी।

देखा जाए तो तापमान में होती वृद्धि, बारिश के पैटर्न में आता बदलाव और ध्रुवों पर घटती बर्फ एक बार फिर इस ओर इशारा करती है कि हमारी धरती बहुत तेजी से गर्म हो रही है। ऐसे में यदि उत्सर्जन की रोकथाम के लिए अभी ठोस कदम न उठाए गए तो भविष्य में स्थिति कहीं ज्यादा खराब हो सकती है।