जलवायु

असम के राज्य पक्षी को विलुप्त होने की ओर धकेल रहा है जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन के पड़ने वाले प्रभावों के चलते 2070 तक 436.61 वर्ग किलोमीटर आवास का अधिकतर हिस्सा नष्ट हो जाएगा।

Dayanidhi

असम का राज्य पक्षी, व्हाइट-विंग्ड वुड डक (एसारकोर्निस स्कुटुलाटा) या सफेद पंखों वाला वुड बत्तख, जिसे स्थानीय रूप से देव हान या दिव्य पक्षी कहा जाता है। यह एक लुप्तप्राय जंगलों की आर्द्रभूमि में रहने वाली प्रजाति है।

शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि भारतीय पूर्वी हिमालय (आईईएच) क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के असर और अन्य मानवजनित दबावों के कारण यह विलुप्त होने की कगार पर है। दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन के चलते कई पक्षी प्रजातियां प्रभावित हो रही हैं।

भारतीय पूर्वी हिमालय (आईईएच)  क्षेत्र, विशेष रूप से असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में, सफेद पंखों वाली वुड बत्तख की 800 वैश्विक आबादी में से आधे से अधिक 450 रहते हैं, जिसे 1999 में प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) द्वारा एक लुप्तप्राय प्रजाति के रूप में घोषित किया गया है।

इस पक्षी की प्रजाति भारत और कुछ अन्य देशों में पाई जाती है जो पूर्वोत्तर के सीमा को साझा करते हैं। इस पक्षी को 2003 में असम का राज्य पक्षी घोषित किया गया था।

असम के राज्य पक्षी पर जलवायु परिवर्तन के पड़ने वाले प्रभावों के अध्ययन में कहा गया है कि 2070 तक 436.61 वर्ग किलोमीटर आवास नष्ट हो जाएगा।

उष्णकटिबंधीय वन सफेद पंखों वाली वुड बत्तख की आबादी के रहने के लिए बहुत अच्छे हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि जलवायु परिवर्तन का दुनिया भर के उष्णकटिबंधीय वन पारिस्थितिकी प्रणालियों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।

अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव में, सफेद पंखों वाला वुड बत्तख के प्राकृतिक आवास का एक बड़ा हिस्सा 2050 से 2070 तक नष्ट होने की आशंका है।

शोध दल में भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के ज्योतिष रंजन डेका और सैयद ऐनुल हुसैन, असम विश्वविद्यालय के अनिमेष हजारिका, सिलचर, अभिजीत बोरुआ, ज्योति प्रसाद दास और असम में जैव विविधता संरक्षण समूह आरण्यक के रुबुल तांती शामिल थे।

अध्ययन में कहा गया है कि 22 से  30 डिग्री सेल्सियस की वार्षिक औसत तापमान सीमा और 1,000 से 1,200 मिमी की वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र में पक्षी प्रजातियों के होने की सबसे अधिक संभावना है। लेकिन मेघालय को छोड़कर, जलवायु परिवर्तन के कारण हर राज्य में संभावित वितरण में गिरावट आने के  आसार हैं।

अध्ययन के मुताबिक वार्षिक तापमान सीमा में परिवर्तन, सबसे गर्म महीने (जून से सितंबर) में वर्षा, और सबसे गर्म तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर) में वर्षा में कमी प्रमुख जैव-जलवायु में बदलाव होगा, जिससे आवासों का अधिकतम नुकसान होगा।

इसमें कहा गया है कि भूटान और असम सीमा पर स्थित क्षेत्रों में सफेद पंखों वाली वुड की बत्तख का समर्थन करने की क्षमता बढ़ जाएगी क्योंकि इस प्रजाति को लगभग 1,000-1,200 मिमी की औसत वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है।

अध्ययन में आगे कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मानवजनित खतरों जैसे निवास स्थान का नुकसान, जंगल का विखंडन, आवास का नष्ट होना, जल प्रदूषण और जल निकायों के सूखने से पक्षियों की प्रजातियों की उनके प्राकृतिक आवास में आबादी कम हो गई है।

भोजन के लिए अंडे का शिकार करना और इकट्ठा करना उनके अस्तित्व को और खतरे में डाल रहा है। असम के उष्ण कटिबंधीय जंगलों में, सफेद पंखों वाली बत्तख की आबादी में गिरावट मुख्य रूप से वन आवासों के विनाश और जल निकायों के पास के जंगलों की सफाई के कारण देखी गई है। यह अध्ययन जर्नल ऑफ नेचर कंजर्वेशन में प्रकाशित हुआ है।