जलवायु

किशोरों की मानसिक परेशानियां बढ़ा रही हैं जलवायु आपदाएं, अमेरिका में 38 हजार बच्चों पर सर्वेक्षण

अध्ययन के मुताबिक, जिन बच्चों ने जलवायु आपदाओं जैसे- तूफान, बाढ़, बवंडर, सूखा और जंगल की आग आदि का अनुभव किया है, उनमें साथी बच्चों की अपेक्षा मानसिक परेशानी होने की 20 फीसदी अधिक आसार हैं

Dayanidhi

दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन की वजह से पहले ही बढ़ता समुद्र स्तर और तापमान, खाद्य आपूर्ति तथा प्रवासन संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। अब एक नए अध्ययन में पता चला है कि यह किशोरों में मानसिक परेशानियों को भी बढ़ा रहा है

अध्ययन में 14 अमेरिकी राज्यों से 22 पब्लिक स्कूल के 38,616 हाई स्कूल के छात्रों का सर्वेक्षण किया गया। उन किशोरों में से एक चौथाई ऐसे थे जिन्होंने पिछले दो से पांच वर्षों के भीतर जलवायु आपदा में सबसे अधिक दिनों का अनुभव किया, जैसे तूफान, बाढ़, बवंडर, सूखा और जंगल की आग आदि। इन बच्चों में मानसिक परेशानी होने के 20 फीसदी अधिक आसार थे, उनके साथियों की तुलना में जिन्होंने बहुत कम या किसी भी आपदा का अनुभव नहीं किया था।

अध्ययनकर्ता ने बताया कि यह आपदा की घटनाओं के बाद किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर गौर करने वाला पहला बड़ा अध्ययन है, जिसमें घटनाओं का समय, आवृत्ति और अवधि शामिल है। जिसमें सर्वेक्षण पूरा होने से पहले 10 वर्षों के भीतर होने वाली 83 घोषित जलवायु आपदाओं को शामिल किया गया है।

शोधकर्ताओं ने यूएस यूथ रिस्क बिहेवियर सर्वे से उदासी या निराशा और कम नींद पर मई 2019 के आंकड़ों और फेडरल इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी के आपदा के आंकड़ों का उपयोग करते हुए निष्कर्ष निकाले। यह अध्ययन प्रिवेंटिव मेडिसिन रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

डॉर्नसाइफ स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में महामारी विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख अध्ययनकर्ता एमी औचिनक्लॉस ने कहा, हम जानते हैं कि जलवायु परिवर्तन का दुनिया भर में विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है और आगे भी पड़ता रहेगा।

उन्होंने आगे कहा, लेकिन हम यह जानकर चिंतित थे कि जलवायु संबंधी आपदाएं पहले से ही अमेरिका समेत दुनिया भर में इतने सारे किशोरों को प्रभावित कर रही थीं। उदाहरण के लिए, पिछले दो सालों के भीतर, हमारे अध्ययन में कई स्कूल 20 दिनों से अधिक समय तक जलवायु आपदाओं के दौर से गुजर रहे थे।

उत्तरदाताओं ने उदासी या निराशा की लगातार भावनाओं और कम नींद को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों की जानकारी दी, ये दो कारण हैं जो पिछले अध्ययनों से किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य विकारों से गंभीरता से जुड़े हुए हैं।

समूह अन्य कारकों के लिए नियंत्रित करता है जो मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे कि उम्र, जाति, लिंग, स्कूल सुरक्षा और घरेलू आय के बारे में चिंताएं भी इसमें शामिल हैं।

युवाओं के इस जोखिम सर्वेक्षण से दस साल पहले के दौरान जलवायु आपदाओं और मानसिक परेशानी का अनुभव करने के बीच एक पॉजिटिव संबद्ध पाया गया, लेकिन यह सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण नहीं था।

सह-अध्ययनकर्ता, जोशिया केफर्ट ने कहा, हमने जलवायु आपदा के तुरंत बाद दो सालों में मानसिक संकट पर सबसे मजबूत प्रभाव पाया, आपदा के बाद पांच से 10 वर्षों में प्रभाव धीरे-धीरे कमजोर पड़ता गया।

क्योंकि परिणाम कारण साबित नहीं कर सकते हैं, अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि वे युवाओं पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और इस आबादी के बीच संभावित बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य की तैयारी में सुधार के तरीकों पर अधिक अध्ययन करना चाहेंगे।

अमेरिकी स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग के अनुसार, पहले से ही लगभग आधे किशोरों ने अपने बचपन या किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य विकार का अनुभव किया है।

अध्ययनकर्ता ने कहा, युवा मानसिक स्वास्थ्य संकट के लिए संसाधनों में पहले से ही मांग को पूरा करने में कठिनाई हो रही है और आपदाएं बढ़ने के साथ मांग बढ़ेगी।

वर्तमान अध्ययन इस बात का प्रमाण है कि युवा मानसिक स्वास्थ्य में हिस्सेदारी रखने वाले चिकित्सक, नीति निर्माता, माता-पिता और कई अन्य लोग किशोर-विशिष्ट मानसिक स्वास्थ्य संसाधनों को बढ़ाने की वकालत कर सकते हैं। विशेष रूप से निम्न-आय वाले समुदायों में, जो आपदाओं से सबसे अधिक प्रभावित होंगे।