जलवायु

जलवायु परिवर्तन से बढ़ रही हैं पौधों की प्रजातियां!

पत्रिका 'करंट बायोलॉजी' में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि खासकर ठंडे इलाकों में पौधों की नई प्रजातियां मिल सकती हैं

Dayanidhi

जलवायु परिवर्तन स्थानीय पौधों की विविधता को प्रभावित कर रहा है। यॉर्क विश्वविद्यालय के शोध के अनुसार, तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण कई स्थानों पर पौधों की प्रजातियों की विविधता बढ़ सकती हैं। पूर्व में दर्ज पौधों की प्रजातियों की संख्या उन स्थानों में बढ़ गई है जहां जलवायु सबसे तेजी से बदल रही है, ऐसा विशेष रूप से दुनिया के सबसे ठंडे भागों में हुआ है। 

पत्रिका 'करंट बायोलॉजी' में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि हालांकि हमारे ग्रह पर पौधों की प्रजातियों की कुल संख्या में गिरावट हो सकती है, लेकिन यह भी हो सकता है कि यह अन्य स्थानों में बढ़ रही हो।

यॉर्क विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का मानना है कि तेजी से जलवायु परिवर्तन, विशेष रूप से बारिश के पैटर्न में परिवर्तन होने से स्थानीय वनस्पति प्रभावित होती है। जिससे नई प्रजातियों को उत्पन्न होने का अवसर मिलता है और स्थानीय पौधों की विविधता में वृद्धि हो सकती है।

यॉर्क विश्वविद्यालय के जीवविज्ञान विभाग के डॉ. एंड्रयू सुग्गिट ने बताया कि इसमें 200 से अधिक अध्ययनों के एक बड़े डेटासेट का उपयोग किया गया, जिसमें वनस्पति विज्ञानियों ने दुनिया भर में स्थित सर्वेक्षण भूखंडों में मौजूद पौधों की प्रजातियों की संख्या की गणना की। हमने जलवायु परिवर्तन करने वाले कारकों के साथ इसके प्रभाव का परीक्षण किया, जिसमें पता चला कि जलवायु में स्थानीय अंतर, इन सर्वेक्षणों में पाए गए पौधों की प्रजातियों की संख्या में परिवर्तन के एक बड़े हिस्से के लिए जिम्मेदार था।

जहां एक ओर जैव विविधता में गिरावट की बात की जा रही है वहीं इस अध्ययन में बताया गया है कि दुनिया के ठंडे क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के कारण स्थानीय पौधों की प्रजातियों में 5 फीसदी प्रति दशक के हिसाब से वृद्धि हो रही है। यह वास्तव में काफी बड़ी संख्या है, यदि यह 13 दशकों या उससे अधिक समय तक जारी रहता है, यह देखते हुए कि मानव पहले ही आधी सदी से अधिक समय से जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है, और जलवायु परिवर्तन कम से कम 2100 वर्ष तक जारी रहेगी। हमने गौर किया कि भविष्य में पारिस्थितिक तंत्र पर इसके व्यापक प्रभाव होंगे।

सह-अध्ययनकर्ता प्रोफेसर क्रिस थॉमस ने कहा कि इसका मतलब यह कतई नहीं है कि दुनिया की वनस्पति स्वस्थ रहेगी। हम 'एंथ्रोपोसिन' युग में जी रहे हैं जिसमें कुछ पौधों की प्रजातियां विश्व स्तर पर विलुप्त हो गई हैं, तथा कई प्रजातियां खतरे में हैं। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव इतना नाटकीय नहीं हो सकता, जैसे कि घास के एक मैदान को कार पार्क में बदल देना, या एक जंगल को काट देना, लेकिन यह एक व्यापक प्रभाव है जो पृथ्वी की सतह के विशाल क्षेत्रों पर पहले से ही पड़ रहा है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि जिन आंकड़ों का विश्लेषण किया है, वह बताता है उन जगहों पर पौधों की विविधता में मामूली वृद्धि हो रही है जहां जलवायु सबसे अधिक बदल रही है। इसमें इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि जलवायु परिवर्तन कैसे विशेष स्थानों पर पाए जाने वाले पौधों की प्रजातियों के प्रकार को बदल रहा है - विशेषकर उष्णकटिबंधीय क्षेत्र जैसे अफ्रीका और एशिया में यह बदलाव देखा जा सकता है।