जलवायु

जलवायु परिवर्तन ने 2022 के गर्मी के मौसम में सूखे को 20 गुना अधिक बढ़ाया

मानवजनित जलवायु परिवर्तन ने कृषि और पारिस्थितिकी सूखे को लगभग 3 से 4 गुना अधिक कर दिया

Dayanidhi

वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन ग्रुप के मुताबिक 2022 उत्तरी गोलार्ध की गर्मी यूरोप में 24,000 से अधिक गर्मी से संबंधित मौतों के साथ दर्ज की गई, जो कि सबसे गर्म में से एक थी। इस दौरान चीन, भारत, पाकिस्तान और उत्तरी अमेरिका के कुछ हिस्सों में तीव्र लू की घटनाएं बढ़ी

सूखे ने अधिकतर हिस्सों में पानी की कमी, जंगल की आग और फसल की विफलताओं को बढ़ाया जिसके कारण खाद्य पदार्थों की उच्च कीमतों के साथ-साथ बिजली की आपूर्ति पर भी प्रभाव पड़ा।

ईटीएच ज्यूरिख में भूमि-जलवायु गतिशीलता के प्रोफेसर सोनिया सेनेविरत्ने की अगुवाई वाली शोध टीम में जलवायु वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने अब इस चरम मौसम की घटना पर जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभाव का विश्लेषण किया है।

वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन ग्रुप द्वारा प्रकाशित उनके अध्ययन का अनुमान है कि मानवजनित जलवायु परिवर्तन ने उत्तरी गोलार्ध में मिट्टी की नमी को सूखे में बदलने में कम से कम 20 गुना तक बढ़ा दिया है, जिससे फसल उत्पादन को खतरा है और खाद्य कीमतों और खाद्य सुरक्षा पर और दबाव बढ़ गया है।

कृषि और पारिस्थितिकी के लिए भारी सूखा

अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने उष्णकटिबंधीय को छोड़कर, पूरे उत्तरी गोलार्ध में जून, जुलाई और अगस्त 2022 में मिट्टी की नमी के स्तर का विश्लेषण किया। उन्होंने पश्चिमी और मध्य यूरोप पर भी गौर किया, जहां फसल की पैदावार में काफी कमी के साथ विशेष रूप से भीषण सूखा पड़ा।

मिट्टी की नमी का सूखापन, जिसे जड़ क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, जहां से पौधे पानी अवशोषित करते हैं, को अक्सर कृषि और पारिस्थितिकी सूखा कहा जाता है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि मानवजनित जलवायु परिवर्तन ने उत्तरी गोलार्ध में कृषि और पारिस्थितिक सूखे को कम से कम 20 गुना अधिक बढ़ा दिया है। उन्होंने गणना की कि आज की जलवायु में इस गर्मी की तरह सूखे की स्थिति 20 वर्षों में लगभग एक बार होने की आशंका जताई जा सकती है। यदि लोगों ने ग्रह को गर्म नहीं किया होता, तो उत्तरी गोलार्ध में कृषि सूखे की स्थिति केवल 400 वर्षों या उससे कम में लगभग एक बार होने के आसार थे।

पश्चिम-मध्य यूरोप के मामले में, मानवजनित जलवायु परिवर्तन ने कृषि और पारिस्थितिकी सूखे को लगभग 3 से 4 गुना अधिक कर दिया। इसका मतलब यह नहीं है कि उत्तरी गोलार्ध में अन्य जगहों की तुलना में जलवायु परिवर्तन का यूरोप पर कम प्रभाव पड़ा है, क्षेत्रों के विभिन्न आकारों का मतलब है कि परिणामों की सीधे तुलना नहीं की जा सकती है।

सेनेविरत्ने कहते हैं कि 2022 की गर्मियों ने दिखाया है कि कैसे मानवजनित जलवायु परिवर्तन उत्तरी गोलार्ध के घनी आबादी और खेती वाले क्षेत्रों में कृषि और पारिस्थितिकी सूखे के खतरे को बढ़ा रहा है।

मानवजनित कारणों से बढ़ रहा है तापमान

बढ़ते कृषि और पारिस्थितिक सूखे के जोखिम को आगे बढ़ाने वाले मुख्य कारक तापमान में वृद्धि कर रहे थे, जबकि वर्षा में परिवर्तन अपेक्षाकृत कम हो रहा था। वैज्ञानिकों ने पाया कि जलवायु परिवर्तन ने पूरे उत्तरी गोलार्ध में तापमान को इस हद तक बढ़ा दिया है कि मानवजनित जलवायु परिवर्तन के बिना इस वर्ष इतनी अधिक गर्मी पड़ना लगभग असंभव था।

सेनेविरत्नेस रिसर्च ग्रुप के अध्ययनकर्ता डोमिनिक शूमाकर कहते हैं, हमारे विश्लेषण के नतीजे हमें आगे क्या होगा, इस बारे में एक अनुमान प्रदान करते हैं। आगे ग्लोबल वार्मिंग के साथ हम भविष्य में भीषण और अधिक लगातार गर्मियों में सूखे की आशंका जता सकते हैं।

सेनेविरत्ने ने निष्कर्ष में बताया कि इसलिए हमें जीवाश्म ईंधन के जलने को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की आवश्यकता है। यदि हम जलवायु की स्थिति को स्थिर करना चाहते हैं और इस तरह के सूखे की घटनाओं की और भीषण रूप में बदलने से बचाना चाहते हैं तो इस पर तेजी से काम करना होगा।