एक नए अध्ययन के मुताबिक, प्रकृति-आधारित जलवायु समाधान (एनबीसीएस) ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (जीएचजी) को कम करने और वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) को हटाने के लिए शुरुआती चरण हैं। इसके लिए प्राकृतिक और कामकाजी पारिस्थितिक तंत्र का संरक्षण और बेहतर प्रबंधन रणनीतियां हैं जो जलवायु में बदलाव को कम करने में अहम हैं।
पारिस्थितिकी तंत्र के प्रबंधन के माध्यम से जीएचजी को कम करना, वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए जरूरी है, जिसमें सबसे बड़ा फायदा निकट अवधि में उत्सर्जन में ज्यादा से ज्यादा कटौती करने से होता है।
अध्ययन से पता चलता है कि चार प्रकृति आधारित जलवायु समाधान जिनका उपयोग कंपनियां और अन्य संस्थाएं कार्बन क्रेडिट का दावा करने के लिए सबसे अधिक बार करती हैं, उनके पीछे मजबूत वैज्ञानिक आधार होने की बात कही गई है। जलवायु में बदलाव को धीमा करने के लिए उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण जंगलों के संरक्षण या पुनर्वनीकरण करना अहम है, इसके चार रास्ते हैं।
अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि ऐसी अधिकांश अन्य विधियों की क्षमता का आकलन करने से पहले अतिरिक्त शोध की आवश्यकता है। यह शोध हाल ही में नेचर क्लाइमेट चेंज नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।
प्रकृति-आधारित जलवायु समाधान संरक्षण, पुनर्स्थापन या प्रबंधन रणनीतियां हैं जिनका प्राथमिक उद्देश्य ग्रीनहाउस-गैस उत्सर्जन को कम करना या वातावरण से कार्बन को हटाना है।
पेरिस समझौते के 167 हस्ताक्षरकर्ताओं में से 100 से अधिक ने उन्हें जलवायु में बदलाव को कम करने की योजनाओं के हिस्से के रूप में शामिल किया है। इंडोनेशिया, कोलंबिया और चीन सहित कई देश पहले से ही अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं पर प्रगति के लिए उनका उपयोग कर रहे हैं।
अध्ययन में 43 समाधानों के वैज्ञानिक आधार और विशेषज्ञों के भरोसे को देखा गया। इसने व्यक्तिगत परियोजनाओं के कार्यान्वयन, कार्बन क्रेडिट की गणना के तरीकों या कार्बन-कटौती परियोजनाओं के अन्य फायदों का पता नहीं लगाया।
शोधकर्ताओं ने जिन 35 समाधानों पर विचार किया, उनमें से 35 के लिए कार्बन-क्रेडिटिंग प्रोटोकॉल मौजूद हैं और विभिन्न संस्थाओं ने क्रेडिट हासिल करने के लिए 28 समाधानों का उपयोग किया है।
शोधकर्ताओं द्वारा पहचाने गए लगभग 70 प्रतिशत प्रकृति-आधारित क्रेडिट चार जंगलों से संबंधित परियोजनाओं के लिए हैं जिन्हें उन्होंने सबसे विश्वसनीय पाया। शोधकर्ताओं ने कहा कि अन्य तरीकों, जैसे कि कृषि वानिकी, मैंग्रोव और पीटलैंड का संरक्षण और घास के मैदानों की बहाली पर अधिक शोध करने की आवश्यकता है।
अध्ययन में शोधकर्ता ने कहा, जलवायु में बदलाव को कम करने की ठोस विज्ञान पर आधारित दृष्टिकोण की जरूरत है ताकि प्रभावी कार्रवाई की जा सके। अध्ययन में यह सुनिश्चित करने के लिए एक आह्वान भी किया गया है कि प्रकृति-आधारित जलवायु समाधान पर गौर करें उन कार्रवाइयों पर जो वास्तविक जलवायु में बदलाव को कम करने के तरीके प्रदान कर सकते हैं, जबकि अन्य प्रकार की प्रकृति-आधारित कार्रवाइयों के लिए तकनीकी और वैज्ञानिक आधार विकसित करना जरूरी है।
अध्ययन में कहा गया है कि जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रकृति-आधारित जलवायु समाधान महत्वपूर्ण हैं। यह अध्ययन प्रकृति के चार प्रमुख प्रकारों से जुड़े विज्ञान की ताकत की पुष्टि करता है। प्रकृति आधारित समाधान और दूसरों की शमन क्षमता को स्पष्ट करने के लिए अतिरिक्त शोध की आवश्यकता है।