जलवायु

अकेले कार्बन टैक्स से ही नहीं होगा जलवायु परिवर्तन का लक्ष्य हासिल: स्टडी

Dayanidhi

कार्बन टैक्स  प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए लगाया जाता है। इसमें कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की मात्रा के आधार पर जीवाश्म ईंधनों (कोयला, तेल, गैस) के उत्पादन, वितरण एवं उपयोग पर शुल्क लगाने की व्यवस्था है।

पेरिस समझौते पर 2015 में हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें राष्ट्रों को सामूहिक रूप से वैश्विक तापमान (ग्लोबल वार्मिंग) को सन 2100 तक 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे सीमित करने की बात कही गई थी। साथ ही, तापमान में वृद्धि को रोकने के लिए प्रयास करने की भी बात कही गई, जबकि तापमान पहले ही 1.5 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच चुका है।

इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए 2070 तक मानव जनित कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ 2) उत्सर्जन को शून्य तक पहुंचाने, हवा से सीओ 2 को हटाने वाली रणनीतियों का उपयोग करने का निर्णय लिया गया था।

लेकिन इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए और जूल पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि कार्बन टैक्स, जो वर्तमान में इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए पसंदीदा प्रणाली है, यह आपदा, विनाशकारी जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए पर्याप्त नहीं होगी।

अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि कार्बन टैक्स के साथ, जो उत्सर्जन पर एक मूल्य रखा गया है, इसमें ऐसी रणनीतियां होनी चाहिए, जिसमें वातावरण से सीओ2 कम करने वालों का प्रोत्साहित करने की व्यवस्था की जाए।

इंपीरियल कॉलेज में सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल पॉलिसी सेंटर के प्रमुख अध्ययनकर्ता हबीबा दग्गाश कहती हैं कि कार्बन टैक्स के माध्यम से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को आर्थिक रूप से दंडित करने की वर्तमान प्रणाली भयंकर जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए पर्याप्त नहीं है, भले ही कार्बन टैक्स कितना भी अधिक क्यों न हो? इसलिए अकेले इस रणनीति का उपयोग करते हुए, पेरिस समझौता जिसपर अधिकांश देशों ने हस्ताक्षर किए है, उसके लक्ष्य तक नहीं पहुंचा जा सकता है।

प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जो कि न केवल उत्सर्जन को दंडित करे, बल्कि वातावरण से ग्रीनहाउस गैसों को स्थायी रूप से हटाने के कार्य को भी श्रेय दिया जाना चाहिए।

आमतौर पर कार्बन टैक्स अधिक रखने से बाजार (कारोबारी) उन देशों की ओर रुख कर लेता है, जहां कार्बन टैक्स कम है। ब्रिटेन  का उदाहरण देते हुए सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल पॉलिसी के हबीबा और डॉ. नियाल मैक डॉवेल कहते है कि ब्रिटेन में कार्बन को कम करने वालों को प्रोत्साहित करने का भी ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।

अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि यदि सरकारों ने कार्बन हटाने की रणनीतियों को बहुत पहले प्रोत्साहित किया होता तो कार्बन टैक्स को कम किया जा सकता था, हालांकि अभी भी यह किया जा सकता है।

हबीबा कहती है कि प्रोत्साहित करके पेरिस समझौते के लक्ष्यों तक पहुंचने की लागत को कम कर सकते थे और वही दूसरी ओर उत्सर्जन भी ना के बराबर हो जाता।