जलवायु

2020 में 11 साल बाद आई सीओटू उत्सर्जन में पांच गुना गिरावट

अनुमान है कि साल 2021 में यह दुनिया यूरोपीय संघ के कुल उत्सर्जन के दो-तिहाई के बराबर सीओटू उत्सर्जन में और वृद्धि करेगी।

DTE Staff

द इंटरनेश्नल एनर्जी एजेंसी ( आइईए ) ने अपने नवीनतम ग्लोबल एनर्जी रिव्यू - 2021 में कहा कि सीओटू उत्सर्जन के मामले में वर्ष 2020 बहुत अप्रत्याशित रहा है। 2020 में वैश्विक सीओटू उत्सर्जन में 5.8 प्रतिशत या लगभग 2 गीगा टन की गिरावट हुई है, जो कि संभवतः अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है।

सीओटू के उत्सर्जन में हुई यह गिरावट साल 2009 की तुलना में पांच गुना अधिक है। महामारी के कारण आर्थिक संकुचन के चलते ही सीओटू के उत्सर्जन में यह बड़ी कमी देखी गई। विशेष रूप से यह गिरावट ऊर्जा से संबंधित सीओटू के उत्सर्जन में रही। इसका हमारी तेजी से गर्म होती पृथ्वी पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। क्योंकि कार्बन उत्सर्जन लगातार जारी है और वातावरण में सीओटू की मात्रा बढ़ रही है जो कि इस धरती को काफी नुकसान पहुंचाएगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि औद्योगिक क्रांति की अवधि के बाद साल 2020 में सीओटू की वायुमंडलीय सांद्रता उच्चतम रही है। हालांकि 2020 में गिरावट के बावजूद, वैश्विक ऊर्जा से संबंधित सीओटू उत्सर्जन 31.5 गीगा टन रहा, जिसने वातावरण में CO2 उत्सर्जन को अपनी उच्चतम औसत वार्षिक सांद्रता, जो की 412.5 अंश प्रति मिलियन तक पहुंचाया है।  

यह पूर्व औद्योगिक क्रांति के स्तर से लगभग 50 फीसदी अधिक है। मौजूदा वर्ष में बड़े पैमाने पर उत्सर्जन में बढ़ोतरी हो रही है क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था सुधार की राह पर है।

अनुमान है कि साल 2021 में यह दुनिया यूरोपीय संघ के कुल उत्सर्जन के दो-तिहाई के बराबर सीओटू उत्सर्जन में और वृद्धि करेगी।

आईईए के अनुमान के अनुसार, ऊर्जा से संबंधित सीओटू उत्सर्जन में साल 2021 में 1.5 अरब टन तक की वृद्घि की संभावना है। इतिहास में यह सीओटू उत्सर्जन की अब तक की दूसरी सबसे बड़ी वृद्धि हो सकती है। जो कि कोविड -19 महामारी की वजह से पिछले साल की अधिकांश गिरावट की भरपाई कर देगी।

आईईए के कार्यकारी निदेशक फतिह बिरोल ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो. बाइडेन द्वारा आयोजित जलवायु शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले नेताओं को एक संदेश में कहा कि, यह उत्सर्जन प्रमुख रूप से कोयले के उपयोग से उत्पन्न होगा। साथ ही यह साल 2021 में सीओटू उत्सर्जन में वृद्धि वैश्विक वित्तीय संकट से एक दशक पहले की तुलना में कार्बन-गहन आर्थिक सुधार के बाद की सबसे बड़ी एकल वृद्धि होगी।

आईएईए के पूर्वानुमान के मुताबिक सीओटू उत्सर्जन का स्तर साल 2021 में अब भी 2019 के स्तर से कम ही रहेगा।  हालांकि यह अनुमान इस तथ्य के बावजूद है कि वैश्विक आर्थिक उत्पादन में 2021 में 6 प्रतिशत के सुधार की उम्मीद है। जो कि वैश्विक जीडीपी को भी 2019 के स्तर से 2 फीसदी से अधिक की वृद्धि प्रदान करेगा।

ग्लोबल एनर्जी रिव्यू - 2021 के अनुसार, साल 2021 में वैश्विक आर्थिक गतिविधियां 2019 के स्तर से अधिक होने की संभावना है तथा वैश्विक ऊर्जा मांग भी 2019 के स्तर से अधिक हो सकती है। लेकिन इसके बावजूद भी हम सीओटू उत्सर्जन में   महामारी से पहले के स्तर तक नहीं पहुंचने की उम्मीद है।  यहां तक ​​कि साल 2021 में तेल से संबधित सीओटू उत्सर्जन में 650 माउंट की वृद्धि संभव है, जिससे साल 2020 की गिरावट के लगभग आधे स्तर की भरपाई होने की संभावना है।  फिर भी इसके 2019 के स्तर से 500 माउंट कम रहने की उम्मीद है. लेकिन कोयले से होने वाला सीओटू  उत्सर्जन,इस प्रवृत्ति को बेअसर कर देगा। अर्थव्यवस्था के ठीक होने के साथ – साथ कोयले का उपयोग भी बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है, जो CO2 उत्सर्जन में वृद्धि का कारण बनेगा।

ग्लोबल एनर्जी रिव्यू का कहना है कि साल 2021 में कोयला उपयोग में वृद्धि से होने वाले CO2 उत्सर्जन के 14.8 गीगा टन रहने की संभावना है।  जो कि 2019 के स्तर से लगभग 0.4% अधिक होगा।यहां तक कि इसका साल 2014 के कोयला जनित सीओटू के उत्सर्जन के उच्चतम् स्तर से केवल 350 माउंट ही कम रहने की उम्मीद है।

भारत में होने वाले आर्थिक सुधारों के कारण साल 2020 में 200 माउंट कार्बन उत्सर्जन हुआ था। जो कि साल 2019 के स्तर से भी 1.4 प्रतिशत अधिक है।  इस उत्सर्जन में वृद्धि के लिए कोयले को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।  आईईए की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कोयले की मांग में 2019 के स्तर से अधिक की वृद्धि से CO2 के उत्सर्जन में बढ़ोतरी हुई है।  साथ ही अनुमान है कि साल 2021 में कोयला जनित बिजली के उत्पादन में अपेक्षित वृद्धि अक्षय ऊर्जा जनित बिजली के उत्पादन में वृद्धि की तुलना में तीन गुना अधिक होगी।