अनिल अग्रवाल डायलॉग में रातों के बढ़ते तापमान और मौसम की चरम घटनाओं पर चर्चा की गई। फोटो: विकास चौधरी 
जलवायु

अनिल अग्रवाल डायलॉग 2025: मौसम की चरम घटनाओं के 'पोस्टर चाइल्ड' बने भारत-अफ्रीका: रॉक्सी

विशेषज्ञों ने कहा कि मौसम की चरम घटनाओं का सबसे अधिक खामियाजा किसान भुगत रहे हैं, उन्हें बीमा का भी पर्याप्त लाभ नहीं मिल रहा है

DTE Staff

अनिल अग्रवाल डायलॉग 2025 में 'इन द रेड: व्हाई आर आवर सिटीज हीटिंग अप–अर्बन हीट एंड वॉर्म नाइट्स' शीर्षक से एक सत्र आयोजित किया गया, जिसमें भारत और दक्षिण एशिया में अत्यधिक गर्मी और शहरी तापमान वृद्धि पर चर्चा की गई।

इस सत्र में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे के जलवायु वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल, भारत मौसम विज्ञान विभाग के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक आनंद शर्मा, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) के सस्टेनेबल अर्बनाइजेशन कार्यक्रम के निदेशक रजनीश सरीन; सीएसई के सस्टेनेबल फूड सिस्टम्स कार्यक्रम निदेशक अमित खुराना और आंध्र प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के फसल बीमा उप निदेशक डी. वेणुगोपाल ने भाग लिया।

सबसे पहले संबोधित करते हुए कोल ने कहा कि भारत और दक्षिण एशिया मौसम की चरम घटनाओं के 'पोस्टर चाइल्ड' बन गए हैं, क्योंकि यह क्षेत्र उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित है जहां सौर ऊर्जा की मात्रा अधिक होती है।

उन्होंने बताया कि महासागर तेजी से गर्म हो रहे हैं, जिससे मानसून प्रभावित हो रहा है। खासकर तीन जलवायु कारक जैसे प्रतिचक्रवात, पश्चिमी विक्षोभ और वार्मिंग की वजह से भारत के कई राज्यों में असहनीय स्थितियां पैदा कर रहे हैं।

आनंद शर्मा और रजनीश सरीन ने भारत के शहरी क्षेत्रों में बढ़ती गर्मी पर चिंता व्यक्त की। शर्मा ने बताया कि पिछले दशक में रातें भी गर्म हो रही हैं और न्यूनतम तापमान में वृद्धि, बादल आवरण, एरोसोल और यहां तक कि ज्वालामुखीय गतिविधियां हमारे पृथ्वी ग्रह को प्रभावित कर रही हैं।

सरीन ने चेतावनी दी कि शहर रात में ठंडे नहीं हो रहे हैं, और शहरी हीट आइलैंड प्रभाव अधिक गहरा हो रहा है। उन्होंने बताया कि एकसमान कंक्रीट संरचनाओं का उदय थर्मल कम्फर्ट को खराब कर रहा है, क्योंकि कंक्रीट गर्मी के प्रबंधन में कमजोर साबित होता है।

इसके बाद, खुराना और वेणुगोपाल ने बीमा के बारे में चर्चा की।

खुराना ने बताया कि भारत में किसान सबसे बड़ा नियोक्ता है, लेकिन न्यूनतम तापमान में वृद्धि की वजह से किसानों का जोखिम बहुत बढ़ गया है।

उन्होंने खुलासा किया कि देश के उच्च जोखिम वाले जिलों में किसान बीमा का सबसे अधिक प्रीमियम का बोझ उठा रहे हैं, जबकि उन्हें बीमा का क्लेम कम मिल रहा है।

वेणुगोपाल ने कहा कि किसानों को बीमा के बारे में स्पष्टता की कमी है। उन्होंने सुझाव दिया कि पारदर्शिता बढ़ाना और उपज और मौसम डेटा की सटीकता में सुधार करना फसल बीमा तंत्र के लिए अत्यंत लाभकारी होगा।

उल्लेखनीय है कि अनिल अग्रवाल डायलॉग का आयोजन हर साल सीएसई द्वारा राजस्थान के निमली स्थित अनिल अग्रवाल एनवायरमेंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में किया जाता है।