जलवायु

बोरियल वनों में बने एरोसोल कण बादलों पर असर डालते हैं: अध्ययन

Dayanidhi

बोरियल वन कार्बन को अवशोषित करने का कार्य करते हैं, जो जलवायु में होने वाले बदलाव को कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं। अब एक नए अध्ययन से पता चलता है कि एरोसोल के निर्माण और विकास के माध्यम से, वन जलवायु परिवर्तन को कम करने में सक्षम हैं।

यह प्रक्रिया पूरे महाद्वीप की जलवायु पर सबसे अधिक क्षेत्रीय प्रभाव डालते हैं। पहले के शोध से पता चला है कि बोरियल वन गैसीय यौगिकों को छोड़ते हैं जो एरोसोल कण बनाते हैं। सतह से ऊपर की ओर मिलाने से, इन एरोसोल कणों में बादलों के गुणों को प्रभावित करने की क्षमता होती है। यह बादलों की परावर्तनशीलता को बढ़ा कर जलवायु को ठंडा करके संपूर्ण जलवायु प्रणाली को प्रभावित करते हैं।

बोरियल वन, ऐसे वन जो ज्यादातर उत्तरी गोलार्ध के ठंडे तापमान वाले इलाकों में उगते हैं। ये वन शंकुधारी प्रजातियां होती हैं जैसे स्प्रूस और देवदार आदि।

बोरियल जंगलों द्वारा उत्पादित एयरोसोल कणों से प्रभावित होने पर बादलों के गुण कैसे बदलते हैं, इस पर नई जानकारी ने खुलासा किया है। अध्ययनकर्ता ने बताया कि प्रत्यक्ष अवलोकन के माध्यम से इसका आकलन करना संभव है।

बोरियल जंगलों से वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों का एरोसोल कणों, बादलों के भौतिक गुणों, एरोसोल के द्वारा बादलों पर प्रभाव या एरोसोल-क्लाउड इंटरैक्शन और वर्षा के गुणों पर समय के साथ किस तरह का प्रभाव पड़ता है। अवलोकन आर्कटिक महासागर में उत्पन्न होने वाले वायु द्रव्यमान तक सीमित थे, जहां समुद्री हवा मापने के स्टेशन पर आने तक महाद्वीपीय वायु में परिवर्तित हो गई थी।

स्वच्छ समुद्री हवा के बोरियल क्षेत्र में आने और यात्रा करने के एक से तीन दिनों के भीतर निचली सीमा परत में एरोसोल सांद्रता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। सांद्रता में वृद्धि बोरियल वनों में उत्पन्न होने वाले नए एरोसोल की मात्रा के अनुरूप पाई गई।  

मिट्टी और पौधों से वाष्पित होने वाले पानी के साथ, इन कणों को निचली वायुमंडलीय सीमा की परत में बादलों में बदलाव करते हुए देखा गया है।

परिणाम बताते हैं कि बोरियल जंगलों के साथ-साथ एरोसोल-क्लाउड इंटरैक्शन से गैसीय यौगिकों का उत्सर्जन एक-दूसरे पर निर्भर करने वाली प्रक्रियाएं हैं। ये प्रक्रियाएं बोरियल वनों के इलाके में समुद्र से चलने वाले वायु द्रव्यमान में कई दिनों तक होती हैं और वे बदलाव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती हैं।

इसके अलावा, निष्कर्षों से पता चलता है कि एरोसोल को जन्म देने वाला उत्सर्जन और एरोसोल की मात्रा में मामूली बदलाव भी बादलों में बदलाव कर सकते हैं। दूसरी ओर बदलती जलवायु या मानव गतिविधि के कारण भी बादलों को बदल सकते हैं। यह अध्ययन नेचर जियोसाइंस मैं प्रकाशित हुआ हैं।