जलवायु

धरती को बंजर होने से रोकने के लिए खर्च हुए 46 हजार करोड़

यूएनसीसीडी के सदस्य देशों ने 2 साल में 6.4 बिलियन डॉलर तो खर्च कर दिए, लेकिन परिणाम उत्साहजनक नहीं मिले हैं

Ishan Kukreti

धरती के बंजरपन को रोकने के लिए दो साल के दौरान लगभग 6.4 बिलियन डॉलर (लगभग 46000 करोड़ रुपए) खर्च किए जा चुके हैं। मरुस्थलीकरण, भूमि और सूखे से संबंधित परियोजनाओं और उन पर हो रहे खर्च को लेकर बनी समिति ग्लोबल एंवायरमेंट फेसिलिटी (जीईएफ) की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। 

जीईएफ की इस रिपोर्ट में जुलाई 2017 से लेकर जुलाई 2019 के दौरान किए गए खर्च का ब्यौरा है। यह रिपोर्ट 4 सितंबर 2019 को ग्रेटर नोएडा में चल रहे यूएनसीसीडी के सम्मेलन (कॉप14) में जारी की गई।

जीईएफ की स्थापना 1992 के रियो अर्थ सम्‍मेलन की पूर्व संध्या पर हमारे ग्रह की सबसे अधिक पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने में मदद करने के लिए की गई थी।

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में, जीईएफ के माध्यम से 0.86 बिलियन डॉलर और सह-वित्तपोषण के माध्यम से 5.67 बिलियन डॉलर का खर्च किया गया।

जीईएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि रिपोर्टिंग अवधि (जुलाई 2017 से जून 2019) के दौरान लैंड डिग्रेडेशन फोकल एरिया (एलडीएफए) और जीईएफ ट्रस्ट फंड की अन्य संबंधित फंडिंग विंडो से धन के साथ कुल 75 परियोजनाओं और कार्यक्रमों को मंजूरी दी गई थी। इन संसाधनों का उपयोग 20 स्टैंड-अलोन एलडीएफए परियोजनाओं के माध्यम से 48.92 मिलियन डॉलर और 55 मल्टी-फोकल एरिया (एमएफए) परियोजनाओं और कार्यक्रमों के जरिए 808.84 मिलियन डॉलर के जीईएफ संसाधनों का उपयोग करके किया गया।

हालांकि, बैठक में विकासशील देशों के प्रतिनिधियों का दावा किया कि यह राशि मरुस्थलीकरण से निपटने की चुनौती के पैमाने को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है।

नाइजीरिया के एक प्रतिनिधि ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि  हालांकि यह कहना मुश्किल है कि कुल कितनी वित्तीय सहायता की आवश्यकता है, लेकिन जितना पैसा खर्च करना चाहिए, उसमें और उपलब्ध राशि में काफी बड़ा अंतर है। वहीं, धन का उपयोग करने की प्रक्रिया बहुत जटिल है और इसे सरल बनाने की आवश्यकता है।

यूएनसीसीडी के अनुसार, दुनिया भर में लगभग दो बिलियन हेक्टेयर उत्पादक भूमि पहले ही खराब हो चुकी है, और हर साल लगभग 12 मिलियन हेक्टेयर मरुस्थलीकरण में खो जाते हैं। भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण से निपटने की लागत 450 बिलियन डॉलर प्रतिवर्ष आंकी गई है।

टर्की के अंकारा में 2015 में हुए यूएनसीसीडी के कॉप12 में 300 मिलियन डॉलर जुटाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब तक केवल 100 मिलियन डॉलर ही जुटाए गए हैं। 

यूएनसीसीडी का कॉप 14, जो 1 सितंबर को शुरू हुआ है, 13 सितंबर तक चलेगा। यूएनसीसीडी से जुड़े देशों की संख्या 190 है।