जलवायु

आपदाओं का साल रहा 2023, जानिए कौन सी 20 जलवायु आपदाएं आर्थिक रूप से पड़ी सबसे महंगी

Lalit Maurya

साल 2023 आपदाओं भरा रहा। दुनिया का शायद ही कोई हिस्सा होगा जो इन आपदाओं से प्रभावित न हुआ हो। कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा, कहीं भारी बारिश तो कहीं तूफान और ऊपर से जंगल में लगी आग ने इस कदर कहर बरपाया कि उसके नुकसान की भरपाई कर पाना भी मुश्किल है।

वहीं दूसरी तरफ बढ़ता वैश्विक तापमान थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। आंकड़ों पर गौर करें तो अब यह करीब-करीब तय माना जा रहा है कि 2023 जलवायु इतिहास का अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा। ऐसे में इन जलवायु आपदाओं का आना लाजिमी है। 

2023 में आई इन जलवायु आपदाओं पर क्रिश्चियन एड ने एक नई रिपोर्ट "काउंटिंग द कॉस्ट 2023: ए ईयर ऑफ क्लाइमेट ब्रेकडाउन" जारी की है। इस रिपोर्ट में उन 20 सबसे महंगी जलवायु आपदाओं पर प्रकाश डाला है, जिन्होंने इस साल कहर बरपाया है।

इन आपदाओं में बाढ़, सूखा, तूफान और जंगल में लगी आग जैसी जलवायु आपदाएं शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इन 20 सबसे महंगी जलवायु आपदाओं ने दुनिया के 14 देशों को निशाना बनाया था।

इन आपदाओं में बाढ़, सूखा, तूफान और जंगल में लगी आग जैसी जलवायु आपदाएं शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इन 20 सबसे महंगी जलवायु आपदाओं ने दुनिया के 14 देशों को निशाना बनाया था। इस लिस्ट में अगस्त 2023 के दौरान हवाई के जंगलों में लगी आग को सबसे महंगी जलवायु आपदा का दर्जा दिया गया है। आंकड़ों के अनुसार इस आपदा से हवाई को प्रति व्यक्ति 4,160 डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ है।

जो हवाई में रहने वाले लोगों की आय के 10 फीसदी से भी अधिक है। इस आपदा में 181 लोग मारे गए थे, जबकि 7,695 लोग प्रभावित हुए थे। मतलब की हवाई के हर 200 लोगों में से एक इस आपदा की चपेट में आया था।

इसी तरह मई में गुआम में आए तूफान ने प्रति व्यक्ति 1,455 डॉलर का बोझ डाला है। इस तूफान ने एक लाख से ज्यादा जिंदगियों को प्रभावित किया है। देखा जाए तो 20 सबसे महंगी आपदाओं में से नौ तूफान से हुई त्रासदी हैं। जिस तरह से वैश्विक तापमान में इजाफा हो रहा है उसके चलते तूफानों के आने की आशंका भी बढ़ रही है। इसकी पुष्टि आईपीसीसी ने भी की है।

जलवायु परिवर्तन के चलते बढ़ रहा आपदाओं का कहर

आईपीसीसी द्वारा किए विश्लेषण के मुताबिक पिछले चार दशकों के दौरान जलवायु परिवर्तन के चलते प्रमुख रूप से केटेगरी तीन से पांच के उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के आने का अनुपात बढ़ गया है। साथ ही जलवायु में आते बदलावों से इन तूफानों के कारण होने वाली भारी बारिश में भी इजाफा होने की आशंका जताई गई है।

गौरतलब है कि इस रिपोर्ट में सबसे महंगी जलवायु आपदा की गणना उस देश में प्रति व्यक्ति हुए नुकसान के आधार पर की गई है। वहीं मार्च 2023 में वानुअतु में आए तूफान को तीसरे स्थान पर रखा गया है। जूडी और केविन नामक यह दोनों उष्णकटिबंधीय चक्रवात श्रेणी चार के थे। इनसे वानुअतु को प्रति व्यक्ति 947 डॉलर का नुकसान हुआ था।

अनुमान है कि इन तूफानों से वानुअतु की दो तिहाई आबादी यानी करीब तीन लाख लोग प्रभवित हुए थे। इतना ही नहीं आशंका है कि इनकी वजह से वानुअतु की जीडीपी विकास दर में 3.6 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है।

इस लिस्ट में चौथे स्थान पर न्यूजीलैंड  में आए तूफान गेबरियल को रखा गया है। जोकि इस सदी के दौरान न्यूजीलैंड में आया सबसे विनाशकारी तूफान था। अनुमान है कि इसकी वजह से 11 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 18 लाख लोगों के प्रभावित होने की आशंका है। इस तूफान से न्यूजीलैंड के जीडीपी को एक फीसदी का नुकसान होने का अनुमान है जो करीब 25,000 करोड़ डॉलर के बराबर है।

वहीं यदि प्रति व्यक्ति के लिहाज से देखें तो इस तूफान से 468 डॉलर का नुकसान हुआ है। पांचवी सबसे महंगी आपदा भी न्यूजीलैंड में रिकॉर्ड की गई थी। इस बाढ़ की घटना में प्रति व्यक्ति 371 डॉलर का नुकसान हुआ था।

11,000 जिंदगियों को निगल गई लीबिया में आई बाढ़

वहीं छठे स्थान पर इटली में मई के दौरान आई बाढ़ को रखा गया है, जिससे प्रति व्यक्ति 164 डॉलर का नुकसान हुआ था। इसी तरह सितम्बर के दौरान लीबिया में आई भीषण बाढ़ ने भी भारी तबाही मचाई थी, इस बाढ़ में करीब 11,000 लोगों की मृत्यु हो गई थी। अनुमान है कि इस बाढ़ ने लीबिया में दस लाख लोगों को प्रभावित किया था। इस बाढ़ ने प्रति व्यक्ति 105 डॉलर का बोझ डाला है।

इसी तरह अप्रैल में पेरूमें आई भीषण बाढ़ ने भी भारी तबाही मचाई थी। इससे करीब 125,000 लोगों के प्रभावित होने का अंदेशा है। वहीं इसकी वजह से देश में प्रति व्यक्ति 66 डॉलर का बोझ पड़ा है।

वहीं स्पेन में पड़े सूखे को इस लिस्ट में नौवें स्थान पर रखा गया है। इस आपदा ने प्रति व्यक्ति 50 डॉलर का बोझ डाला है। दसवें स्थान पर म्यांमार में आया तूफान 'मोचा' रहा। इस तूफान की वजह से 145 लोगों की मृत्यु हो गई थी जबकि इसने सीधे तौर पर एक लाख से अधिक लोगों को प्रभावित किया है। इसके बाद चिली में जून में आई बाढ़ से 21,673 लोगों के प्रभावित होने का पता चला है। इस आपदा ने इटली में प्रति व्यक्ति 39 डॉलर का बोझ डाला था।

वहीं तीन और चार जून को हुई भारी बारिश के चलते हैती में भीषण बाढ़ आ गई थी, इस बाढ़ में 78 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है। इस बाढ़ ने पहले से संकट से जूझ रहे देश में प्रति व्यक्ति 36 डॉलर का बोझ डाला था। इसी तरह अक्टूबर में मेक्सिको में आए तूफान ने भी प्रति व्यक्ति 35 डॉलर का बोझ डाला था। वहीं चिली में लगी जंगल की आग ने प्रति व्यक्ति 30 डॉलर का बोझ डाला। इसके बाद अमेरिका में आए तूफान की वजह से प्रति व्यक्ति 25 डॉलर का बोझ पड़ा था।

सबसे महंगी आपदाओं की इस लिस्ट में 16वें स्थान पर चीन में आई बाढ़ को रखा गया है। जो अगस्त के दौरान आई थी। इस बाढ़ ने प्रति व्यक्ति 23 डॉलर का बोझ डाला। इसी तरह मार्च में मलावी में आए तूफान को 18वें स्थान पर रखा गया है। तूफान फ्रेडी में मलावी के 679 लोगों की मृत्यु हो गई थी। जबकि इस तूफान ने 20 लाख लोगों को प्रभावित किया था।

देखा जाए तो यह तूफान मलावी के लिए सदी का दूसरा सबसे विनाशकारी तूफान था, जिसने प्रति व्यक्ति 17 डॉलर का बोझ डाला था। देखा जाए तो चक्रवात फ्रेडी जलवायु परिवर्तन के चलते जमीनी हिस्से को लंबे समय तक प्रभावित करने वाले चक्रवातों का एक उदाहरण है। 

रिपोर्ट के मुताबिक जंगल में लगी भीषण आग, तूफान और बाढ़ जैसी आपदाएं उन लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है जिनके पास इससे उबरने के लिए सबसे कम संसाधन मौजूद हैं। ये चुनौतियां विशेष रूप से उन देशों पर कहर ढा रही हैं जिन्होंने इस बढ़ते जलवायु संकट में सबसे कम योगदान दिया है, क्योंकि वे समृद्ध देशों की तुलना में बहुत कम जीवाश्म ईंधन का उपयोग कर रहें हैं। जो जलवायु में आते बदलावों के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेवार है।

भारत में भी काल बनी जलवायु आपदाएं

हालांकि क्रिश्चियन एड ने अपनी इस रिपोर्ट में भारत में आई किसी आपदा को शामिल नहीं किया है। लेकिन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट और डाउन टू अर्थ द्वारा किए विश्लेषण से पता चला है कि 2023 में जनवरी से सितंबर के बीच भारत ने तकरीबन रोजाना किसी न किसी चरम मौसमी आपदा का सामना किया था। इनमें बाढ़, भूस्खलन, लू, शीत लहर, भारी बारिश और चक्रवात से लेकर बिजली गिरने तक की चरम मौसमी घटनाएं शामिल हैं।

अब तक इन आपदाओं ने देश में 2,923 जिंदगियों को लील लिया है। इतना ही नहीं इन आपदाओं ने कृषि क्षेत्र पर भी गहरा असर डाला है, जिसके चलते 18.4 लाख हेक्टेयर में फसलें प्रभावित हुई और करीब 92,519 मवेशी मारे गए हैं। इसके साथ-साथ इन आपदाओं की वजह से 80,563 घरों को भी नुकसान पहुंचा है।

रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान मध्य प्रदेश ने सबसे ज्यादा चरम मौसमी घटनाओं का सामना किया है। जो करीब-करीब औसतन हर दूसरे दिन दर्ज की गई। हालांकि, इन आपदाओं में बिहार में सबसे ज्यादा लोगों की जान गई है।

आंकड़ों के अनुसार जून से सितम्बर के बीच जहां बिहार में 642 लोगों की मौत हो गई, वहीं हिमाचल प्रदेश में इन आपदाओं की भेंट चढ़ने वालों का आंकड़ा 365 और उत्तर प्रदेश में 341 दर्ज किया गया।

अतीत में, चरम मौसमी घटनाओं को लेकर यह मान्यता थी कि यह ऐसी घटनाएं हैं जो जीवनकाल में एक बार घटित होती है। हालांकि मौजूदा समय में यह धारणा काफी बदल गई है। देखा जाए तो यह किसी एक घटना के बारे में नहीं है, बल्कि इन आपदाओं की बढ़ती संख्या के बारे में है। जो चरम घटनाएं हर सौ वर्षों में यदा कदा एक बार घटती थीं, वे अब हर पांच वर्ष में या उससे भी अधिक बार घटित हो रही हैं।

वहीं जिस तरह से महीन-दर-महीने नए रिकॉर्ड बन रहे हैं, उनसे स्थिति कहीं ज्यादा बदतर हो रही है। और भी बुरा यह है कि यह सब एक साथ घटित हो रहा है। इसका सबसे ज्यादा खामियाजा गरीब तबके को भुगतना पड़ रहा है। जो न केवल इससे सबसे ज्यादा प्रभावित है, बल्कि बार-बार होने वाली इन घटनाओं से निपटने की अपनी क्षमता को भी तेजी से खो रहे हैं।