जलवायु

अब तक का सबसे गर्म साल रहा 2023, नासा ने की आधिकारिक घोषणा

वैज्ञानिकों ने फरवरी, मार्च और अप्रैल 2024 में अल नीनो का सबसे बड़ा प्रभाव देखे जाने की आशंका जताई है

Dayanidhi

नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस स्टडीज (जीआईएसएस) के वैज्ञानिकों के मुताबिक, 1880 में वैश्विक रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से 2023 सबसे अधिक  गर्म साल रहा।

नासा के रिकॉर्ड में जून, जुलाई और अगस्त के महीने किसी भी अन्य गर्म महीनों की तुलना में 0.23 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म रहे और 1951 से 1980 के बीच की औसत गर्मियों की तुलना में 1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म दर्ज किए गए। इनमें से अगस्त का महीना 0.2 डिग्री सेल्सियस औसत से अधिक गर्म रहा। उत्तरी गोलार्ध में जून से अगस्त तक के मौसम को गर्मी का मौसम माना जाता है।

यह नया रिकॉर्ड ऐसे समय में आया है जब दुनिया के अधिकांश हिस्सों में भारी गर्मी पड़ रही है, जिससे कनाडा और हवाई में घातक जंगल की आग भड़क रही है। दक्षिण अमेरिका, जापान, यूरोप और अमेरिका में लू या हीटवेव चरम पर है, जबकि इटली, ग्रीस, मध्य यूरोप और अमेरिका में भयंकर बारिश होने के आसार हैं।

प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से, नासा के बिल नेल्सन ने कहा कहा कि, साल 2023 के बढ़ती गर्मी के रिकॉर्ड केवल आंकड़े नहीं है, इनके दुनिया भर में गंभीर परिणाम होते हैं। एरिजोना और देश भर में भीषण तापमान से लेकर, पूरे कनाडा में जंगल की आग और यूरोप और एशिया में अत्यधिक बाढ़, दुनिया भर में जान-माल और आजीविका के लिए खतरा है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव हमारे ग्रह और भावी पीढ़ियों के लिए खतरा बन कर उभर रहा है।

नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक, वह हजारों मौसम विज्ञान केंद्रों द्वारा प्राप्त सतही वायु तापमान के आंकड़ों के साथ-साथ जहाज और अन्य उपकरणों से समुद्र की सतह के तापमान के आंकड़े से तापमान रिकॉर्ड, जिसे जिस्टेम्प के रूप में जाना जाता है, इकट्ठा करता है। इन आंकड़ों का विश्लेषण उन तरीकों का उपयोग करके किया जाता है जो दुनिया भर में तापमान स्टेशनों की विभिन्न दूरी और शहरी ताप प्रभावों को ध्यान में रखते हैं जो गणना में गड़बड़ी कर सकते हैं।

विश्लेषण पूर्ण तापमान के बजाय तापमान विसंगतियों की गणना करता है। तापमान विसंगति से पता चलता है कि तापमान 1951 से 1980 के आधार औसत से कितना पीछे चला गया है।

नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला के जलवायु वैज्ञानिक और समुद्र विज्ञानी जोश विलिस ने कहा, अल नीनो की वापसी के कारण आंशिक रूप से बढ़ा हुआ समुद्र की सतह का अत्यधिक उच्च तापमान गर्मियों की रिकॉर्ड गर्मी के लिए काफी हद तक जिम्मेदार था।

अल नीनो एक प्राकृतिक जलवायु घटना है जो मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान के सामान्य से अधिक गर्म होने की घटना है।

साल 2023 की रिकॉर्ड गर्मी,  लंबे समय तक होने वाली गर्मी की प्रवृत्ति को जारी रखे हुए है। नासा, नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों द्वारा दशकों से किए गए वैज्ञानिक अवलोकन और विश्लेषण से पता चला है कि, बढ़ते तापमान के पीछे मुख्य रूप से मानवजनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन है। साथ ही, प्रशांत क्षेत्र में प्राकृतिक एल नीनो की घटनाएं दुनिया भर के वातावरण में अतिरिक्त गर्मी को बढ़ाती हैं और अक्सर रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्षों के लिए जानी जाती है।

नासा के वैज्ञानिक के मुताबिक, दशकों से बढ़ता तापमान और समुद्री गर्मी लू के कारण, अल नीनो ने हमें सभी प्रकार के रिकॉर्ड स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। अब हम जो लू का अनुभव कर रहे हैं, वे लंबे समय तक जारी रह रही हैं, वे अधिक गर्म हैं और वे अधिक खतरनाक हैं। वातावरण भी अब अधिक पानी धारण कर रहा है और जब यह गर्म और नमी वाला होता है, तो मानव शरीर के लिए इसके तापमान को नियंत्रित करना और भी कठिन हो जाता है।

वैज्ञानिकों ने फरवरी, मार्च और अप्रैल 2024 में अल नीनो का सबसे बड़ा प्रभाव देखे जाने की आशंका जताई है। अल नीनो पूर्वी हवाओं के कमजोर होने और पश्चिमी प्रशांत से अमेरिका के पश्चिमी तट की ओर गर्म पानी की आवाजाही से जुड़ा है। इस घटना के व्यापक प्रभाव हो सकते हैं, अक्सर अमेरिका के दक्षिण-पश्चिम में ठंडी, आर्द्र स्थिति, इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के देशों में सूखा पड़ता है।

प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से, जलवायु वैज्ञानिक और जीआईएसएस के निदेशक गेविन श्मिट ने कहा कि, दुर्भाग्य से, जलवायु परिवर्तन हो रहा है। जिन चीजों के बारे में हमने कहा था कि वे पूरी होंगी, वे पूरी हो रही हैं। अगर हम अपने वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन जारी रखते हैं तो यह और भी बदतर हो जाएगा।