एक नया कम लागत वाला सेंसर बेहद कम मात्रा में मौजूद जहरीली सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2) गैस का पता लगाने में मदद कर सकता है। यह गैस सांस लेने में तकलीफ, अस्थमा के दौरे और फेफड़ों को लंबे समय तक नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होती है।
सल्फर डाइऑक्साइड एक जहरीला वायु प्रदूषक है जो आमतौर पर वाहनों और औद्योगिक इकाइयों से निकलता है। इसकी थोड़ी सी मात्रा भी स्वास्थ्य से संबंधित गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है और इसे समय रहते पहचान पाना मुश्किल होता है, इसलिए इस गैस की वास्तविक समय (रियल टाइम) में निगरानी करना सार्वजनिक सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए बेहद जरूरी है।
हालांकि मौजूदा तकनीकें महंगी, अधिक ऊर्जा खपत वाली होती हैं या इतनी संवेदनशील नहीं होतीं कि गैस की बहुत कम मात्रा को पकड़ सकें।
इस चुनौती से निपटने के लिए बेंगलुरु स्थित नैनो और सॉफ्ट मैटर साइंसेज केंद्र के वैज्ञानिकों ने दो धात्विक ऑक्साइड निकेल ऑक्साइड और नियोडिमियम निकेलेट को मिलाकर एक सेंसर तैयार किया है। इसे एक सरल प्रक्रिया से बनाया गया है। इसमें निकेल ऑक्साइड गैस को पहचानने का काम करता है, जबकि नियोडिमियम निकेलेट उस संकेत को कुशलता से ट्रांसमिट करता है। यह सेंसर 320 पार्ट्स पर बिलियन (पीपीबी) जितनी कम मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड का पता लगा सकता है, जो कि कई व्यावसायिक सेंसरों की तुलना में कहीं ज्यादा संवेदनशील है।
इस सामग्री की क्षमताओं को दिखाने के लिए डॉ. एस. अंगप्पने के नेतृत्व में टीम ने एक पोर्टेबल प्रोटोटाइप विकसित किया है, जिसमें यह सेंसर लगा है और जो रीयल-टाइम में सल्फर डाइऑक्साइड गैस की निगरानी कर सकता है।
इस प्रोटोटाइप में एक सरल चेतावनी प्रणाली है जो तय सीमा के आधार पर रंगों के संकेत देती है। हरा रंग सुरक्षित स्थिति के लिए, पीला चेतावनी के लिए और लाल खतरनाक स्थिति के लिए। यह संकेत सिस्टम इतना आसान है कि बिना किसी वैज्ञानिक जानकारी के आम लोग भी इसे आसानी से समझ सकते हैं और त्वरित प्रतिक्रिया दे सकते हैं। इसका कॉम्पैक्ट और हल्का डिजाइन इसे औद्योगिक क्षेत्रों, शहरी इलाकों और बंद स्थानों में लगातार वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए उपयुक्त बनाता है।
अपनी उच्च संवेदनशीलता, पोर्टेबिलिटी और उपयोग में आसानी के चलते यह सेंसर सिस्टम सल्फर डाइऑक्साइड प्रदूषण की निगरानी और नियंत्रण के लिए एक व्यावहारिक समाधान प्रदान करता है, जिससे जनस्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा को बल मिलेगा।
यह शोध यह भी दिखाता है कि मटेरियल साइंस कैसे वास्तविक जीवन की समस्याओं के लिए सुलभ तकनीकें तैयार करने में मदद कर सकती है।
इस सेंसर को विष्णु जी नाथ ने डिजाइन किया है, जिनके साथ शालिनी तोमर, निखिल एन. राव, मुहम्मद सफीर नडुविल कोविलकट्ट, नीना एस. जॉन, सतदीप भट्टाचार्य और सियोंग-चोल ली ने भी योगदान दिया। यह शोध स्मॉल नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।