बढ़ते प्रदूषण से बिगड़े हालात, बीमार, बुजुर्गों और बच्चों के लिए सांस लेना हुआ दुश्वार; फोटो: आईस्टॉक 
वायु

बिहार के औरंगाबाद में प्रदूषण से हालात खराब, 215 तक पहुंचा एक्यूआई

विश्लेषण से पता चला है कि देश के जहां 62 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 35 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है

Lalit Maurya

आंकड़ों से पता चला है कि आज देश में बिहार के औरंगाबाद की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 215 तक पहुंच गया। इस दौरान औरंगाबाद की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम10) हावी थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी मानकों के लिहाज से देखें तो वहां प्रदूषण का स्तर तय सुरक्षित सीमा से 378 फीसदी अधिक है।

मतलब की वहां की हवा में घुला जहर लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।

गौरतलब है कि कल बर्नीहाट में प्रदूषण से स्थिति सबसे ज्यादा खराब थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 145 तक पहुंच गया। हालांकि आज सरकार ने बर्नीहाट से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं। 

दूसरी तरफ आज देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 11 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर औरंगाबाद की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 19 गुणा खराब है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 26 अगस्त 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि देश के जहां 62 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 35  फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 3 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज हवा साफ है।

दिल्ली से जुड़े रुझानों पर नजर डालें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां 7 अंकों के सुधार के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 55 पर पहुंच गया। मतलब की दिल्ली में आज भी हवा संतोषजनक बनी हुई है।

रुझानों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में आज किशनगंज दूसरे स्थान पर है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 173 दर्ज किया गया है। वहीं 156 अंकों के साथ पूर्णिया तीसरे स्थान पर है। समस्तीपुर में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 152 अंकों के साथ आज चौथे स्थान पर है। इसी तरह देश के सबसे प्रदूषित शहरों में छपरा (114), गुम्मिडिपूंडी (110) और धौलपुर (109) शामिल हैं।

आज देश में जहां किशनगंज, समस्तीपुर आदि शहरों में प्रदूषण के महीन कण हावी हैं। औरंगाबाद (बिहार), गुम्मिडिपूंडी, धौलपुर आदि में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इसी तरह कई शहरों में कार्बन आदि प्रदूषकों से हालात खराब हैं।

इन शहरों के उलट आज देश में शिलांग सहित 143 शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में बैरकपुर, बेलापुर, बेलगाम, भरतपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, भिवंडी, भोपाल, भुवनेश्वर, बिलासपुर, बोईसर, बुलन्दशहर, बूंदी, ब्यासनगर, चामराजनगर, चंद्रपुर, चेंगलपट्टू, चिकबलपुर, चित्तौड़गढ़, चुरू, दमोह, दावनगेरे, देहरादून, देवास, धुले आदि शामिल हैं।

अच्छी खबर यह है कि कल से साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 1.4 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। 

आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 35 फीसदी यानी 80 शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में कोयंबटूर, कुड्डालोर, कटक, दिल्ली, धनबाद, धारवाड़, एलूर, ग्रेटर नोएडा, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हापुड, हैदराबाद, जयपुर, जैसलमेर, जलना, जालौर, झालावाड़, जोरापोखर, कलबुर्गी, कन्नूर, कानपुर, कटिहार, कटनी, क्योंझर, कोहिमा, कोप्पल, कोटा, मालेगांव, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, मुरादाबाद, मोतिहारी, नगांव, पंचगांव, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, पुणे, राजगीर, राजसमंद आदि शामिल हैं।

साफ हवा वाले शहरों की तरह ही देश में संतोषजनक हवा वाले  शहरों की गिनती में 14 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।

इन शहरों के उलट आज देश में छह शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में छपरा, धौलपुर, गुम्मिडिपूंडी, किशनगंज, पूर्णिया, समस्तीपुर शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि कल से देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में इजाफा हुआ है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 230 में से 143 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 80 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 25 अगस्त 2025 को यह आंकड़ा 70 दर्ज किया गया था।

6 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में औरंगाबाद (बिहार) (215) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 150 के करीब पहुंच गया। कल बर्नीहाट में वायु गुणवत्ता सूचकांक 145 रिकॉर्ड किया गया।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है। इसके साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक सुधरकर 55 पर पहुंच गया। मलतब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता अभी भी संतोषजनक श्रेणी में बनी हुई है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं। 

गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज समस्तीपुर चौथे स्थान पर है, वहीं किशनगंज (173) दूसरे, जबकि पूर्णिया (156) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 44, गाजियाबाद में 44, गुवाहाटी में 34, हापुड में 52, नोएडा में 38, ग्रेटर नोएडा में 56 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 43 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘बेहतर‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 48, चेन्नई में 82, चंडीगढ़ में 52, हैदराबाद में 70, जयपुर में 62 और पटना में 84 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 143 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, अहमदाबाद, अहमदनगर, अकोला, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अनंतपुर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बद्दी, बदलापुर, बागलकोट, बांसवाड़ा, बारां, बारबिल, बैरकपुर, बेलापुर, बेलगाम, भरतपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, भिवंडी, भोपाल, भुवनेश्वर, बिलासपुर, बोईसर, बुलन्दशहर, बूंदी, ब्यासनगर, चामराजनगर, चंद्रपुर, चेंगलपट्टू, चिकबलपुर, चित्तौड़गढ़, चुरू, दमोह, दावनगेरे, देहरादून, देवास, धुले, डिंडीगुल, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गंगटोक, गया, गाजियाबाद, गोरखपुर, गुरूग्राम, गुवाहाटी, ग्वालियर, हल्दिया, होसुर, हावड़ा, हुबली, इंदौर, जबलपुर, जालंधर, जलगांव, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, कल्याण, कांचीपुरम, करौली, करूर, काशीपुर, खन्ना, खुर्जा, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मंगुराहा, मेरठ, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागपट्टिनम, नागौर, नागपुर, नाहरलगुन, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, नोएडा, ऊटी, पालकालाइपेरुर, परभनी, पटियाला, पेरुंदुरई, पीथमपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, रामनाथपुरम, रतलाम, ऋषिकेश, राउरकेला, रूपनगर, सलेम, सांगली, सासाराम, सवाई माधोपुर, शिलांग, शिवमोगा, सिलीगुड़ी, सिंगरौली, सिरोही, शिवसागर, सिवान, सोलापुर, सूरत, ठाणे, तंजावुर, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, तिरुपुर, तुमिडीह, उदयपुर, वाराणसी, वेल्लोर, विजयपुरा, विरार, वृंदावन, यादगीर शामिल हैं।

वहीं आगरा, अजमेर, अलवर, अंगुल, अंकलेश्वर, आरा, आसनसोल, बालासोर, बरेली, बारीपदा, बाड़मेर, बेगूसराय, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, बिहार शरीफ, बीकानेर, बिलीपाड़ा, ब्रजराजनगर, बक्सर, चंडीगढ़, चेन्नई, चित्तूर, कोयंबटूर, कुड्डालोर, कटक, दिल्ली, धनबाद, धारवाड़, एलूर, ग्रेटर नोएडा, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हापुड, हैदराबाद, जयपुर, जैसलमेर, जलना, जालौर, झालावाड़, जोरापोखर, कलबुर्गी, कन्नूर, कानपुर, कटिहार, कटनी, क्योंझर, कोहिमा, कोप्पल, कोटा, मालेगांव, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, मुरादाबाद, मोतिहारी, नगांव, पंचगांव, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, पुणे, राजगीर, राजसमंद, रानीपेट, सागर, सहरसा, सीकर, सिलचर, श्री गंगानगर, तालचेर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, टोंक, उल्हासनगर, वापी, वातवा, विजयवाड़ा, विरुधुनगर, विशाखापत्तनम आदि 80 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।