सांसों में घुलता जहर बड़ों के साथ-साथ बच्चों के स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है; फोटो: विकास चौधरी/ सीएसई 
वायु

प्रदूषण में अव्वल ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद में 434 पर पहुंचा एक्यूआई

18 नवंबर 2025 को देश में ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 454 पर पहुंच गया। वहीं दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है

Lalit Maurya

  • ग्रेटर नोएडा में 18 नवंबर 2025 को वायु गुणवत्ता सूचकांक 454 तक पहुंच गया, जो देश में सबसे खराब है। गाजियाबाद में भी स्थिति गंभीर है, जहां एक्यूआई 434 दर्ज किया गया।

  • प्रदूषण के महीन कणों के कारण ग्रेटर नोएडा की हवा गैस-चैम्बर जैसी हो गई है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 900 फीसदी अधिक है।

  • दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 26 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर ग्रेटर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 16 गुणा खराब है।

  • राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ है, जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से 2,300 फीसदी अधिक है।

  • आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में गाजियाबाद (434) दूसरे जबकि हापुड (398) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 397 अंकों के साथ बागपत चौथे स्थान पर है।

  • नोएडा- मेरठ में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 390 और 376 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।

विश्लेषण से पता चला है कि 18 नवंबर 2025 को देश में ग्रेटर नोएडा की हवा सबसे खराब रही, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 454 रिकॉर्ड किया गया। गौरतलब है कि 17 नवंबर को ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई 390 दर्ज किया गया था। मतलब कि वहां कल से प्रदूषण में 64 अंकों का भारी इजाफा हुआ है।          

इसके साथ ही ग्रेटर नोएडा में स्थिति 'बेहद खराब' से ‘गंभीर’ हो गई है और वहां गैस-चैम्बर जैसे हालत बने हुए हैं। रुझानों में सामने आया है कि ग्रेटर नोएडा की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम10) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।

ग्रेटर नोएडा से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 900 फीसदी अधिक है।

दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 26 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर ग्रेटर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 16 गुणा खराब है।

गौरतलब है कि कल (17 नवंबर) गाजियाबाद की हवा सबसे खराब थी जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 401 दर्ज किया गया था। हालांकि कल से तुलना करें तो आज गाजियाबाद में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही वहां सूचकांक 33 अंकों के इजाफे के साथ बढ़कर 434 पर पहुंच गया। चिंता की बात है गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता अभी भी गंभीर श्रेणी में बनी हुई है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ है, जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से 2,300 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि 11 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित शहर दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 428 तक पहुंच गया था।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 18 नवंबर, 2025 को 240 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 4.6 फीसदी शहरों में हवा साफ है।

वहीं करीब 27.5 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 67.9 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। चिंता की बात यह है कि कल से देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 12 फीसदी की गिरावट आई है।

वहीं साफ हवा वाले शहरों की गिनती में कल से कोई बदलाव नहीं हुआ है और स्थिति जस की तस है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो वहां भी कल से स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में तीन फीसदी से अधिक की गिरावट रिकॉर्ड की गई। दूसरी तरह देश में बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 40 फीसदी का इजाफा हुआ है, जोकि चिंता का विषय है। फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 212 रिकॉर्ड किया गया है।

आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में गाजियाबाद (434) दूसरे जबकि हापुड (398) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 397 अंकों के साथ बागपत चौथे स्थान पर है। नोएडा- मेरठ में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 390 और 376 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।

दिल्ली (374) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में भिवाड़ी (359), मंडीदीप (348) और सोनीपत (344) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के छह शहर (ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, हापुड, बागपत, नोएडा, मेरठ) शामिल हैं।

विश्लेषण से यह भी पता चला है कि जहां गाजियाबाद, हापुड, बागपत, नोएडा, मेरठ, दिल्ली, भिवाड़ी, मंडीदीप, सोनीपत, खुर्जा, बुलन्दशहर, मानेसर, चरखी दादरी, मुजफ्फरनगर, रोहतक, पीथमपुर, गुरूग्राम, धारूहेड़ा, नारनौल, कटक, फतेहाबाद, करनाल, कोटा, मांडीखेड़ा, अम्बाला, अंगुल, गुम्मिडिपूंडी, सांगली, भोपाल, कुरूक्षेत्र, फरीदाबाद, कटनी, झालावाड़, परभनी, नांदेड़, प्रयागराज, हनुमानगढ़, देवास, पिंपरी-चिंचवाड, तालचेर, आगरा, डूंगरपुर, जयपुर, नागपुर, सागर, जबलपुर आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।

वहीं ग्रेटर नोएडा, टोंक, सीकर, नागौर, श्री गंगानगर, चुरू, बीकानेर, झुंझुनूं, पाली, हिसार, रतलाम, बेलापुर, दौसा, सासाराम, उल्हासनगर, टेन्सा, वृंदावन, चंद्रपुर, अजमेर, पटियाला, जैसलमेर, जालौर, धुले, बदलापुर, कोल्हापुर, कल्याण, बिलीपाड़ा, अमरावती (महाराष्ट्र), क्योंझर, सिंगरौली, जालंधर, उदयपुर, बाड़मेर, वातवा, अमरावती (आंध्रप्रदेश), ठाणे, महाड, बल्लभगढ़, औरंगाबाद (बिहार), राजमहेंद्रवरम, तुमिडीह, बेंगलुरु, मुरादाबाद, उडुपी, बिलासपुर, फिरोजाबाद आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत देश के 4.6 फीसदी यानी महज 11 शहरों में हवा साफ है।

इन साफ हवा वाले शहरों में किशनगंज, मदिकेरी, नगांव, नलबाड़ी, शिलांग, शिवमोगा, शिवसागर, तिरुवनंतपुरम, विजयपुरा आदि शामिल हैं। 

आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें बेगूसराय, बेलगाम, भागलपुर, भिलाई, ब्रजराजनगर, चंडीगढ़, चेन्नई, चिक्कामगलुरु, कोयंबटूर, दमोह, देहरादून, धारवाड़, एलूर, गडग, गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, जलना, कडपा, कलबुर्गी, कन्नूर, कानपुर, काशीपुर, कटिहार, कोहिमा, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, मदुरै, मैहर, मंगलौर, मंगुराहा, मोतिहारी, मैसूर, नाहरलगुन, नयागढ़, पंचगांव आदि शामिल हैं।

इन शहरों के उलट आज देश के 118 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।

इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अररिया, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बद्दी, बदलापुर, बालासोर, बल्लभगढ़, बांसवाड़ा, बारां, बारबिल, बारीपदा, बाड़मेर, बठिंडा, बेलापुर, बेंगलुरु, बेतिया, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, भिवानी, बीकानेर, बिलासपुर, बिलीपाड़ा, बोईसर, बूंदी, बक्सर, ब्यासनगर, बर्नीहाट, चंद्रपुर, छाल, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, दौसा, देवास, धनबाद, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हिसार, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जालौर, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, कैथल, कल्याण, करौली, क्योंझर, खन्ना, कोल्हापुर, कोलकाता, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, महाड, मालेगांव, मंडी गोबिंदगढ़, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नागपुर, नासिक, नवी मुंबई, पाली, पलवल, पंचकुला, पानीपत, पटियाला, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, प्रतापगढ़, पुणे, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, राजसमंद, रतलाम, राउरकेला, सागर, सासाराम, सिंगरौली, सोलापुर, तालचेर, टेन्सा, ठाणे, तुमिडीह, उदयपुर, उडुपी, उल्हासनगर, वाराणसी, वातवा, विशाखापत्तनम, वृंदावन, यादगीर शामिल हैं।

आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 29 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में अम्बाला, अंगुल, भोपाल, भुवनेश्वर, चुरू, कटक, धारूहेड़ा, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुम्मिडिपूंडी, गुरूग्राम, ग्वालियर, झालावाड़, करनाल, कटनी, कोटा, कुरूक्षेत्र, मांडीखेड़ा, नागौर, नांदेड़, नारनौल, परभनी, पीथमपुर, प्रयागराज, सांगली, सवाई माधोपुर, सीकर, श्री गंगानगर, टोंक शामिल हैं।

इसी तरह आज देश के 14 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में बागपत, भिवाड़ी, बुलन्दशहर, चरखी दादरी, दिल्ली, हापुड, खुर्जा, मंडीदीप, मानेसर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, नोएडा, रोहतक, सोनीपत शामिल हैं। वहीं गाजियाबाद (434) और ग्रेटर नोएडा (454) में स्थिति गंभीर है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 240 में से महज 11 शहरों में हवा 'बेहतर' है। 66 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 17 नवंबर 2025 को यह आंकड़ा 75 दर्ज किया गया था।

118 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में आज ग्रेटर नोएडा (454) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 460 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल ग्रेटर नोएडा में सूचकांक 390 रिकॉर्ड किया गया था। मतलब की आज वहां प्रदूषण के स्तर में 64 अंकों का भारी इजाफा आया है। इसके साथ ही ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब से 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया है।

कल गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता सबसे ज्यादा खराब थी, जब सूचकांक 401 दर्ज किया गया था। वहीं आज 18 नवंबर को 33 अंकों के उछाल के साथ गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 434 पर पहुंच गया।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 374 पर पहुंच गया। दूसरी तरफ फरीदाबाद में कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां 35 अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई घटकर 212 पर पहुंच गया।

गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 18 नवंबर को बागपत चौथे स्थान पर है, वहीं गाजियाबाद (434) दूसरे, जबकि हापुड (398) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 241, गाजियाबाद में 434, गुवाहाटी में 73, गुरूग्राम में 272, नोएडा में 390, ग्रेटर नोएडा में 454 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 158 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 144, चेन्नई में 91, चंडीगढ़ में 93, हैदराबाद में 119, जयपुर में 179 और पटना में 153 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 11 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, चामराजनगर, किशनगंज, मदिकेरी, नगांव, नलबाड़ी, शिलांग, शिवमोगा, शिवसागर, तिरुवनंतपुरम, विजयपुरा शामिल हैं।

वहीं अकोला, अलवर, अनंतपुर, बागलकोट, बरेली, बैरकपुर, बेगूसराय, बेलगाम, भागलपुर, भिलाई, ब्रजराजनगर, चंडीगढ़, चेन्नई, चिक्कामगलुरु, कोयंबटूर, दमोह, देहरादून, धारवाड़, एलूर, गडग, गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, जलना, कडपा, कलबुर्गी, कन्नूर, कानपुर, काशीपुर, कटिहार, कोहिमा, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, मदुरै, मैहर, मंगलौर, मंगुराहा, मोतिहारी, मैसूर, नाहरलगुन, नयागढ़, पंचगांव, पेरुंदुरई, पुदुचेरी, पूर्णिया, रायपुर, रायरंगपुर, ऋषिकेश, रूपनगर, सहरसा, समस्तीपुर, सतना, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, सिरसा, सिवान, सूरत, थूथुकुडी , त्रिशूर, तिरुमाला, तिरुपति, विजयवाड़ा, विरार आदि 66 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

कल देश में वायु गुणवत्ता की स्थिति कैसी थी इसकी जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर के पिछले अंक से प्राप्त कर सकते हैं:

प्रदूषण का हॉटस्पॉट बना उत्तर प्रदेश, गाजियाबाद में एक्यूआई 401, हालात ‘गंभीर’