देश में बढ़ता प्रदूषण अब सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है, छोटे शहरों में भी स्थिति तेजी से बदल रही हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 21 अप्रैल 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदूषण के मामले में राजस्थान की स्थिति खराब है।
हालात यह हैं कि श्रीगंगानगर में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 321 तक पहुंच गया है। वहीं 19 अप्रैल को नागौर में सूचकांक 313 दर्ज किया गया था। वहीं कल यानी 20 अप्रैल को बिहार के सिवान की हवा सबसे ज्यादा खराब थी, जहां एक्यूआई 318 दर्ज किया गया। हालांकि सरकार ने आज सिवान के आंकड़े साझा नहीं किए हैं।
रुझानों पर नजर डालें तो राजस्थान का दौसा आज प्रदूषण के मामले में दूसरे स्थान पर है, जहां सूचकांक 247 रिकॉर्ड किया गया। वहीं 236 अंकों के साथ भिवाड़ी तीसरे स्थान पर है। राजस्थान का एक और शहर पाली आज चौथे स्थान पर है, जहां एक्यूआई 230 दर्ज किया गया है। इसी तरह जयपुर (223) और सवाई माधोपुर (212) में भी स्थिति खराब है, जहां एक्यूआई 200 से ज्यादा रिकॉर्ड किया गया है। यह शहर देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में पांचवें और छठे स्थान पर बने हुए हैं।
ग्वालियर (208) सातवें जबकि कुंजेमुरा (207) आठवें स्थान पर है।
राजधानी दिल्ली में भी कल से प्रदूषण में अच्छा खासा इजाफा हुआ है। जहां 65 अंकों के उछाल के साथ सूचकांक 205 तक पहुंच गया। मतलब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता एक बार फिर खराब हो गई है। बेगूसराय भी दस सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में शामिल है।
आंकड़ों की मानें तो देश के आठ शहरों में हवा खराब है। राहत की बात यह है कि कल से देश में खराब हवा वाले शहरों की गिनती में 27 फीसदी की गिरावट आई है।
वहीं दूसरी तरफ एक बार फिर रूपनगर की हवा सबसे साफ रही, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 15 दर्ज किया गया है। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर श्रीगंगानगर की तुलना रूपनगर से करें तो वहां स्थिति 20 गुणा ज्यादा खराब है।
रूपनगर की तरह ही देश के 25 अन्य शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में गांधीनगर, हुबली, कोप्पल, मैहर, मीरा-भायंदर, नगांव, नलबाड़ी, पुदुचेरी, रामनाथपुरम, रूपनगर, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर आदि शामिल हैं। कल से देखें तो देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब चार फीसदी की गिरावट आई है।
देश में अमरावती सहित 100 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है। इन शहरों में काशीपुर, कटिहार, क्योंझर, खन्ना, कोहिमा, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, मदुरै, महाड, मंगलौर, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नमक्कल, नांदेड़, नवी मुंबई, ऊटी, परभनी, पिंपरी-चिंचवाड, पुदुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, ऋषिकेश, सलेम, सांगली, सतना, सिलीगुड़ी आदि शहर शामिल हैं।
साफ हवा वाले शहरों की तरह ही देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में भी आठ फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है, जोकि चिंता का विषय है।
रुझानों के मुताबिक आगरा सहित देश के 95 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इनमें बाड़मेर, बेगूसराय, भागलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भोपाल, बीकानेर, बिलीपाड़ा, बुलन्दशहर, बूंदी, बर्नीहाट, चंद्रपुर, चित्तौड़गढ़, चुरू, दमोह, देवास, धनबाद, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, दुर्गापुर, गया, गाजियाबाद, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, इंफाल, इंदौर, जैसलमेर, जलगांव, जालौर, झालावाड़, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, कानपुर, करौली, कटनी, कोरबा, कोटा, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, मदिकेरी, मालेगांव, मंडीदीप, मंगुराहा आदि शहर शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब 27 फीसदी का इजाफा हुआ है।
विश्लेषण से पता चला है कि देश में 11 फीसदी से अधिक शहरों में हवा साफ है। वहीं 43 फीसदी से ज्यादा में स्थिति सन्तोषजनक है। दूसरी तरफ देश के 45 फीसदी से अधिक शहरों में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 230 में से महज 26 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 100 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 20 अप्रैल 2025 को यह आंकड़ा 109 दर्ज किया गया था।
95 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में श्रीगंगानगर (321) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 330 के करीब पहुंच गया। कल सिवान में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब एक्यूआई 318 रिकॉर्ड किया गया था।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है। इसके साथ ही 65 अंकों के उछाल के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 205 पर पहुंच गया। मतलब कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता मध्यम से खराब श्रेणी में पहुंच गई है। वहीं आज एक बार फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं।
गौरतलब है कि पिछले तीन महीनों जनवरी, फरवरी और मार्च 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज पाली चौथे स्थान पर है, वहीं दौसा (247) दूसरे, जबकि भिवाड़ी (236) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 208, गाजियाबाद में 180, गुवाहाटी में 65, गुरूग्राम में 176, नोएडा में 146, ग्रेटर नोएडा में 149 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 66 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक’ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 148, चेन्नई में 55, चंडीगढ़ में 100, हैदराबाद में 79, जयपुर में 223 और पटना में 141 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 26 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, आइजोल, बागलकोट, बेलगाम, चिक्कामगलुरु, कोयंबटूर, कुड्डालोर, गडग, गांधीनगर, हुबली, कोप्पल, मैहर, मीरा-भायंदर, नगांव, नलबाड़ी, पुदुचेरी, रामनाथपुरम, रूपनगर, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, श्री विजया पुरम, सूरत, तंजावुर, तिरुनेलवेली, वापी शामिल हैं।
वहीं अकोला, अमरावती, अनंतपुर, अंकलेश्वर, अररिया, अरियालूर, आसनसोल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बालासोर, बरेली, बारीपदा, बैरकपुर, बठिंडा, बेलापुर, बेंगलुरु, बेतिया, भिलाई, भिवंडी, भुवनेश्वर, बीदर, बिलासपुर, बोईसर, बक्सर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चिकबलपुर, चित्तूर, कटक, दावनगेरे, देहरादून, डिंडीगुल, एलूर, फिरोजाबाद, गुम्मिडिपूंडी, गुवाहाटी, हल्दिया, हापुड, हावड़ा, हैदराबाद, जबलपुर, जालंधर, कडपा, कलबुर्गी, कल्याण, कांचीपुरम, कन्नूर, करूर, काशीपुर, कटिहार, क्योंझर, खन्ना, कोहिमा, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, मदुरै, महाड, मंगलौर, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नमक्कल, नांदेड़, नवी मुंबई, ऊटी, परभनी, पिंपरी-चिंचवाड, पुदुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, ऋषिकेश, सलेम, सांगली, सतना, सिलीगुड़ी, शिवसागर, तालचेर, टेन्सा, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, वृंदावन, यादगीर आदि 100 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
देश में बढ़ता प्रदूषण अब सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है, छोटे शहरों में भी स्थिति तेजी से बदल रही हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 21 अप्रैल 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदूषण के मामले में राजस्थान की स्थिति खराब है।
हालात यह हैं कि श्रीगंगानगर में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 321 तक पहुंच गया है। वहीं 19 अप्रैल को नागौर में सूचकांक 313 दर्ज किया गया था। वहीं कल यानी 20 अप्रैल को बिहार के सिवान की हवा सबसे ज्यादा खराब थी, जहां एक्यूआई 318 दर्ज किया गया। हालांकि सरकार ने आज सिवान के आंकड़े साझा नहीं किए हैं।
रुझानों पर नजर डालें तो राजस्थान का दौसा आज प्रदूषण के मामले में दूसरे स्थान पर है, जहां सूचकांक 247 रिकॉर्ड किया गया। वहीं 236 अंकों के साथ भिवाड़ी तीसरे स्थान पर है। राजस्थान का एक और शहर पाली आज चौथे स्थान पर है, जहां एक्यूआई 230 दर्ज किया गया है। इसी तरह जयपुर (223) और सवाई माधोपुर (212) में भी स्थिति खराब है, जहां एक्यूआई 200 से ज्यादा रिकॉर्ड किया गया है। यह शहर देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में पांचवें और छठे स्थान पर बने हुए हैं।
ग्वालियर (208) सातवें जबकि कुंजेमुरा (207) आठवें स्थान पर है।
राजधानी दिल्ली में भी कल से प्रदूषण में अच्छा खासा इजाफा हुआ है। जहां 65 अंकों के उछाल के साथ सूचकांक 205 तक पहुंच गया। मतलब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता एक बार फिर खराब हो गई है। बेगूसराय भी दस सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में शामिल है।
आंकड़ों की मानें तो देश के आठ शहरों में हवा खराब है। राहत की बात यह है कि कल से देश में खराब हवा वाले शहरों की गिनती में 27 फीसदी की गिरावट आई है।
वहीं दूसरी तरफ एक बार फिर रूपनगर की हवा सबसे साफ रही, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 15 दर्ज किया गया है। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर श्रीगंगानगर की तुलना रूपनगर से करें तो वहां स्थिति 20 गुणा ज्यादा खराब है।
रूपनगर की तरह ही देश के 25 अन्य शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में गांधीनगर, हुबली, कोप्पल, मैहर, मीरा-भायंदर, नगांव, नलबाड़ी, पुदुचेरी, रामनाथपुरम, रूपनगर, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर आदि शामिल हैं। कल से देखें तो देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब चार फीसदी की गिरावट आई है।
देश में अमरावती सहित 100 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है। इन शहरों में काशीपुर, कटिहार, क्योंझर, खन्ना, कोहिमा, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, मदुरै, महाड, मंगलौर, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नमक्कल, नांदेड़, नवी मुंबई, ऊटी, परभनी, पिंपरी-चिंचवाड, पुदुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, ऋषिकेश, सलेम, सांगली, सतना, सिलीगुड़ी आदि शहर शामिल हैं।
साफ हवा वाले शहरों की तरह ही देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में भी आठ फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है, जोकि चिंता का विषय है।
रुझानों के मुताबिक आगरा सहित देश के 95 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इनमें बाड़मेर, बेगूसराय, भागलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भोपाल, बीकानेर, बिलीपाड़ा, बुलन्दशहर, बूंदी, बर्नीहाट, चंद्रपुर, चित्तौड़गढ़, चुरू, दमोह, देवास, धनबाद, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, दुर्गापुर, गया, गाजियाबाद, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, इंफाल, इंदौर, जैसलमेर, जलगांव, जालौर, झालावाड़, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, कानपुर, करौली, कटनी, कोरबा, कोटा, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, मदिकेरी, मालेगांव, मंडीदीप, मंगुराहा आदि शहर शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब 27 फीसदी का इजाफा हुआ है।
विश्लेषण से पता चला है कि देश में 11 फीसदी से अधिक शहरों में हवा साफ है। वहीं 43 फीसदी से ज्यादा में स्थिति सन्तोषजनक है। दूसरी तरफ देश के 45 फीसदी से अधिक शहरों में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 230 में से महज 26 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 100 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 20 अप्रैल 2025 को यह आंकड़ा 109 दर्ज किया गया था।
95 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में श्रीगंगानगर (321) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 330 के करीब पहुंच गया। कल सिवान में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब एक्यूआई 318 रिकॉर्ड किया गया था।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है। इसके साथ ही 65 अंकों के उछाल के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 205 पर पहुंच गया। मतलब कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता मध्यम से खराब श्रेणी में पहुंच गई है। वहीं आज एक बार फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं।
गौरतलब है कि पिछले तीन महीनों जनवरी, फरवरी और मार्च 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज पाली चौथे स्थान पर है, वहीं दौसा (247) दूसरे, जबकि भिवाड़ी (236) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 208, गाजियाबाद में 180, गुवाहाटी में 65, गुरूग्राम में 176, नोएडा में 146, ग्रेटर नोएडा में 149 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 66 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक’ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 148, चेन्नई में 55, चंडीगढ़ में 100, हैदराबाद में 79, जयपुर में 223 और पटना में 141 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 26 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, आइजोल, बागलकोट, बेलगाम, चिक्कामगलुरु, कोयंबटूर, कुड्डालोर, गडग, गांधीनगर, हुबली, कोप्पल, मैहर, मीरा-भायंदर, नगांव, नलबाड़ी, पुदुचेरी, रामनाथपुरम, रूपनगर, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, श्री विजया पुरम, सूरत, तंजावुर, तिरुनेलवेली, वापी शामिल हैं।
वहीं अकोला, अमरावती, अनंतपुर, अंकलेश्वर, अररिया, अरियालूर, आसनसोल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बालासोर, बरेली, बारीपदा, बैरकपुर, बठिंडा, बेलापुर, बेंगलुरु, बेतिया, भिलाई, भिवंडी, भुवनेश्वर, बीदर, बिलासपुर, बोईसर, बक्सर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चिकबलपुर, चित्तूर, कटक, दावनगेरे, देहरादून, डिंडीगुल, एलूर, फिरोजाबाद, गुम्मिडिपूंडी, गुवाहाटी, हल्दिया, हापुड, हावड़ा, हैदराबाद, जबलपुर, जालंधर, कडपा, कलबुर्गी, कल्याण, कांचीपुरम, कन्नूर, करूर, काशीपुर, कटिहार, क्योंझर, खन्ना, कोहिमा, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, मदुरै, महाड, मंगलौर, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नमक्कल, नांदेड़, नवी मुंबई, ऊटी, परभनी, पिंपरी-चिंचवाड, पुदुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, ऋषिकेश, सलेम, सांगली, सतना, सिलीगुड़ी, शिवसागर, तालचेर, टेन्सा, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, वृंदावन, यादगीर आदि 100 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।