26 नवंबर 2025 को हापुड़ देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा, जहां एक्यूआई 366 दर्ज हुआ, जो शिलांग से 30 गुना अधिक है। पीएम2.5 के उच्च स्तर ने हवा को बेहद खराब श्रेणी में रखा।
248 शहरों के लिए जारी आंकड़ों से पता चला है कि उनमें से महज 5.2 फीसदी शहरों की हवा साफ है, जबकि करीब 68 फीसदी में हालात चिंताजनक बने हुए हैं
दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 12 रिकॉर्ड किया गया।
राजधानी दिल्ली (327) की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ बनी हुई है, जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से 600 फीसदी अधिक है।
फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 210 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में नोएडा (350) दूसरे जबकि अंगुल (337) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 331 अंकों के साथ मानेसर चौथे स्थान पर है।
गाजियाबाद-दिल्ली में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 329 और 327 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
रोहतक (325) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में ग्रेटर नोएडा (322), मुजफ्फरनगर (322), विशाखापत्तनम (310) भी शामिल हैं।
आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के पांच शहर (हापुड़, नोएडा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, मुजफ्फरनगर) शामिल हैं।
विश्लेषण से पता चला है कि 26 नवंबर 2025 को एक बार फिर देश में हापुड़ की हवा सबसे ज्यादा खराब रही, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 366 पर पहुंच गया। गौरतलब है कि 25 नवंबर को हापुड़ में एक्यूआई 389 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 23 अंकों का सुधार आया है।
इसके बावजूद हापुड़ में अभी भी स्थिति ‘बेहद खराब’ बनी हुई है। रुझानों में सामने आया है कि हापुड़ की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
हापुड़ से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,300 फीसदी अधिक है।
दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 12 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर हापुड़ की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 30 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली (327) की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ बनी हुई है, जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से 600 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि 11 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित शहर दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 428 तक पहुंच गया था।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 26 नवंबर, 2025 को 248 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 5.2 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं 27 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 67.7 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 38 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।
वहीं संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में कल से करीब 46 फीसदी का इजाफा हुआ है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो इन शहरों में कल से पांच फीसदी की गिरावट आई है।
खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में करीब 26 फीसदी का इजाफा हुआ है। दूसरी तरह देश में बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब 32 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जोकि राहत की खबर है। फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 210 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में नोएडा (350) दूसरे जबकि अंगुल (337) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 331 अंकों के साथ मानेसर चौथे स्थान पर है। गाजियाबाद-दिल्ली में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 329 और 327 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
रोहतक (325) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में ग्रेटर नोएडा (322), मुजफ्फरनगर (322), विशाखापत्तनम (310) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के पांच शहर (हापुड़, नोएडा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, मुजफ्फरनगर) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि हापुड़, नोएडा, अंगुल, मानेसर, रोहतक, मुजफ्फरनगर, विशाखापत्तनम, बागपत, भुवनेश्वर, कटक, भिवानी, धारूहेड़ा, सिंगरौली, सोनीपत, भिवाड़ी, पीथमपुर, हल्दिया, जींद, बुलंदशहर, चरखी दादरी, देवास, बालासोर, गुरुग्राम, बल्लभगढ़, ब्यासनगर, टोंक, फतेहाबाद, राजमहेंद्रवरम, गुम्मिडीपूंडी, यमुना नगर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अररिया, हावड़ा, तालचेर, बेलापुर, नागपुर, करनाल, बहादुरगढ़, मंडी गोबिंदगढ़, कोलकाता, कटनी, फरीदाबाद, कुरुक्षेत्र, बारीपदा, अंबाला, बैरकपुर, हनुमानगढ़, कोल्लम, आसनसोल, विरार, मंडीदीप, अमृतसर, बद्दी, बारबिल, सीकर, नवी मुंबई, डूंगरपुर, धौलपुर, चंडीगढ़, चित्तूर, परभणी, तिरुपुर, अनंतपुर, जालंधर, मुरादाबाद, भिवंडी, हाजीपुर, पटना, तिरुमाला आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।
वहीं गाजियाबाद, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, मेरठ, श्री गंगानगर, चूरू, बीकानेर, सूरत, लखनऊ, अहमदाबाद, रतलाम, कल्याण, झुंझुनू, आगरा, जयपुर, सागर, सासाराम, कोल्हापुर, नागौर, क्योंझर, प्रयागराज, उल्हासनगर, पिंपरी-चिंचवाड़, बांसवाड़ा, पुणे, वृंदावन, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, पटियाला, गांधीनगर, मालेगांव, बिलीपाड़ा, अजमेर, आरा, अहमदनगर, बदलापुर, बाड़मेर, धनबाद, सवाई माधोपुर, बिलासपुर, सिरसा, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), भागलपुर, गया, वाराणसी, नासिक, रायरंगपुर, चेन्नई, जलगांव आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत देश के 5.2 फीसदी यानी महज 13 शहरों में हवा साफ है।
इन साफ हवा वाले शहरों में चामराजनगर, दमोह, डिंडीगुल, गंगटोक, किशनगंज, मंगलौर, नागांव, पलकलाईपेरूर, पंचकुला, रामनाथपुरम आदि शामिल हैं।
आज देश के जिन 67 शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें छपरा, चिक्कमगलुरु, कुड्डालोर, दावनगेरे, धारवाड़, एलूर, गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, जैसलमेर, जलना, झांसी, कडप्पा, कलबुर्गी, कन्नूर, करूर, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, मदुरै, महाद, मैहर, मंगुराहा, मैसूर, नयागढ़, ऊटी, पलवल, पेरुंदुरई, पुडुचेरी, रायपुर, राजगीर, ऋषिकेश, राउरकेला, रूपनगर, सलेम आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 114 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अंबाला, अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अनंतपुर, अंकलेश्वर, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद महाराष्ट्र), बद्दी, बदलापुर, बांसवाड़ा, बारां, बारबिल, बारीपदा, बाड़मेर, बैरकपुर, बठिंडा, बेतिया, भागलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, बिहार शरीफ, बिलासपुर, बिलीपाड़ा, बोइसर, बक्सर, चंडीगढ़, चेन्नई, छाल, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, दौसा, देहरादून, धनबाद, धौलपुर, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जालंधर, जलगांव, जालोर, झालावाड़, झुंझुनू, जोधपुर, कल्याण, कानपुर, करौली, काशीपुर, क्योंझर, खन्ना, कोहिमा, कोल्हापुर, कोल्लम, कोटा, लखनऊ, लुधियाना, मालेगांव, मंडीदीप, मंडीखेड़ा, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नागौर, नांदेड़, नारनौल, नासिक, नवी मुंबई, पाली, परभणी, पटियाला, पटना, पिंपरी-चिंचवाड़, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, पुणे, पूर्णिया, रायरंगपुर, राजसमंद, रतलाम, सागर, सहरसा, सासाराम, सवाई माधोपुर, सीकर, सिरोही, सिरसा, ठाणे, तिरुमाला, तिरुपुर, उदयपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, विरार, वृंदावन शामिल हैं।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 39 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में अमरावती (आंध्रप्रदेश), अररिया, बहादुरगढ़, बालासोर, बल्लभगढ़, बेलापुर, भिवाड़ी, भिवानी, भोपाल, बीकानेर, बुलंदशहर, ब्यासनगर, चरखी दादरी, चूरू, देवास, धारूहेड़ा, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुम्मिडीपूंडी, गुरुग्राम, ग्वालियर, हल्दिया, हावड़ा, जींद, करनाल, कटनी, कोलकाता, कुरुक्षेत्र, मंडी गोबिंदगढ़, नागपुर, पीथमपुर, राजमहेंद्रवरम, सिंगरौली, सोनीपत, श्री गंगानगर, सूरत, तालचेर, टोंक, यमुना नगर शामिल हैं।
इसी तरह आज देश के 15 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में अंगुल, बागपत, भुवनेश्वर, कटक, दिल्ली, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, हापुड़, खुर्जा, मानेसर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, नोएडा, रोहतक, विशाखापत्तनम शामिल हैं।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 248 में से महज 13 शहरों में हवा 'बेहतर' है। 67 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 25 नवंबर 2025 को यह आंकड़ा 46 दर्ज किया गया था।
114 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में आज भी हापुड़ (366) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 370 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल हापुड़ में सूचकांक 389 रिकॉर्ड किया गया था। मतलब की आज वहां प्रदूषण के स्तर में 23 अंकों का सुधार आया है। इसके बावजूद हापुड़ में वायु गुणवत्ता सूचकांक अभी भी 'बेहद खराब' श्रेणी में बना हुआ है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट दर्ज की गई है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 327 पर पहुंच गया। इसी तरफ फरीदाबाद में भी कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां 10 अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई घटकर 210 पर पहुंच गया।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 26 नवंबर को मानेसर चौथे स्थान पर है, वहीं नोएडा (350) दूसरे, जबकि अंगुल (337) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 226, गाजियाबाद में 329, गुवाहाटी में 88, गुरूग्राम में 272, नोएडा में 350, ग्रेटर नोएडा में 322 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 198 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 176, चेन्नई में 103, चंडीगढ़ में 156, हैदराबाद में 110, जयपुर में 159 और पटना में 147 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 13 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, चामराजनगर, दमोह, डिंडीगुल, गंगटोक, किशनगंज, मंगलौर, नागांव, पलकलाईपेरूर, पंचकुला, रामनाथपुरम, शिलांग, त्रिशूर शामिल हैं।
वहीं अकोला, अलवर, अरियालुर, बागलकोट, बरेली, बेगूसराय, बेलगाम, बेंगलुरु, भिलाई, ब्रजराजनगर, बूंदी, चंद्रपुर, छपरा, चिक्कमगलुरु, कुड्डालोर, दावनगेरे, धारवाड़, एलूर, गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, जैसलमेर, जलना, झांसी, कडप्पा, कलबुर्गी, कन्नूर, करूर, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, मदुरै, महाद, मैहर, मंगुराहा, मैसूर, नयागढ़, ऊटी, पलवल, पेरुंदुरई, पुडुचेरी, रायपुर, राजगीर, ऋषिकेश, राउरकेला, रूपनगर, सलेम, समस्तीपुर, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, शिवसागर, सिवान, सोलापुर, टेन्सा, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरुचिरापल्ली, तुमडीह, वापी, वातवा, विजयवाड़ा, यादगीर आदि 67 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
कल देश में वायु गुणवत्ता की स्थिति कैसी थी इसकी जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर के पिछले अंक से प्राप्त कर सकते हैं:
प्रदूषण में आज फिर अव्वल हापुड़, दिल्ली-एनसीआर में स्थिति 'बेहद खराब'