प्रतीकात्मक तस्वीर: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट 
वायु

हवा में जहर: साफ हवा वाले शहरों में 19 फीसदी की गिरावट, विशाखापत्तनम में 235 एक्यूआई

बढ़ते प्रदूषण से देश में आज विशाखापत्तनम की स्थिति सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता मानकों से 422 फीसदी खराब है। वहीं कल का सबसे प्रदूषित शहर समस्तीपुर आज आंकड़ों से नदारद है

Lalit Maurya

  • देश में आज विशाखापत्तनम की वायु गुणवत्ता सबसे खराब है, जहां एक्यूआई 235 दर्ज किया गया है

  • वहीं कल का सबसे प्रदूषित शहर समस्तीपुर (एक्यूआई 331) आज आंकड़ों से नदारद है।

  • देश में जहां प्रदूषित शहरों की संख्या बढ़ी है। वहीं साफ हवा वाले शहरों में 19 फीसदी की गिरावट आई है।

  • सबसे साफ हवा वाला शहर शिलांग है, जहां सूचकांक महज 10 रिकॉर्ड किया गया।

  • देश में कुल 25 फीसदी शहरों में हवा साफ है, 63 फीसदी में संतोषजनक और 12 फीसदी में हालात चिंताजनक हैं

देश में बढ़ते प्रदूषण से आज विशाखापत्तनम की स्थिति सबसे खराब है। हालात यह हैं कि वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 235 तक पहुंच गया है। मतलब कि वहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' हो गई है। इस दौरान वहां हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम10) पूरी तरह हावी रहे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी मानकों के लिहाज से देखें तो विशाखापत्तनम में प्रदूषण का स्तर सुरक्षित सीमा से 422 फीसदी अधिक है।

बता दें कि कल विशाखापत्तनम में एक्यूआई 170 रिकॉर्ड किया गया था। मतलब की तबसे वहां प्रदूषण के स्तर में 65 अंकों का उछाल आया है। इसका मतलब है कि वहां हवा में घुला जहर लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है। वहीं आंकड़ों के मुताबिक कल देश में समस्तीपुर की स्थिति सबसे ज्यादा खराब थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 331 तक पहुंच गया था।

हालांकि आज समस्तीपुर आंकड़ों से नदारद है। आज सरकार ने समस्तीपुर के प्रदूषण से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं।

विश्लेषण में यह भी सामने आया है कि कल से देश में प्रदूषित शहरों की गिनती में इजाफा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ साफ हवा वाले शहरों की संख्या में करीब 19 फीसदी की गिरावट आई है।

दूसरी तरफ आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 10 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर विशाखापत्तनम की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 22 गुणा खराब है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 10 सितम्बर 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के जहां 25 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 63 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ करीब 12 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज हवा संतोषजनक है, लेकिन साफ हवा वाले शहरों में आती गिरावट और प्रदूषित शहरों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है।

विश्लेषण से यह भी पता चला है कि प्रदूषण के मामले में आज तिरुवनंतपुरम (185) दूसरे जबकि गुम्मिडिपूंडी (155) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 142 अंकों के साथ बिलीपाड़ा चौथे स्थान पर बना हुआ है। बांसवाड़ा में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो आज 131 अंकों के साथ प्रदूषित शहरों की लिस्ट में पांचवें पायदान पर है।

बुलन्दशहर और किशनगंज में एक्यूआई 128 रिकॉर्ड किया गया है। वहीं 124 अंकों के साथ चित्तूर आठवें स्थान पर है। इसी तरह प्रदूषित शहरों की इस लिस्ट में ग्रेटर नोएडा (124) और वापी (122) भी शामिल हैं।

रुझानों से यह भी पता चला है कि आज जहां गुम्मिडिपूंडी, बिलीपाड़ा, किशनगंज, चित्तूर, मोतिहारी, बिहार शरीफ, गोरखपुर, नलबाड़ी आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी रहे।

वहीं विशाखापत्तनम, बांसवाड़ा, बुलन्दशहर, ग्रेटर नोएडा, वापी, पटना, मंडी गोबिंदगढ़, सवाई माधोपुर, गाजियाबाद, प्रतापगढ़, बारबिल, सहरसा, सिवान, बद्दी, जालौर आदि में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इसी तरह सूरत, कोयंबटूर में कार्बन जबकि तिरुवनंतपुरम में ओजोन हावी है।

इन शहरों के उलट आज देश में फिरोजाबाद सहित 56 शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में करूर, काशीपुर, कोल्हापुर, कोप्पल, कोरबा, लातूर, मदिकेरी, मदुरै, मंगलौर, नागपुर, नाहरलगुन, पालकालाइपेरुर, पंचगांव, पटियाला, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, रामनगर, रामनाथपुरम, रूपनगर, सलेम, शिलांग, सिलचर, सिलीगुड़ी, शिवसागर आदि शामिल हैं।

हालांकि चिंता की बात यह है कि आज भी देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में गिरावट आई है। इसके साथ ही देश में साफ हवा वाले शहरों का प्रतिशत 31 से घटकर 25 रह गया है।

वहीं दूसरी तरफ कल से देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में इजाफा हुआ है। नौ फीसदी से ज्यादा के इजाफे के साथ आज देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती बढ़कर 140 पर पहुंच गई।

संतोषजनक हवा वाले इन शहरों में लखनऊ, लुधियाना, महाड, मालेगांव, मंडीदीप, मंगुराहा, मेरठ, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नगांव, नागौर, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, नोएडा, ऊटी, पाली, परभनी, पेरुंदुरई, पिंपरी-चिंचवाड, पुणे, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम आदि शामिल हैं।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से वहां प्रदूषण में अच्छी-खासी गिरावट आई है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता एक बार फिर संतोषजनक हो गई है।

इन शहरों के विपरीत आज देश के 25 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में बद्दी, बांसवाड़ा, बारबिल, बिहार शरीफ, बिलीपाड़ा, बुलन्दशहर, चित्तूर, कोयंबटूर, गाजियाबाद, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडिपूंडी, जालौर, किशनगंज, मंडी गोबिंदगढ़, मोतिहारी, नलबाड़ी, पटना, प्रतापगढ़, सहरसा, सवाई माधोपुर, सिवान, सूरत, तिरुवनंतपुरम, वापी शामिल हैं। कल से देखें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 19 फीसदी का इजाफा हुआ है, जोकि चिंता का विषय है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 222 में से 56 (-19%) शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 140 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 09 सितम्बर 2025 को यह आंकड़ा 128 दर्ज किया गया था।

25 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में विशाखापत्तनम (235) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 250 के करीब पहुंच गया। कल समस्तीपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 331 रिकॉर्ड किया गया।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 25 अंकों की गिरावट के साथ 80 पर पहुंच गया। मलतब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता मध्यम से संतोषजनक श्रेणी में पहुंच गई है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं। 

गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज बिलीपाड़ा चौथे स्थान पर है, वहीं तिरुवनंतपुरम (185) दूसरे, जबकि गुम्मिडिपूंडी (155) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 66, गाजियाबाद में 108, गुवाहाटी में 59, गुरूग्राम में 66, नोएडा में 82, ग्रेटर नोएडा में 124 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 71 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 66, चेन्नई में 86, चंडीगढ़ में 49, हैदराबाद में 80, जयपुर में 90 और पटना में 120 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 56 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, अकोला, अमृतसर, आरा, बागलकोट, बठिंडा, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, छाल, चिकबलपुर, कुड्डालोर, कटक, दावनगेरे, देहरादून, डिंडीगुल, डूंगरपुर, फिरोजाबाद, गंगटोक, हापुड, हसन, होसुर, हुबली, जलगांव, कलबुर्गी, कांचीपुरम, करूर, काशीपुर, कोल्हापुर, कोप्पल, कोरबा, लातूर, मदिकेरी, मदुरै, मंगलौर, नागपुर, नाहरलगुन, पालकालाइपेरुर, पंचगांव, पटियाला, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, रामनगर, रामनाथपुरम, रूपनगर, सलेम, शिलांग, सिलचर, सिलीगुड़ी, शिवसागर, श्रीगंगानगर, तंजावुर, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, तिरुपुर, विजयपुरा, यादगीर शामिल हैं।

वहीं आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अनंतपुर, अंगुल, अंकलेश्वर, अररिया, अरियालूर, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बालासोर, बारां, बरेली, बारीपदा, बाड़मेर, बैरकपुर, बेगूसराय, बेलापुर, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भरतपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, भिवंडी, भोपाल, बीकानेर, बिलासपुर, बोईसर, ब्रजराजनगर, बूंदी, बक्सर, ब्यासनगर, चंद्रपुर, चेन्नई, चित्तौड़गढ़, चुरू, दौसा, दिल्ली, देवास, धनबाद, धौलपुर, धुले, दुर्गापुर, एलूर, गांधीनगर, गया, गुरूग्राम, गुवाहाटी, ग्वालियर, हल्दिया, हनुमानगढ़, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, झालावाड़, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, कडपा, कल्याण, कानपुर, करौली, कटिहार, कटनी, खन्ना, खुर्जा, कोहिमा, कोलकाता, कोल्लम, कोटा, कुंजेमुरा, लखनऊ, लुधियाना, महाड, मालेगांव, मंडीदीप, मंगुराहा, मेरठ, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नगांव, नागौर, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, नोएडा, ऊटी, पाली, परभनी, पेरुंदुरई, पिंपरी-चिंचवाड, पुणे, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, राजसमंद, रतलाम, राउरकेला, सांगली, सासाराम, सतना, शिवमोगा, सीकर, सिंगरौली, सिरोही, सोलापुर, सुआकाती, ठाणे, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, टोंक, तुमकुरु, तुमिडीह, उदयपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, वृंदावन आदि 140 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।