बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सौंपी अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि बाभई में मौजूद पीएनजी चलित शवदाह गृह से वायु प्रदूषण नहीं होता है। यह रिपोर्ट 11 दिसंबर, 2024 को एनजीटी में सौंपी गई है। मामला मुंबई के बोरीवली में बाभई का है।
गौरतलब है कि मुंबई की बोरीवली निवासी ममता समीर शिराली ने एनजीटी में एक आवेदन दायर किया था। इसमें कहा गया है कि बोरीवली, बाभई/वजीरा नाका और ग्रेटर मुंबई नगर निगम (एमसीजीएम) में नए श्मशान घाटों का संचालन करने वाले अधिकारियों ने इस तथ्य की अनदेखी की है कि श्मशान घाट रिहायशी इलाके के बीच में है।
उनका दावा है कि श्मशान घाट इलेक्ट्रिक और पीएनजी संचालित होने के बावजूद, इसमें से बड़ी मात्रा में गैसे निकलती हैं, इसमें हानिकारक गैसें भी शामिल हैं, जो आस-पास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही हैं।
अदालत को बताया गया है कि बीएमसी अधिकारियों ने श्मशान घाट का दौरा किया था, जहां महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) के अधिकारियों ने श्मशान घाट परिसर में वायु गुणवत्ता की निगरानी की थी। एमपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि वहां प्रदूषण के महीन कणों जैसे पीएम10 और पीएम2.5 का स्तर निर्धारित सीमा से थोड़ा ऊपर था।
इस बारे में बीएमसी का कहना है कि प्रदूषण का स्तर पूरे दिन लगभग स्थिर रहता है, लेकिन भीड़भाड़ वाले समय में ट्रैफिक जाम के चलते शाम पांच बजे के आसपास चरम पर पहुंच जाता है।
एमपीसीबी की रिपोर्ट में बेंजीन, जाइलीन और एथिलबेंजीन के स्तरों का उल्लेख किया गया है। इस पर बीएमसी न कहा कि दाह संस्कार के दौरान इस तरह की गैसें नहीं निकलती हैं। इसके बजाय, ये संभवतः ट्रैफिक जाम, निर्माण कार्यों या पेंटिंग जैसे अन्य स्थानीय स्रोतों से आती हैं। बीएमसी का यह भी कहना है कि शवदाह के दौरान निकलने वाली गैसें टोल्यूनि प्राकृतिक हाइड्रोकार्बन हैं, जो जहरीली नहीं होती हैं।
बीएमसी ने बताया कि 15 मई, 2021 को एमपीसीबी के नियमों का पालन करते हुए बाभई श्मशान घाट में ज्यादा पर्यावरण अनुकूल पीएनजी शवदाह प्रणाली स्थापित की गई। इस प्रणाली में अंतिम संस्कार के लिए दो पीएनजी-संचालित भट्टियां हैं और इसके डिजाइन की जांच मुंबई के वीरमाता जीजाबाई प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा की गई है।
पीएनजी भट्टियों पर वायु प्रदूषण नियंत्रण प्रणालियां स्थापित की गई हैं और नियुक्त ठेकेदारों द्वारा उनका रखरखाव किया जाता है। यह भी जानकारी दी गई है कि इनका नियमित रखरखाव हो रहा है, और प्रणालियां ठीक तरह से काम कर रही हैं।
दाह संस्कार से निकलने वाले काले धुएं और गैसों को साफ करने के लिए एक स्क्रबर में एकत्र किया जाता है, और शेष गैसों को चिमनियों के माध्यम से छोड़ा जाता है।
बीएमसी ने बताया कि शवदाह से निकलने वाले धुएं में प्रदूषकों की निगरानी के लिए एमपीसीबी द्वारा अनुमोदित एजेंसी द्वारा नियमित रूप से स्टैक उत्सर्जन परीक्षण किए जाते हैं। 26 सितंबर, 2024 को किए एक हालिया परीक्षण से पता चला है कि वायु प्रदूषकों का स्तर एमपीसीबी की स्वीकार्य सीमा के भीतर थे।
इसी प्रकार की पीएनजी चलित शवदाह प्रणालियां मुंबई के विभिन्न स्थानों पर स्थापित की गई हैं और सभी अच्छी तरह से काम कर रही हैं।
जाने क्यों महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने माहिम जंक्शन पर लगाया 1.59 करोड़ रुपए का जुर्माना
महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) ने रेल पटरियों के आसपास के हिस्सों को साफ न रखने के लिए पर्यावरण मुआवजे के रूप में पश्चिम रेलवे के अंतर्गत आने वाले माहिम जंक्शन पर 1.59 करोड़ रुपए से अधिक का जुर्माना लगाया है।
12 दिसंबर, 2024 की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किए निरीक्षण के दौरान प्लेटफॉर्म और रेलवे ट्रैक साफ थे, लेकिन साइडिंग ट्रैक पर बहुत सारा कचरा पड़ा था, जिसे साफ नहीं किया गया।
रेलवे प्रतिनिधि के मुताबिक, साइडिंग यार्ड के पास एक झुग्गी बस्ती है। इस बस्ती से कचरा रेलवे साइडिंग यार्ड पर फेंका जाता है।
रेलवे अधिकारी हर दिन पटरियों और प्लेटफॉर्म की सफाई करते हैं, लेकिन स्टैबलिंग यार्ड की सफाई के लिए कोई निर्धारित शेड्यूल नहीं है। वहां पैदा हो रहे अपशिष्ट जल को ग्रेटर मुंबई नगर निगम (एमसीजीएम) की जल निकासी को भेजा जाता है, और ठोस कचरे को निपटान के लिए एमसीजीएम को सौंप दिया जाता है।