बढ़ते प्रदूषण के साथ हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना रहा है, बच्चे और बुजुर्ग इसका सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं; फोटो: आईस्टॉक 
वायु

अगरतला में बढ़ते प्रदूषण से राहत नहीं, 269 पर पहुंचा एक्यूआई, श्रीगंगानगर में भी स्थिति ‘खराब’

दूसरी तरफ आज देश में आइजोल की हवा सबसे साफ है, जहां एक्यूआई 15 दर्ज किया गया

Lalit Maurya

अगरतला में आज भी प्रदूषण से राहत नहीं है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 269 तक पहुंच गया। कल से देखें तो अगरतला के प्रदूषण में 31 अंकों का उछाल आया है। इस दौरान वहां हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम10) हावी रहे। अगरतला में हालात कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय मानकों से 498 फीसदी अधिक है।

कुछ ऐसी ही स्थिति आज देश में श्रीगंगानगर में भी है, जो 220 अंकों के साथ प्रदूषण के मामले में आज दूसरे पायदान पर है। आज इन दोनों शहरों में वायु गुणवत्ता 'खराब' दर्ज की गई। मतलब की यहां फिजाओं में घुला जहर लोगों को बीमार बना देने के लिए काफी है।

वहीं दूसरी तरफ आज देश में आइजोल की हवा सबसे साफ है, जहां एक्यूआई 15 दर्ज किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर अगरतला की तुलना आइजोल से करें तो स्थिति 17 गुणा खराब है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 29 जुलाई 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज जहां देश के करीब आधे शहरों में हवा साफ है। वहीं चार फीसदी में हालात चिंताजनक बने हुए हैं। इसी तरह देश के करीब 44 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक दर्ज की गई है।

आज देश के सबसे प्रदूषित शहरों में चुरू (132) तीसरे, जबकि बर्नीहाट (119) पांचवें स्थान पर है। राजस्थान के जैसलमेर में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 105 अंकों के साथ प्रदूषित शहरों में छठे स्थान पर है। इसी तरह देश के सबसे प्रदूषित शहरों में बाड़मेर (104), कोटा (101) और विशाखापत्तनम (101) भी शामिल हैं।

आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज जहां देश में श्रीगंगानगर, बर्नीहाट आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी थे। वहीं अगरतला, चुरू, जैसलमेर, बाड़मेर, कोटा, विशाखापत्तनम आदि शहरों में पीएम2.5 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

आज देश में साफ हवा वाले शहरों में आगरा सहित 111 शहर शामिल हैं। इन शहरों में मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागपट्टिनम, नागपुर, नासिक, नवी मुंबई, ऊटी, पंचगांव, पटियाला, पेरुंदुरई, पिंपरी-चिंचवाड, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, रामनगर, रामनाथपुरम, रतलाम, ऋषिकेश, राउरकेला, समस्तीपुर, सांगली, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिंगरौली, शिवसागर, सोलापुर, सूरत आदि शामिल हैं।

चिंता की बात यह है कि आज देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में पांच फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। दिल्ली में 14 अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई गिरकर 72 पर पहुंच गया।

दिल्ली की तरह ही आज देश के छोटे बड़े 93 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक दर्ज की गई। इन शहरों में नोएडा, पाली, पटना, पीथमपुर, प्रतापगढ़, पुणे, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, राजसमंद, सागर, सहरसा, सवाई माधोपुर, सीकर, सिरोही, तालचेर, थूथुकुडी, तिरुचिरापल्ली, तिरुपुर, टोंक, उदयपुर, उल्हासनगर, वापी, वातवा, विजयवाड़ा आदि शहर शामिल हैं।

राहत की खबर यह है कि कल से देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में 19 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।

रुझानों के मुताबिक आज देश के महज छह शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में बाड़मेर, बर्नीहाट, चुरू, जैसलमेर, कोटा, विशाखापत्तनम आदि शामिल हैं। कल से देखें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब 46 फीसदी की गिरावट आई है, जोकि अच्छी खबर है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 212 में से 111 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 93 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 28 जुलाई 2025 को यह आंकड़ा 78 दर्ज किया गया था।

6 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में अगरतला (269) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 270 के करीब पहुंच गया। कल अगरतला में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब सूचकांक 238 रिकॉर्ड किया गया।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में 14 अंकों की गिरावट आई है। इसके साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक सुधारकर 72 पर पहुंच गया। मतलब की दिल्ली में आज भी वायु गुणवत्ता सूचकांक संतोषजनक श्रेणी में बना हुआ है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं।  

गौरतलब है कि पिछले चार महीनों जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज बर्नीहाट चौथे स्थान पर है, वहीं श्रीगंगानगर (220) दूसरे, जबकि चुरू (132) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 54, गाजियाबाद में 72, गुवाहाटी में 39, हापुड में 55, नोएडा में 59, ग्रेटर नोएडा में 73 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 55 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 52, चेन्नई में 78, चंडीगढ़ में 81, हैदराबाद में 62, जयपुर में 87 और पटना में 62 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 111 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आगरा, अहमदनगर, आइजोल, अकोला, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अरियालूर, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बागलकोट, बागपत, बालासोर, बारबिल, बैरकपुर, बठिंडा, बेलापुर, बेलगाम, भरतपुर, भिलाई, भिवंडी, भोपाल, बिलासपुर, बिलीपाड़ा, चामराजनगर, चंद्रपुर, छाल, चिकबलपुर, चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, कटक, दावनगेरे, देहरादून, देवास, धारवाड़, धौलपुर, धुले, डिंडीगुल, फिरोजाबाद, गडग, गुवाहाटी, हाजीपुर, हल्दिया, हावेरी, हावड़ा, हुबली, इंदौर, जबलपुर, जालंधर, जलगांव, जोरापोखर, कलबुर्गी, कानपुर, किशनगंज, कोल्हापुर, कोलकाता, कोरबा, लातूर, मदिकेरी, मदुरै, मंडीदीप, मेरठ, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, मुंगेर, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागपट्टिनम, नागपुर, नासिक, नवी मुंबई, ऊटी, पंचगांव, पटियाला, पेरुंदुरई, पिंपरी-चिंचवाड, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, रामनगर, रामनाथपुरम, रतलाम, ऋषिकेश, राउरकेला, समस्तीपुर, सांगली, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिंगरौली, शिवसागर, सोलापुर, सूरत, टेन्सा, ठाणे, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, तुमिडीह, वाराणसी, वेल्लोर, विजयपुरा, विरार, वृंदावन, यादगीर शामिल हैं।

वहीं अहमदाबाद, अजमेर, अलवर, अनंतपुर, अंगुल, अंकलेश्वर, अररिया, बद्दी, बांसवाड़ा, बारां, बरेली, बेंगलुरु, भागलपुर, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, भुवनेश्वर, बीकानेर, बोईसर, ब्रजराजनगर, बुलन्दशहर, बूंदी, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चेन्नई, चित्तूर, दौसा, दिल्ली, धनबाद, डूंगरपुर, दुर्गापुर, एलूर, गांधीनगर, गया, गाजियाबाद, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, ग्वालियर, हनुमानगढ़, हापुड, होसुर, हैदराबाद, जयपुर, जलना, जालौर, झालावाड़, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, कडपा, कल्याण, कन्नूर, करूर, क्योंझर, खन्ना, खुर्जा, कोहिमा, लखनऊ, लुधियाना, महाड, मालेगांव, मंडी गोबिंदगढ़, मुरादाबाद, मुंबई, नगांव, नागौर, नलबाड़ी, नांदेड़, नोएडा, पाली, पटना, पीथमपुर, प्रतापगढ़, पुणे, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, राजसमंद, सागर, सहरसा, सवाई माधोपुर, सीकर, सिरोही, तालचेर, थूथुकुडी, तिरुचिरापल्ली, तिरुपुर, टोंक, उदयपुर, उल्हासनगर, वापी, वातवा, विजयवाड़ा, विरुधुनगर आदि 93 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।