नंदेसरी में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 208 तक पहुंच गया है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से 1287 फीसदी अधिक है।
देश के 14 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता चिंताजनक है, जबकि 29 फीसदी शहरों में हवा साफ है। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर मध्यम श्रेणी में बना हुआ है।
आज देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 14 फीसदी की गिरावट आई है।
आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 9 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नंदेसरी की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 22 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में कोई बदलाव नहीं हुआ है और वायु गुणवत्ता अभी भी मध्यम श्रेणी में बनी हुई है।
प्रदूषण के मामले में औरंगाबाद (बिहार) दूसरे, जबकि बिलीपाड़ा (189) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 161 अंकों के साथ ग्रेटर नोएडा चौथे स्थान पर है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 26 सितम्बर 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के जहां 29 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं 57 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 14 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा संतोषजनक है। चिंता की बात है कि आज देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 14 फीसदी की गिरावट आई है।
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज प्रदूषण के मामले में नंदेसरी की स्थिति सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 208 दर्ज किया गया। मतलब की वहां वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में है। इस दौरान वहां की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं। रुझानों के मुताबिक वहां फिजाओं में घुला जहर इतना है कि वो लोगों को बीमार बना देने के लिए काफी है।
नंदेसरी में प्रदूषण से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी सुरक्षित सीमा से 1287 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि कल नंदेसरी में वायु गुणवत्ता का स्तर 172 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 36 अंकों का उछाल आया है।
कल देश में बद्दी की हवा सबसे खराब थी। जब वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 179 तक पहुंच गया था, जो आज 24 अंकों के सुधार के साथ घटकर 155 रह गया है। मतलब कि बद्दी में आज भी वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में बनी हुई है।
दूसरी तरफ आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 9 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नंदेसरी की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 22 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में कोई बदलाव नहीं हुआ है और वायु गुणवत्ता अभी भी मध्यम श्रेणी में बनी हुई है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। बता दें कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर सुरक्षित सीमा से 1,614 फीसदी अधिक है।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज प्रदूषण के मामले में औरंगाबाद (बिहार) दूसरे, जबकि बिलीपाड़ा (189) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 161 अंकों के साथ ग्रेटर नोएडा चौथे स्थान पर है। झांसी-मुजफ्फरनगर में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 156 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर बने हुए हैं। देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज बद्दी (155), गाजियाबाद (146), मेरठ (142) और छपरा (135) भी शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि आज जहां नंदेसरी, छपरा, हाजीपुर, पाली, राजगीर आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी है। वहीं औरंगाबाद (बिहार), बिलीपाड़ा, ग्रेटर नोएडा, बद्दी, गाजियाबाद, मेरठ, भिवाड़ी, धौलपुर, नोएडा, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, वापी, सिवान, आगरा, बागपत, दौसा, ग्वालियर, लखनऊ, टोंक, दमोह, जयपुर, पटना आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
इन शहरों के विपरीत आज देश के करीब 29 फीसदी यानी 64 शहरों में हवा साफ है। इन साफ हवा वाले शहरों में गंगटोक, हल्दिया, हसन, हुबली, कलबुर्गी, कांचीपुरम, करूर, कारवार, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कोरबा, लातूर, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मैसूर, नागपट्टिनम, नाहरलगुन, नलबाड़ी, नासिक, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, परभनी, पुडुकोट्टई, राजमहेंद्रवरम आदि शामिल हैं।
चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 14 फीसदी की गिरावट आई है।
हालांकि आज देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में इजाफा हुआ है। इन शहरों की संख्या करीब छह फीसदी के इजाफे के साथ बढ़कर 126 पर पहुंच गई है।
आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जलना, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, कडपा, कल्याण, कन्नूर, कानपुर, करौली, काशीपुर, कटिहार, कटनी, क्योंझर, खन्ना, कोहिमा, कोटा, कुंजेमुरा, लुधियाना, मैहर, मालेगांव, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीदीप, मिलुपारा, मुंबई, मुजफ्फरपुर, नागौर, नागपुर, नवी मुंबई, पंचगांव, पटियाला, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुणे, पूर्णिया, रायपुर आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 30 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में आगरा, औरंगाबाद (बिहार), बद्दी, बागपत, भिवाड़ी, बिलीपाड़ा, बुलन्दशहर, छपरा, दमोह, दौसा, दिल्ली, धौलपुर, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, ग्वालियर, हाजीपुर, हापुड, जयपुर, झांसी, लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, नोएडा, पाली, पटना, राजगीर, सिवान, टोंक, वापी शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है, जोकि चिंता का विषय है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 221 में से 64 (-13.5 फीसदी) शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 126 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 25 सितम्बर 2025 को यह आंकड़ा 119 दर्ज किया गया था।
30 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में नंदेसरी (208) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 210 के करीब पहुंच गया। कल बद्दी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 179 रिकॉर्ड किया गया था।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में कोई बदलाव नहीं आया है और स्थिति जस की तस बनी हुई है। मतलब कि आज भी दिल्ली में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज ग्रेटर नोएडा चौथे स्थान पर है, वहीं औरंगाबाद (बिहार) (192) दूसरे, जबकि बिलीपाड़ा (189) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 112, गाजियाबाद में 146, गुवाहाटी में 71, गुरूग्राम में 100, नोएडा में 131, ग्रेटर नोएडा में 161 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 62 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 110, चेन्नई में 62, चंडीगढ़ में 76, हैदराबाद में 72, जयपुर में 101 और पटना में 101 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 64 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, अहमदनगर, अकोला, अमरावती (आंध्रप्रदेश), बागलकोट, बालासोर, बेलापुर, बेंगलुरु, भिलाई, बिलासपुर, ब्यासनगर, चामराजनगर, चिक्कामगलुरु, कोयंबटूर, कुड्डालोर, कटक, दावनगेरे, धुले, डिंडीगुल, गंगटोक, हल्दिया, हसन, हुबली, कलबुर्गी, कांचीपुरम, करूर, कारवार, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कोरबा, लातूर, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मैसूर, नागपट्टिनम, नाहरलगुन, नलबाड़ी, नासिक, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, परभनी, पुडुकोट्टई, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, सलेम, सांगली, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, शिवसागर, सोलापुर, तालचेर, तंजावुर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, तिरुपुर, तुमिडीह, विरुधुनगर, यादगीर शामिल हैं।
वहीं अहमदाबाद, अजमेर, अलवर, अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अनंतपुर, अंगुल, अंकलेश्वर, अररिया, अरियालूर, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बांसवाड़ा, बारां, बारबिल, बरेली, बारीपदा, बाड़मेर, बठिंडा, बेगूसराय, भागलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, भोपाल, भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, बीकानेर, बोईसर, ब्रजराजनगर, बूंदी, बक्सर, बर्नीहाट, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चेन्नई, छाल, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, चुरू, देहरादून, देवास, धनबाद, धारवाड़, डूंगरपुर, दुर्गापुर, एलूर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, गुम्मिडिपूंडी, गुरूग्राम, गुवाहाटी, हनुमानगढ़, होसुर, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जलना, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, कडपा, कल्याण, कन्नूर, कानपुर, करौली, काशीपुर, कटिहार, कटनी, क्योंझर, खन्ना, कोहिमा, कोटा, कुंजेमुरा, लुधियाना, मैहर, मालेगांव, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीदीप, मिलुपारा, मुंबई, मुजफ्फरपुर, नागौर, नागपुर, नवी मुंबई, पंचगांव, पटियाला, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुणे, पूर्णिया, रायपुर, रायरंगपुर, राजसमंद, रतलाम, राउरकेला, रूपनगर, सागर, सहरसा, समस्तीपुर, सतना, सवाई माधोपुर, सीकर, सिलीगुड़ी, सिरोही, श्रीगंगानगर, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, उदयपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, वातवा, विरार, विशाखापत्तनम, वृंदावन आदि 126 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।