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वायु

प्रदूषण का गणित: 53 फीसदी शहरों में हवा साफ, चार फीसदी से कम में हालात चिंताजनक

देश में नंदेसरी की हवा सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 147 दर्ज किया गया है

Lalit Maurya

देश में आज एक बार फिर शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 10 दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 01 जुलाई 2025 को जारी रुझानों के विश्लेषण से पता चला है कि शिलांग की तरह ही देश के छोटे बड़े करीब 53 फीसदी शहरों में हवा साफ है।

इन शहरों में काशीपुर, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, मदुरै, मालेगांव, मंगलौर, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मोतिहारी, मैसूर, नागपट्टिनम, नागपुर, नाहरलगुन, नलबाड़ी, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, ऊटी, पालकालाइपेरुर, पटियाला, पेरुंदुरई, पिंपरी-चिंचवाड, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, रानीपेट, रतलाम, ऋषिकेश, सलेम आदि शामिल हैं।

कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में भी करीब एक फीसदी का मामूली इजाफा हुआ है।

वहीं दूसरी तरफ रुझानों के मुताबिक आज करीब चार फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक है। इन शहरों में नंदेसरी की स्थिति सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 147 दर्ज किया गया है।

गौरतलब है कि आज देश के किसी भी शहर में हवा 'खराब' या 'बेहद खराब' नहीं दर्ज की गई है। वहीं कल देश में बर्नीहाट की हवा सबसे ज्यादा खराब थी, जहां 22 अंकों के सुधार के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक मध्यम श्रेणी में पहुंच गया है। बता दें कि आज 128 अंकों के साथ बर्नीहाट देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में दूसरे स्थान पर है।

ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नंदेसरी की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 14 गुणा खराब है।

इस तरह देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में वापी (119) तीसरे जबकि छपरा (115) चौथे स्थान पर है। चुरू में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो आज 115 अंकों के साथ पांचवें स्थान पर है। देश में गुवाहाटी (113), मंडी गोबिंदगढ़ (111) और गुम्मिडिपूंडी (102) में भी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

रुझानों के मुताबिक इस दौरान जहां नंदेसरी, बर्नीहाट आदि शहरों में प्रदूषण के महीन कण हावी रहे। वहीं वापी, गुम्मिडिपूंडी आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक रही।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से भले ही प्रदूषण में इजाफा हुआ है, लेकिन दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है। दिल्ली में 18 अंकों के उछाल के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक 83 पर पहुंच गया है।

दिल्ली की तरह ही देश के 93 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है। इन शहरों में ग्वालियर, हाजीपुर, हसन, होसुर, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जलना, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, कडपा, कांचीपुरम, कन्नूर, कानपुर, करूर, कटनी, क्योंझर, खुर्जा, कोहिमा, कोरबा, कोटा, लखनऊ, लुधियाना, मंडीदीप, मेरठ, मुंबई, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नगांव, नागौर, नोएडा, पाली, पंचगांव, पटना, पीथमपुर, पुणे, राजसमंद, राउरकेला, सागर आदि शामिल हैं।

राहत की खबर यह है कि कल से देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में चार फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।

वहीं दूसरी तरफ देश में चुरू सहित आठ शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में बर्नीहाट, छपरा, गुम्मिडिपूंडी, गुवाहाटी, मंडी गोबिंदगढ़, नंदेसरी, वापी शामिल हैं। कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में कोई बदलाव नहीं हुआ है और स्थिति जस की तस बनी हुई है।

क्या कहते हैं आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 217 में से 115 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। 94 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 30 जून 2025 को यह आंकड़ा 90 दर्ज किया गया था।

8 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में नंदेसरी (147) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 150 के करीब पहुंच गया। कल बर्नीहाट में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब सूचकांक 150 रिकॉर्ड किया गया।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में 18 अंकों का इजाफा हुआ है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 83 पर पहुंच गया। मतलब की दिल्ली में आज भी वायु गुणवत्ता संतोषजनक श्रेणी में बनी हुई है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं। 

गौरतलब है कि पिछले चार महीनों जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज छपरा चौथे स्थान पर है, वहीं बर्नीहाट (128) दूसरे, जबकि वापी (119) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 53, गाजियाबाद में 86, गुवाहाटी में 113, गुरूग्राम में 53, नोएडा में 79, ग्रेटर नोएडा में 100 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 53 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक’ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 59, चेन्नई में 76, चंडीगढ़ में 39, हैदराबाद में 61, जयपुर में 73 और पटना में 58 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 115 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आगरा, अहमदनगर, आइजोल, अकोला, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अरियालूर, आसनसोल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बागलकोट, बालासोर, बारां, बारबिल, बारीपदा, बठिंडा, बेलापुर, बेलगाम, भरतपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवंडी, भोपाल, बिलासपुर, बिलीपाड़ा, बोईसर, बुलन्दशहर, चामराजनगर, चंडीगढ़, चेंगलपट्टू, छाल, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दमोह, देहरादून, धुले, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गंगटोक, गया, गोरखपुर, हल्दिया, हनुमानगढ़, हापुड, हावेरी, हावड़ा, हुबली, जबलपुर, झांसी, कलबुर्गी, करौली, काशीपुर, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, मदुरै, मालेगांव, मंगलौर, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मोतिहारी, मैसूर, नागपट्टिनम, नागपुर, नाहरलगुन, नलबाड़ी, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, ऊटी, पालकालाइपेरुर, पटियाला, पेरुंदुरई, पिंपरी-चिंचवाड, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, रानीपेट, रतलाम, ऋषिकेश, सलेम, सांगली, सवाई माधोपुर, शिलांग, शिवमोगा, सीकर, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिंगरौली, सिरोही, शिवसागर, सोलापुर, टेन्सा, त्रिशूर, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, तिरुपुर, तुमकुरु, तुमिडीह, वाराणसी, विजयपुरा, विरुधुनगर शामिल हैं।

वहीं अहमदाबाद, अजमेर, अलवर, अनंतपुर, अंकलेश्वर, बद्दी, बदलापुर, बागपत, बांसवाड़ा, बरेली, बाड़मेर, बैरकपुर, बेंगलुरु, भिवाड़ी, भुवनेश्वर, बीकानेर, बूंदी, ब्यासनगर, चंद्रपुर, चेन्नई, चित्तूर, कटक, दौसा, दावनगेरे, दिल्ली, देवास, धनबाद, धारवाड़, डिंडीगुल, एलूर, गांधीनगर, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, ग्वालियर, हाजीपुर, हसन, होसुर, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जलना, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, कडपा, कांचीपुरम, कन्नूर, कानपुर, करूर, कटनी, क्योंझर, खुर्जा, कोहिमा, कोरबा, कोटा, लखनऊ, लुधियाना, मंडीदीप, मेरठ, मुंबई, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नगांव, नागौर, नोएडा, पाली, पंचगांव, पटना, पीथमपुर, पुणे, राजसमंद, राउरकेला, सागर, श्रीगंगानगर, तालचेर, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरुचिरापल्ली, तिरुपति, टोंक, उदयपुर, उल्हासनगर, वातवा, विजयवाड़ा, विरार, विशाखापत्तनम, वृंदावन, यादगीर आदि 94 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।