रुझानों पर नजर डालें तो आज देश में काशीपुर की हवा सबसे ज्यादा खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 162 रिकॉर्ड किया गया। विश्लेषण से पता चला है कि इस दौरान काशीपुर की हवा में कार्बन के कण हावी थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी मानकों के लिहाज से देखें तो काशीपुर में प्रदूषण का स्तर तय सुरक्षित सीमा से 2,200 फीसदी अधिक है।
मतलब की वहां हवा में घुला जहर लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है। गौरतलब है कि कल गुरूग्राम में प्रदूषण से स्थिति सबसे ज्यादा खराब थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 140 तक पहुंच गया। हालांकि आज इसमें 79 अंकों का भारी सुधार आया है।
वहीं दूसरी तरफ आज देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 8 दर्ज किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर काशीपुर की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 19 गुणा खराब है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 20 अगस्त 2025 को जारी आंकड़ों से पता चला है कि देश के जहां 64 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 32.4 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 3.9 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज हवा साफ है।
देश के सबसे प्रदूषित शहरों में आज महाराष्ट्र का औरंगाबाद शहर दूसरे जबकि बिहार का औरंगाबाद तीसरे स्थान पर है। इन दोनों शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक क्रमशः 131 और 127 रिकॉर्ड किया गया है। इसी तरह 126 अंकों के साथ एलूर चौथे जबकि ग्रेटर नोएडा (122) पांचवें पायदान पर है।
छपरा में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो आज 114 अंकों के साथ देश का छठा सबसे प्रदूषित शहर है। इसी तरह देश के सबसे प्रदूषित शहरों में बरेली, गुम्मिडिपूंडी, और राजसमंद भी शामिल हैं। इन सभी शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 104 दर्ज किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि आज जहां औरंगाबाद (बिहार), ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडिपूंडी आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। औरंगाबाद (महाराष्ट्र), राजसमंद आदि में ओजोन हावी है। इसी तरह काशीपुर, एलूर में कार्बन जबकि बरेली की हवा में एसओ2 हावी है।
रुझानों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 147 यानी 63 फीसदी से अधिक शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, ऊटी, पालकालाइपेरुर, पटना, पेरुंदुरई, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, रामनाथपुरम, रानीपेट, रतलाम, ऋषिकेश, राउरकेला, सागर, सहरसा, सलेम, सांगली, सवाई माधोपुर, शिलांग, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, शिवसागर, सिवान, सोलापुर, सुआकाती, सूरत आदि शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में साफ हवा वाले शहरों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है और इनकी गिनती जस की तस बनी हुई है।
राजधानी दिल्ली से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। वहीं 10 अंकों के सुधार के साथ वायु गुणवत्ता अभी भी संतोषजनक बनी हुई है। दिल्ली की तरह ही आज देश के 75 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है।
इन शहरों में बुलन्दशहर, बक्सर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, चित्तूर, चुरू, दिल्ली, देवास, धनबाद, धौलपुर, फिरोजाबाद, गाजियाबाद, गुरूग्राम, ग्वालियर, हनुमानगढ़, हापुड, हैदराबाद, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलना, जालौर, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, कन्नूर, कटिहार, क्योंझर, खुर्जा, कोहिमा, कोटा, लुधियाना, मालेगांव, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, मेरठ, मुरादाबाद आदि शहर शामिल है। कल से देखें तो देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में एक फीसदी की मामूली की गिरावट आई है।
विश्लेषण में यह भी सामने आया है कि आज देश के नौ शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बरेली, छपरा, एलूर, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडिपूंडी, काशीपुर, राजसमंद शामिल हैं। कल से देखें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 231 में से 147 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 75 (-1) शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 19 अगस्त 2025 को यह आंकड़ा 76 दर्ज किया गया था।
9 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में काशीपुर (162) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 170 के करीब पहुंच गया। कल गुरूग्राम में वायु गुणवत्ता सूचकांक 140 रिकॉर्ड किया गया।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है। इसके साथ ही 10 अंकों के सुधार के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 79 पर पहुंच गया। मलतब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता आज भी संतोषजनक बनी हुई है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज एलूर चौथे स्थान पर है, वहीं औरंगाबाद (महाराष्ट्र) (131) दूसरे, जबकि औरंगाबाद (बिहार) (127) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 68, गाजियाबाद में 72, गुवाहाटी में 41, गुरूग्राम में 61, नोएडा में 64, ग्रेटर नोएडा में 122 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 46 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘बेहतर‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 50, चेन्नई में 96, चंडीगढ़ में 48, हैदराबाद में 59, जयपुर में 52 और पटना में 49 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 147 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, अहमदनगर, अकोला, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अंगुल, अरियालूर, आरा, आसनसोल, बदलापुर, बागलकोट, बालासोर, बांसवाड़ा, बारां, बारबिल, बारीपदा, बैरकपुर, बेगूसराय, बेलापुर, भरतपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवंडी, भोपाल, भुवनेश्वर, बीदर, बिलासपुर, बोईसर, बूंदी, ब्यासनगर, चामराजनगर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, छाल, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, कुड्डालोर, कटक, दमोह, दौसा, दावनगेरे, देहरादून, धारवाड़, धुले, डिंडीगुल, डूंगरपुर, दुर्गापुर, गांधीनगर, गंगटोक, गया, गोरखपुर, गुवाहाटी, हल्दिया, होसुर, हावड़ा, हुबली, इंदौर, जबलपुर, जलगांव, झालावाड़, जोरापोखर, कलबुर्गी, कल्याण, कांचीपुरम, कानपुर, करौली, कटनी, खन्ना, किशनगंज, कोल्हापुर, कोलकाता, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, लखनऊ, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मंडीदीप, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागपट्टिनम, नागपुर, नाहरलगुन, नलबाड़ी, नांदेड़, नंदेसरी, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, ऊटी, पालकालाइपेरुर, पटना, पेरुंदुरई, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, रामनाथपुरम, रानीपेट, रतलाम, ऋषिकेश, राउरकेला, सागर, सहरसा, सलेम, सांगली, सवाई माधोपुर, शिलांग, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, शिवसागर, सिवान, सोलापुर, सुआकाती, सूरत, टेन्सा, ठाणे, तंजावुर, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुनेलवेली, तिरुपुर, टोंक, उदयपुर, वापी, वाराणसी, वेल्लोर, विजयपुरा, विरार, विरुधुनगर, वृंदावन, यादगीर शामिल हैं।
वहीं आगरा, अहमदाबाद, अजमेर, अंकलेश्वर, अररिया, बद्दी, बागपत, बाड़मेर, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भिवाड़ी, बिहार शरीफ, बीकानेर, ब्रजराजनगर, बुलन्दशहर, बक्सर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, चित्तूर, चुरू, दिल्ली, देवास, धनबाद, धौलपुर, फिरोजाबाद, गाजियाबाद, गुरूग्राम, ग्वालियर, हनुमानगढ़, हापुड, हैदराबाद, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलना, जालौर, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, कन्नूर, कटिहार, क्योंझर, खुर्जा, कोहिमा, कोटा, लुधियाना, मालेगांव, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, मेरठ, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुजफ्फरनगर, नगांव, नागौर, नोएडा, पाली, परभनी, पुणे, राजगीर, रूपनगर, समस्तीपुर, सतना, शिवमोगा, सिंगरौली, श्री गंगानगर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरुमाला, तिरुपति, तुमिडीह, वातव, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम आदि 75 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।