देश में प्रदूषण अब दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है। इसका जीता-जागता उदाहरण थूथुकुडी है, जहां आज वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 340 पर पहुंच गया है। आमतौर पर मानसून के दौरान प्रदूषण का इतना ज्यादा होना बेहद असामान्य है।
रुझानों से पता चला है कि इस दौरान थूथुकुडी की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम10) हावी थे। वहां स्थिति किस कदर खराब है इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि थूथुकुडी में प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों से 650 फीसदी अधिक है।
वहीं प्रदूषण के मामले में आज तालचेर दूसरे स्थान पर है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 334 रिकॉर्ड किया गया है। इन दोनों शहरों में स्थिति बेहद खराब है, यहां वायु गुणवत्ता लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है। गौरतलब है कि तालचेर में ओजोन हावी है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 06 अगस्त को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि जहां देश के 31 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं करीब 61 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 8.4 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं।
चिंता की बात है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 10 फीसदी की गिरावट आई है।
बता दें कि कल देश में श्रीगंगानगर की स्थिति सबसे खराब थी, लेकिन आज वो प्रदूषण के मामले में तीसरे स्थान पर है। हालांकि कल से श्रीगंगानगर के प्रदूषण में 15 अंकों का इजाफा हुआ है। इसी तरह सांगली (193) चौथे जबकि सुआकाती (148) पांचवें स्थान पर है। 131 अंकों के साथ जहां बिलीपाड़ा छठे जबकि ग्रेटर नोएडा (129) सातवें पायदान पर है। रुझानों के मुताबिक आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में क्योंझर (118), बुलन्दशहर (117) और छपरा (114) भी शामिल हैं।
विश्लेषण से पता चला है कि आज जहां श्रीगंगानगर, सुआकाती, बिलीपाड़ा, भिवाड़ी आदि शहरों में पीएम2.5 हावी है। वहीं थूथुकुडी, ग्रेटर नोएडा, क्योंझर, बुलन्दशहर, जैसलमेर, पीथमपुर, तुमिडीह, गाजियाबाद, दौसा, नोएडा, अंगुल, भागलपुर आदि में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इसी तरह ओजोन और नाइट्रोजन ऑक्साइड से भी कुछ शहरों में हालात खराब हैं।
दूसरी तरफ आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 16 दर्ज किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर थूथुकुडी की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 20 गुणा ज्यादा खराब है।
शिलांग की तरह ही आज देश के 68 अन्य शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दावनगेरे, देहरादून, डिंडीगुल, गांधीनगर, गंगटोक, गोरखपुर, गुवाहाटी, हावेरी, हावड़ा, हुबली, जलना, कलबुर्गी, कानपुर, करौली, काशीपुर, कोल्हापुर, कोरबा, मदिकेरी, मदुरै, मंडी गोबिंदगढ़, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागपट्टिनम, नलबाड़ी, ऊटी, पालकालाइपेरुर आदि शामिल हैं।
चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
राजधानी दिल्ली से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो एक बार फिर कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जिसके साथ ही छह अंकों के सुधार के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक सुधरकर 91 पर पहुंच गया है।
दिल्ली की तरह ही आज छोटे बड़े 138 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है। इन शहरों में धनबाद, धारवाड़, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गया, गुम्मिडिपूंडी, गुरूग्राम, ग्वालियर, हाजीपुर, हल्दिया, हनुमानगढ़, हापुड, होसुर, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जालंधर, जलगांव, जालौर, झालावाड़, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, जोरापोखर, कडपा, कल्याण, कांचीपुरम, कन्नूर, करूर, कटनी आदि शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में कोई बदलाव नहीं हुआ है और स्थिति जस की तस बनी हुई है।
दूसरी तरफ देश के 16 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में अंगुल, भागलपुर, भिवाड़ी, बिलीपाड़ा, बुलन्दशहर, छपरा, दौसा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, जैसलमेर, क्योंझर, नोएडा, पीथमपुर, सांगली, सुआकाती, तुमिडीह शामिल हैं। राहत की खबरे यह है कि देश में कल से मध्यम वायु गुणवत्ता श्रेणी वाले शहरों की गिनती में छह फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 226 में से 69 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 138 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 05 अगस्त 2025 को यह आंकड़ा 138 दर्ज किया गया था।
16 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में थूथुकुडी (340) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 230 के करीब पहुंच गया। कल श्रीगंगानगर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 207 रिकॉर्ड किया गया।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है। इसके साथ ही 6 अंकों के सुधार के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 91 पर पहुंच गया। मलतब की दिल्ली में आज भी वायु गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं।
गौरतलब है कि पिछले चार महीनों जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज सांगली चौथे स्थान पर है, वहीं तालचेर (334) दूसरे, जबकि श्रीगंगानगर (222) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 63, गाजियाबाद में 109, गुवाहाटी में 36, गुरूग्राम में 78, नोएडा में 107, ग्रेटर नोएडा में 129 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 58 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 55, चेन्नई में 57, चंडीगढ़ में 47, हैदराबाद में 79, जयपुर में 87 और पटना में 63 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 69 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, आइजोल, बागलकोट, बरेली, बेगूसराय, बेलगाम, भरतपुर, बिलासपुर, चामराजनगर, चंडीगढ़, चिक्कामगलुरु, चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दावनगेरे, देहरादून, डिंडीगुल, गांधीनगर, गंगटोक, गोरखपुर, गुवाहाटी, हावेरी, हावड़ा, हुबली, जलना, कलबुर्गी, कानपुर, करौली, काशीपुर, कोल्हापुर, कोरबा, मदिकेरी, मदुरै, मंडी गोबिंदगढ़, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागपट्टिनम, नलबाड़ी, ऊटी, पालकालाइपेरुर, पटियाला, पेरुंदुरई, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रानीपेट, ऋषिकेश, सहरसा, सलेम, समस्तीपुर, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, वसागर, सिवान, सोलापुर, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, तिरुपति, तिरुपुर, वाराणसी, वेल्लोर, विजयपुरा, यादगीर शामिल हैं।
वहीं आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अकोला, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अंकलेश्वर, अररिया, अरियालूर, आसनसोल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बद्दी, बालासोर, बांसवाड़ा, बारां, बारबिल, बाड़मेर, बैरकपुर, बेलापुर, बेंगलुरु, बेतिया, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवंडी, भोपाल, भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, बीकानेर, बोईसर, ब्रजराजनगर, बूंदी, बक्सर, ब्यासनगर, बर्नीहाट, चंद्रपुर, चेन्नई, छाल, चित्तूर, चुरू, कटक, दमोह, दिल्ली, देवास, धनबाद, धारवाड़, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गया, गुम्मिडिपूंडी, गुरूग्राम, ग्वालियर, हाजीपुर, हल्दिया, हनुमानगढ़, हापुड, होसुर, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जालंधर, जलगांव, जालौर, झालावाड़, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, जोरापोखर, कडपा, कल्याण, कांचीपुरम, कन्नूर, करूर, कटनी, खन्ना, कोहिमा, कोलकाता, कोटा, कुंजेमुरा, लखनऊ, लुधियाना, महाड, मालेगांव, मंडीदीप, मेरठ, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुजफ्फरनगर, नगांव, नागौर, नागपुर, नाहरलगुन, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, पाली, पंचगांव, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, प्रतापगढ़, पुदुचेरी, पुणे, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, राजसमंद, रतलाम, राउरकेला, रूपनगर, सागर, सासाराम, सवाई माधोपुर, सीकर, सिंगरौली, सिरोही, सूरत, ठाणे, तिरुचिरापल्ली, टोंक, उदयपुर, उल्हासनगर, वापी, वातवा, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, विशाखापत्तनम, वृंदावन आदि 138 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।