भारत के 93 हवाई अड्डे 100 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा पर कार्य कर रहे हैं और चार हवाई अड्डे कार्बन-न्यूट्रल बन चुके हैं।
सरकार हरित विमानन, सतत खनन और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देकर प्रदूषण कम करने की दिशा में काम कर रही है।
जल जीवन मिशन के तहत फ्लोराइड और यूरेनियम प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है।
सौर ऊर्जा को मजबूत बनाने के लिए बैटरी भंडारण लागत घटाई जा रही है और घरेलू बैटरी निर्माण को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
कचरे से ऊर्जा उत्पादन, बायोगैस और स्वच्छ भारत मिशन से पर्यावरण संरक्षण और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिल रहा है।
आज, 15 दिसंबर, 2025 को राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों जैसे विमानन, खनन, जल संसाधन, ऊर्जा और कचरा प्रबंधन में हरित और सतत नीतियां को लेकर उठाए गए सवालों का विभिन्न मंत्रालयों के मंत्रियों के द्वारा जवाब दिया गया।
विमानन क्षेत्र में पर्यावरणीय स्थिरता
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान आज, सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में, नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए कहा कि भारत का विमानन क्षेत्र अब पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कार्य कर रहा है। मंत्रालय दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद हवाई अड्डों ने कार्बन-न्यूट्रल दर्जा हासिल कर लिया है।
ये हवाई अड्डे सौर ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करते हैं। देश के कुल 93 हवाई अड्डे अब 100 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा पर काम कर रहे हैं। घरेलू उड़ानों में अभी सतत विमानन ईंधन (एसएएफ) की नीति लागू नहीं है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन किया जा रहा है। सभी हवाई अड्डों को नेट-जीरो उत्सर्जन की दिशा में काम करने की सलाह दी गई है।
ग्रीन विमानन पहल
सदन में पूछे गए एक और प्रश्न के उत्तर में आज, नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने राज्यसभा में कहा कि ग्रीन विमानन का उद्देश्य हवाई यात्रा को स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल बनाना है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने हवाई अड्डों पर ग्रीन ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दिया है।
सरकार ने 2027 से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में सतत विमानन ईंधन के मिश्रण के लक्ष्य तय किए हैं। उत्तर प्रदेश के कई हवाई अड्डों पर सौर ऊर्जा संयंत्र और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं। इन पहलों से प्रदूषण में कमी आती है और स्वच्छ तकनीक को बढ़ावा मिलता है। यह भारत की हरित विकास नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
हरित खनन और सतत अभ्यास
खनन और सतत अभ्यास को लेकर सदन में उठे एक सवाल के जवाब में आज, कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा में बताया कि खनन से पर्यावरण को नुकसान होता है, इसलिए सरकार हरित खनन को बढ़ावा दे रही है। खान मंत्रालय ने राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 के तहत सतत खनन पर जोर दिया है।
खदानों को स्टार रेटिंग प्रणाली के तहत आंका जाता है, जिसमें स्वच्छ तकनीक, कचरा प्रबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग शामिल है। कई खदानों की रेटिंग में सुधार हुआ है। खदान बंद करने से पहले भूमि पुनर्वास और पर्यावरण संरक्षण जरूरी है। बेहतर प्रदर्शन करने वाली खदानों को उच्च रेटिंग दी जाती है।
भूजल में फ्लोराइड की बढ़ती मात्रा
सदन में उठाए गए के प्रश्न के उत्तर में आज, जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री, वी. सोमन्ना ने राज्यसभा में कहा कि ओडिशा के कुछ क्षेत्रों में भूजल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाई गई है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं। जल शक्ति मंत्रालय इस समस्या से निपटने के लिए जल जीवन मिशन चला रहा है।
इसके तहत हर घर को सुरक्षित नल जल उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। फ्लोराइड-प्रभावित गांवों को प्राथमिकता दी जाती है। सामुदायिक जल शोधन संयंत्र लगाए गए हैं और पानी की गुणवत्ता की नियमित जांच की जाती है। जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को स्वच्छ पानी के महत्व के बारे में बताया जाता है।
भूजल में यूरेनियम की समस्या
पंजाब में भूजल के प्रदूषण को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में आज, जल शक्ति मंत्रालय में जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने राज्यसभा में बताया कि पंजाब और कुछ अन्य राज्यों में भूजल में यूरेनियम की मात्रा सुरक्षित सीमा से अधिक पाई गई है। जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय भूजल बोर्ड नियमित रूप से जल गुणवत्ता की निगरानी करता है।
ये नमूने उन क्षेत्रों से लिए जाते हैं जो पहले से संवेदनशील माने जाते हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि पूरा भूजल प्रदूषित है, बल्कि जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करना इसका उद्देश्य है। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और दिल्ली में भी निगरानी की जाती है।
सौर ऊर्जा और बैटरी भंडारण
सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, विद्युत मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए कहा कि सौर ऊर्जा को प्रभावी बनाने के लिए बैटरी ऊर्जा भंडारण बहुत जरूरी है। विद्युत मंत्रालय के अनुसार बैटरी भंडारण की लागत में हाल के वर्षों में कमी आई है।
सरकार वित्तीय सहायता, अनुदान और ट्रांसमिशन शुल्क में छूट जैसी योजनाएं चला रही है। उत्पादन-संयुक्त प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत देश में उन्नत बैटरी निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे आयात पर निर्भरता कम होगी और स्वच्छ ऊर्जा को मजबूती मिलेगी।
ताप विद्युत संयंत्रों में प्रदूषण नियंत्रण
थर्मल पावर के प्रदूषण को लेकर सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, विद्युत मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने राज्यसभा में बताया कि ताप विद्युत संयंत्र वायु प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत हैं। विद्युत मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय ने इनके लिए उत्सर्जन मानक तय किए हैं।
संयंत्रों को उनके स्थान और प्रदूषण स्तर के आधार पर श्रेणियों में बांटा गया है। कुछ संयंत्रों को विशेष शर्तों पर प्रदूषण नियंत्रण उपकरण लगाने से छूट दी गई है। यह निर्णय वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर लिया गया है। जिसका उद्देश्य प्रदूषण को नियंत्रित करते हुए संसाधनों का संरक्षण करना है।
कचरे से ऊर्जा परियोजनाएं
सदन में पूछे गे एक प्रश्न के उत्तर में आज, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री, तोखन साहू ने राज्यसभा में कहा कि कचरे का सही प्रबंधन पर्यावरण के लिए बहुत जरूरी है। आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के अंतर्गत स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 चलाया जा रहा है।
ओडिशा को कचरा प्रबंधन, खाद संयंत्र और बायोगैस परियोजनाओं के लिए धनराशि दी गई है। गोबरधन योजना के तहत जैविक कचरे से बायोगैस बनाई जा रही है। इससे लैंडफिल कचरा कम होता है, ऊर्जा उत्पादन होता है और रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।
सरकार ने संसद में कहा कि इन सभी प्रयासों से स्पष्ट है कि सरकार विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता दे रही है। हरित ऊर्जा, स्वच्छ जल, प्रदूषण नियंत्रण और कचरा प्रबंधन जैसे कदम भारत को सतत विकास की दिशा में आगे ले जा रहे हैं।