हापुड़ में वायु गुणवत्ता सूचकांक 389 पर पहुंचने के साथ ही यह देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। दिल्ली-एनसीआर में भी स्थिति 'बेहद खराब' है।
हापुड़ में प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 2,400 फीसदी अधिक है। वहीं, मंगलौर की हवा सबसे साफ है, जहां एक्यूआई 23 दर्ज किया गया।
राजधानी दिल्ली (353) की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ बनी हुई है, जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से 2,200 फीसदी अधिक है
फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 220 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में नोएडा (373) दूसरे जबकि ग्रेटर नोएडा (364) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 356 अंकों के साथ मानेसर चौथे स्थान पर है।
दिल्ली-गाजियाबाद में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 353 और 349 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
अंगुल (340) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में कटक (332), सिंगरौली (330) और रोहतक (326) भी शामिल हैं।
आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के चार शहर (हापुड़, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद) शामिल हैं।
विश्लेषण से पता चला है कि 25 नवंबर 2025 को देश में हापुड़ की हवा सबसे ज्यादा खराब रही, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 389 पर पहुंच गया। गौरतलब है कि 24 नवंबर को हापुड़ में एक्यूआई 416 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 27 अंकों का सुधार आया है।
इसके बावजूद हापुड़ में अभी भी स्थिति ‘बेहद खराब’ बनी हुई है। रुझानों में सामने आया है कि हापुड़ की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
हापुड़ से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,400 फीसदी अधिक है।
दूसरी तरफ देश में मंगलौर की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 23 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर हापुड़ की तुलना मंगलौर से करें तो वहां स्थिति 16 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली (353) की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ बनी हुई है, जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से 2,200 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि 11 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित शहर दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 428 तक पहुंच गया था।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 24 नवंबर, 2025 को 240 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 8.8 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं करीब 19.2 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 72 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 34 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।
वहीं संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में कल से कोई बदलाव नहीं हुआ है और स्थिति जस की तस बनी हुई है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो इन शहरों में कल से नौ फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है।
खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में करीब 16.2 फीसदी की गिरावट आई है। इसी तरह देश में बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में भी करीब 47 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जोकि राहत की खबर है। फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 220 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में नोएडा (373) दूसरे जबकि ग्रेटर नोएडा (364) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 356 अंकों के साथ मानेसर चौथे स्थान पर है। दिल्ली-गाजियाबाद में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 353 और 349 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
अंगुल (340) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में कटक (332), सिंगरौली (330) और रोहतक (326) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के चार शहर (हापुड़, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि हापुड़, नोएडा, मानेसर, दिल्ली, अंगुल, कटक, सिंगरौली, रोहतक, भुवनेश्वर, चरखी दादरी, धारूहेड़ा, ब्यासनगर, मुजफ्फरनगर, बालासोर, देवास, भिवाड़ी, बुलंदशहर, खुर्जा, गुरुग्राम, भिवानी, बागपत, हल्दिया, सोनीपत, पीथमपुर, यमुना नगर, जींद, बहादुरगढ़, अंकलेश्वर, बल्लभगढ़, बारबिल, विशाखापत्तनम, बारीपदा, हावड़ा, टोंक, फतेहाबाद, करनाल, तालचेर, कोलकाता, ग्वालियर, पानीपत, डूंगरपुर, बेलापुर, फरीदाबाद, बैरकपुर, नागपुर, आसनसोल, पाली, अंबाला, बिहार शरीफ, गुम्मिडीपूंडी, मंडीखेड़ा, जालोर, मीरा-भायंदर, नारनौल, कोटा, सीकर, अररिया, मुंगेर, हाजीपुर, राजसमंद, कुरुक्षेत्र, धौलपुर, भिवंडी, मुंबई आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।
वहीं ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, भोपाल, श्री गंगानगर, लखनऊ, चंद्रपुर, आगरा, बीकानेर, अहमदाबाद, प्रयागराज, चुरू, हिसार, सागर, सूरत, भरतपुर, रतलाम, क्योंझर, बद्दी, टेन्सा, पटियाला, बिलीपाड़ा, सासाराम, फिरोजाबाद, कल्याण, पटना, उल्हासनगर, वृंदावन, बदलापुर, पिंपरी-चिंचवाड़, ठाणे, दुर्गापुर, मुरादाबाद, नागौर, गांधीनगर, गया, जबलपुर, जैसलमेर आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत देश के 8.8 फीसदी यानी महज 21 शहरों में हवा साफ है।
इन साफ हवा वाले शहरों में बेगूसराय, चामराजनगर, चिक्कमगलुरु, दावनगेरे, डिंडीगुल, कलबुर्गी, कोप्पल, मदुरै, मंगलौर, नागांव, ऊटी, पलकलाईपेरुर, पंचकुला, पेरुंदुरई, रामनाथपुरम, शिवसागर, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर आदि शामिल हैं।
आज देश के जिन 46 शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें बेंगलुरु, भिलाई, बर्नीहाट, छपरा, कोयंबटूर, कुड्डालोर, देहरादून, धारवाड़, एलूर, गंगटोक, गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, हैदराबाद, जलगांव, जलना, झांसी, कन्नूर, काशीपुर, कोहिमा, कोल्लम, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, महाड, मैहर, मालेगांव, नागपट्टिनम, नयागढ़, पलवल, पुडुचेरी, रायपुर, ऋषिकेश, रूपनगर, सलेम, समस्तीपुर, सतना, सिलचर, सिलीगुड़ी, सोलापुर आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 120 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन शहरों में अगरतला, आगरा, अहमदाबाद, अजमेर, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अंबाला, अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अररिया, आरा, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बद्दी, बदलापुर, बांसवाड़ा, बारां, बरेली, बाड़मेर, बेतिया, भागलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, बिहार शरीफ, बीकानेर, बिलासपुर, बिलीपाड़ा, बोइसर, ब्रजराजनगर, बूंदी, बक्सर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चेन्नई, छाल, चित्तौड़गढ़, चुरू, दौसा, धौलपुर, धुले, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, गुम्मिडीपूंडी, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हिसार, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जालोर, झालावाड़, झुंझुनू, जोधपुर, कैथल, कल्याण, कानपुर, कटिहार, कटनी, क्योंझर, खन्ना, किशनगंज, कोल्हापुर, कोटा, कुरुक्षेत्र, लुधियाना, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीखेड़ा, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नागौर, नांदेड़, नारनौल, नासिक, नवी मुंबई, पंचगांव, परभनी, पटियाला, पटना, पिंपरी-चिंचवाड़, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, पुणे, पूर्णिया, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, राजसमंद, रतलाम, राउरकेला, सागर, सहरसा, सांगली, सासाराम, सवाई माधोपुर, सीकर, सिरोही, सिरसा, सूरत, टेन्सा, ठाणे, तिरुमाला, तुमडीह, उदयपुर, उल्हासनगर, वापी, वाराणसी, विजयवाड़ा, विरार, वृंदावन शामिल हैं।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 31 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में अंकलेश्वर, आसनसोल, बागपत, बहादुरगढ़, बल्लभगढ़, बारबिल, बारीपदा, बैरकपुर, बेलापुर, भिवानी, भोपाल, डूंगरपुर, फरीदाबाद, फतेहाबाद, ग्वालियर, हल्दिया, हावड़ा, जींद, करनाल, कोलकाता, लखनऊ, नागपुर, पाली, पानीपत, पीथमपुर, सोनीपत, श्री गंगानगर, तालचेर, टोंक, विशाखापत्तनम, यमुना नगर शामिल हैं।
इसी तरह आज देश के 22 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में अंगुल, बालासोर, भिवाड़ी, भुवनेश्वर, बुलंदशहर, ब्यासनगर, चरखी दादरी, कटक, दिल्ली, देवास, धारूहेड़ा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, हापुड़, खुर्जा, मानेसर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, नोएडा, रोहतक, सिंगरौली शामिल हैं।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 240 में से महज 21 शहरों में हवा 'बेहतर' है। 46 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 24 नवंबर 2025 को यह आंकड़ा 46 दर्ज किया गया था।
120 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में आज भी हापुड़ (389) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 400 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल हापुड़ में सूचकांक 416 रिकॉर्ड किया गया था। मतलब की आज वहां प्रदूषण के स्तर में 27 अंकों का सुधार आया है। इसके साथ ही हापुड़ में वायु गुणवत्ता सूचकांक 'गंभीर' से 'बेहद खराब' श्रेणी में पहुंच गया है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट दर्ज की गई है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 353 पर पहुंच गया। इसी तरफ फरीदाबाद में भी कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां 12 अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई घटकर 220 पर पहुंच गया।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 25 नवंबर को मानेसर चौथे स्थान पर है, वहीं नोएडा (373) दूसरे, जबकि ग्रेटर नोएडा (364) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 230, गाजियाबाद में 349, गुवाहाटी में 91, गुरूग्राम में 303, नोएडा में 373, ग्रेटर नोएडा में 364 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 168 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 219, चेन्नई में 103, चंडीगढ़ में 140, हैदराबाद में 91, जयपुर में 166 और पटना में 143 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 21 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अरियालुर, बेगूसराय, चामराजनगर, चिक्कमगलुरु, दावनगेरे, डिंडीगुल, कलबुर्गी, कोप्पल, मदुरै, मंगलौर, नागांव, ऊटी, पलकलाईपेरुर, पंचकुला, पेरुंदुरई, रामनाथपुरम, शिवसागर, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, विजयपुरा शामिल हैं।
वहीं अहमदनगर, अकोला, बागलकोट, बेंगलुरु, भिलाई, बर्नीहाट, छपरा, कोयंबटूर, कुड्डालोर, देहरादून, धारवाड़, एलूर, गंगटोक, गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, हैदराबाद, जलगांव, जलना, झांसी, कन्नूर, काशीपुर, कोहिमा, कोल्लम, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, महाड, मैहर, मालेगांव, नागपट्टिनम, नयागढ़, पलवल, पुडुचेरी, रायपुर, ऋषिकेश, रूपनगर, सलेम, समस्तीपुर, सतना, सिलचर, सिलीगुड़ी, सोलापुर, तिरुपुर, यादगीर आदि 46 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
कल देश में वायु गुणवत्ता की स्थिति कैसी थी इसकी जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर के पिछले अंक से प्राप्त कर सकते हैं:
प्रदूषण में दिल्ली से आगे निकला यूपी, हापुड़ का एक्यूआई 416 पहुंचा