गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 404 तक पहुंच गया है, जिससे यह देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। यहां की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम10) हावी हैं, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं।
दिल्ली में भी स्थिति चिंताजनक है, जहां एक्यूआई 388 दर्ज किया गया है।
दूसरी तरफ देश में दमोह की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 18 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर गाजियाबाद की तुलना दमोह से करें तो वहां स्थिति 21 गुणा खराब है।
30 दिसंबर, 2025 को 236 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 1.7 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 26.3 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 72 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है।
फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 243 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में नोएडा (400) दूसरे जबकि पंचकुला (399) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 388 अंकों के साथ बालासोर-दिल्ली चौथे स्थान पर है।
ग्रेटर नोएडा-अंगुल में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 366 और 346 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
मेरठ (344) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में बारीपाड़ा (330), भिवाड़ी (316), बद्दी (315) भी शामिल हैं।
आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में ओडिशा के तीन शहर (बालासोर, अंगुल, बारीपाड़ा) और उत्तर प्रदेश के चार शहर (गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मेरठ) शामिल हैं।
विश्लेषण से पता चला है कि 30 दिसंबर 2025 को देश में गाजियाबाद की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित रही, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 404 रिकॉर्ड किया गया। कल गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 393 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण के स्तर में 11 अंकों का उछाल आया है।
इसके साथ ही वहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' से ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई है। रुझानों में सामने आया है कि गाजियाबाद की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम10) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
गाजियाबाद से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 700 फीसदी अधिक है।
दूसरी तरफ देश में दमोह की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 18 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर गाजियाबाद की तुलना दमोह से करें तो वहां स्थिति 21 गुणा खराब है।
कल देश में नोएडा की हवा सबसे खराब थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 410 दर्ज किया गया था। आज 10 अंकों के सुधार के साथ नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 पर पहुंच गया है। मतलब कि वहां आज वायु गुणवत्ता गंभीर से बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई है।
राजधानी दिल्ली से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो कल से प्रदूषण में 13 अंकों की गिरावट आई है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता गंभीर से 'बेहद खराब' श्रेणी में पहुंच गई है। बता दें कि कल दिल्ली में एक्यूआई 401 दर्ज किया गया था, जो आज घटकर 388 पर पहुंच गया। गौरतलब है कि इससे पहले 14 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 461 तक पहुंच गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 30 दिसंबर, 2025 को 236 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 1.7 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं 26.3 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 72 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है।
बता दें कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 43 फीसदी की गिरावट आई है। इसी तरफ संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में करीब दो फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो इनकी संख्या में 2.5 फीसदी की गिरावट आई है।
दूसरी तरफ खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में कल से करीब 41 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो उनकी गिनती में कल से 17 फीसदी का इजाफा रिकॉर्ड किया गया, जोकि चिंता का विषय है।
फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 243 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में नोएडा (400) दूसरे जबकि पंचकुला (399) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 388 अंकों के साथ बालासोर-दिल्ली चौथे स्थान पर है। ग्रेटर नोएडा-अंगुल में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 366 और 346 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
मेरठ (344) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में बारीपाड़ा (330), भिवाड़ी (316), बद्दी (315) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में ओडिशा के तीन शहर (बालासोर, अंगुल, बारीपाड़ा) और उत्तर प्रदेश के चार शहर (गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मेरठ) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि नोएडा, पंचकुला, बालासोर, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, अंगुल, बारीपाड़ा, भिवाड़ी, बद्दी, गुम्मिडीपूंडी, कोल्लम, कटक, ब्यासनगर, गुरुग्राम, तालचेर, भुवनेश्वर, हापुड़, धारूहेड़ा, मुजफ्फरनगर, बल्लभगढ़, चंडीगढ़, राजमहेंद्रवरम, तिरुमाला, विशाखापत्तनम, पानीपत, हल्दिया, हाजीपुर, बुलंदशहर, कुरुक्षेत्र, देहरादून, करनाल, पुणे, फरीदाबाद, टोंक, बागपत, यमुना नगर, पिंपरी-चिंचवाड़, बूंदी, खुर्जा, कोयंबटूर, सिरसा, सोनीपत, अमरावती (आंध्रप्रदेश), कोटा, मंडी गोबिंदगढ़, नागांव, भीलवाड़ा, मंडीदीप, मानेसर, बैरकपुर, लखनऊ, भोपाल, ग्वालियर, प्रयागराज, कटनी, बारबिल, चुरू, सीकर, चेन्नई, काशीपुर, पूर्णिया, अंकलेश्वर, अररिया, मुरादाबाद, पुडुचेरी, पाली, कोलकाता, पीथमपुर, जालोर, कोल्हापुर, उल्हासनगर, झालावाड़, जालंधर, धुले, कुड्डालोर, वापी, एलूर, करूर, भिवंडी, चित्तौड़गढ़, रोहतक, भिवानी, रायरंगपुर, मुजफ्फरपुर, दौसा, पटियाला, मुंबई, अंबाला, जींद, बर्नीहाट आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।
वहीं गाजियाबाद, मेरठ, कानपुर, बीकानेर, फतेहाबाद, हावड़ा, जयपुर, जोधपुर, श्री गंगानगर, बेगूसराय, कल्याण, अहमदाबाद, हनुमानगढ़, नागौर, धनबाद, झुंझुनू, नवी मुंबई, राउरकेला, ठाणे, बाड़मेर, बिलाईपाड़ा, रूपनगर, आगरा, गांधीनगर, मालेगांव, तिरुवनंतपुरम, ब्रजराजनगर, नागपुर, मीरा-भायंदर, छपरा, अजमेर, बदलापुर, नासिक, औरंगाबाद (बिहार), चंद्रपुर, वाराणसी, इंदौर, क्योंझर, उदयपुर, अलवर, जैसलमेर, अहमदनगर, सोलापुर, बेलापुर, रतलाम, सांगली, सागर, तुमकुरु, बेंगलुरु, बारां, सासाराम, तुमडीह, लुधियाना, समस्तीपुर, खन्ना, बरेली, किशनगंज, दुर्गापुर, पलवल, अमरावती (महाराष्ट्र), पटना आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है।
इन शहरों के विपरीत देश के 1.7 फीसदी यानी महज चार शहरों में हवा साफ है। इन साफ हवा वाले शहरों में अगरतला, चामराजनगर, दमोह, शिवसागर आदि शामिल हैं।
आज देश के जिन 62 शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें बठिंडा, बेलगाम, भागलपुर, भिलाई, बिलासपुर, बक्सर, छाल, चिक्कमगलुरु, चित्तूर, देवास, धौलपुर, फिरोजाबाद, गया, गोरखपुर, गुवाहाटी, हिसार, हुबली, हैदराबाद, जबलपुर, जलना, झांसी, कलबुर्गी, कन्नूर, करौली, कटिहार, कोहिमा, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, मंगुराहा, मिलुपारा, मोतिहारी, मुंगेर, मैसूर, नलबाड़ी, पंपोर, पंचगांव, पेरुंदुरई, रायपुर, राजगीर, ऋषिकेश, सहरसा, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, सिवान, श्रीनगर, टेन्सा, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 117 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अलवर, अंबाला, अमरावती (महाराष्ट्र), अनंतपुर, अंकलेश्वर, अररिया, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), बदलापुर, बांसवाड़ा, बारां, बारबिल, बरेली, बाड़मेर, बेगूसराय, बेलापुर, बेंगलुरु, भरतपुर, भिवंडी, भिवानी, भोपाल, बीकानेर, बिलाईपाड़ा, बोइसर, ब्रजराजनगर, बर्नीहाट, चंद्रपुर, चेन्नई, छपरा, चित्तौड़गढ़, चुरू, कुड्डालोर, दौसा, धनबाद, धुले, डूंगरपुर, दुर्गापुर, एलूर, फतेहाबाद, गांधीनगर, ग्वालियर, हनुमानगढ़, हावड़ा, इंदौर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जालोर, झालावाड़, झुंझुनू, जींद, जोधपुर, कल्याण, कानपुर, करूर, काशीपुर, कटनी, क्योंझर, खन्ना, किशनगंज, कोल्हापुर, कोलकाता, लुधियाना, महाड, मालेगांव, मंडीखेड़ा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरपुर, नागौर, नागपुर, नाहरलागुन, नांदेड़, नारनौल, नासिक, नवी मुंबई, पाली, पलवल, परभनी, पटियाला, पटना, पीथमपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुडुचेरी, पूर्णिया, रायरंगपुर, राजसमंद, रतलाम, रोहतक, राउरकेला, रूपनगर, सागर, समस्तीपुर, सांगली, सासाराम, सवाई माधोपुर, सीकर, सोलापुर, श्री गंगानगर, सुआकाती, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, तुमकुरु, तुमडीह, उदयपुर, उल्हासनगर, वापी, वाराणसी, यादगीर शामिल हैं।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 38 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में अमरावती (आंध्रप्रदेश), बागपत, बल्लभगढ़, बैरकपुर, भीलवाड़ा, भुवनेश्वर, बुलंदशहर, बूंदी, चंडीगढ़, कोयंबटूर, देहरादून, धारूहेड़ा, फरीदाबाद, गुरुग्राम, हाजीपुर, हल्दिया, हापुड़, करनाल, खुर्जा, कोटा, कुरुक्षेत्र, लखनऊ, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीदीप, मानेसर, मुजफ्फरनगर, नागांव, पानीपत, पिंपरी-चिंचवाड़, पुणे, राजमहेंद्रवरम, सिरसा, सोनीपत, तालचेर, तिरुमाला, टोंक, विशाखापत्तनम, यमुना नगर शामिल हैं।
इसी तरह आज देश के 14 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में अंगुल, बद्दी, बालासोर, बारीपाड़ा, भिवाड़ी, ब्यासनगर, कटक, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडीपूंडी, कोल्लम, मेरठ, नोएडा, पंचकुला शामिल हैं।
देश में आज गाजियाबाद (404) में स्थिति गंभीर बनी हुई है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 236 में से महज चार शहरों में हवा 'बेहतर' है। 62 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 29 दिसंबर 2025 को यह आंकड़ा 63 दर्ज किया गया था।
117 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में आज गाजियाबाद (404) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 410 के करीब पहुंच गया। इसके साथ ही आज गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ से 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गई है।
गौरतलब है कि कल देश में नोएडा की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी। जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 410 तक पहुंच गया था। हालांकि आज 10 अंकों के सुधार के साथ नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 400 पर पहुंच गया। नोएडा में आज स्थिति गंभीर से बेहद खराब हो गई है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। दिल्ली में 13 अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई घटकर 388 पर पहुंच गया। मतलब की वायु गुणवत्ता एक बार फिर गंभीर से बेहद खराब हो गई है। इसी तरह फरीदाबाद में भी कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। आज फरीदाबाद में एक्यूआई 243 रिकॉर्ड किया गया। मतलब की फरीदाबाद में आज भी वायु गुणवत्ता ‘खराब’ बनी हुई है।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 30 दिसंबर को बालासोर चौथे स्थान पर है, वहीं नोएडा (400) दूसरे, जबकि पंचकुला (399) तीसरे स्थान पर है। अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 198, गाजियाबाद में 404, गुवाहाटी में 51, गुरूग्राम में 294, नोएडा में 400, ग्रेटर नोएडा में 366 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 136 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 202, चेन्नई में 186, चंडीगढ़ में 277, हैदराबाद में 99, जयपुर में 172 और पटना में 102 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन चार शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, चामराजनगर, दमोह, शिवसागर शामिल हैं।
वहीं अकोला, अमृतसर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बगलकोट, बठिंडा, बेलगाम, भागलपुर, भिलाई, बिलासपुर, बक्सर, छाल, चिक्कमगलुरु, चित्तूर, देवास, धौलपुर, फिरोजाबाद, गया, गोरखपुर, गुवाहाटी, हिसार, हुबली, हैदराबाद, जबलपुर, जलना, झांसी, कलबुर्गी, कन्नूर, करौली, कटिहार, कोहिमा, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, मंगुराहा, मिलुपारा, मोतिहारी, मुंगेर, मैसूर, नलबाड़ी, पंपोर, पंचगांव, पेरुंदुरई, रायपुर, राजगीर, ऋषिकेश, सहरसा, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, सिवान, श्रीनगर, टेन्सा, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, विजयवाड़ा, वृंदावन आदि 62 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
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प्रदूषित शहरों में टॉप पर नोएडा, दिल्ली में बढ़कर 400 के पार पहुंचा एक्यूआई