वैश्विक स्तर पर भी इलेक्ट्रिक कारों की मांग में बम्पर उछाल आया है, जिसके बाद 2024 में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री बढ़कर 1.7 करोड़ पर पहुंच सकती है; फोटो: आईस्टॉक 
वायु

बिजली से चलने वाले वाहन: अतीत से भविष्य तक

Mrinal Tripathi

आज दुनिया भर की सरकारें ईवी यानी इलेक्ट्रिक व्हीकल यानी बिजली से चलने वाले वाहनों की बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए कई तरह के नियम लागू कर रही हैं। बल्कि अमेरिका के राज्य कैलिफोर्निया में गाड़ी बनाने वाली कम्पनियों को हर साल एक तय न्यूनतम संख्या में ईवी बनाने का आदेश दिया गया है। इस आदेश के तहत 2035 तक 100% ईवी उत्पादन एवं बिक्री करनी पड़ेगी। 

भारत में भी केंद्रीय सरकार ने 2013 में नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लॉन 2020 की शुरुआत की थी।

इस प्लॉन में सरकार ने ईवी को सब्सिडी देना तय किया था। जिस प्रकार यूरिया सब्सिडी ने भारत की क्रांति में अहम भूमिका निभाई थी, उसी प्रकार सरकार की मंशा थी कि ईवी पर सब्सिडी दे कर इसका प्रयोग बढ़ाया जाए। 

देखा जाए तो ईवी के कई पर्यावरण संबंधी फायदे हैं। इससे वायु प्रदूषण नहीं होता है। न ही इससे कॉर्बन डाइऑक्साईड का उत्सर्जन होता है। परंतु इसकी बैटरी में इस्तेमाल होने वाले महत्त्वपूर्ण पदार्थ जैसे कि लीथियम, कोबाल्ट, निकल, इत्यादि महँगे होते हैं। इसलिए ईवी को किफायती बनाने के लिए सब्सिडी आवश्यक थी।

2015 में लागू होने वाले इस वित्तीय फायदे ने काम तो किया पर केवल दुपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए। अब समय है कि सरकार, जो इस सब्सिडी का तीसरा चरण लाने जा रही है (फेम 3), उसमें वह चौपहिया गाड़ियों और ट्रकों को भी शामिल करे क्योंकि वायु प्रदूषण और ग्लोबल वॉर्मिंग में उनका बड़ा योगदान है।

हालांकि शुरु में ईवी की परफॉर्मेंस आम गाड़ियों की तुलना में कम थी। परंतु जैसे जैसे दुनिया भर में ईवी का उत्पादन बढ़ा, वैसे वैसे इस क्षेत्र में अनुसंधान भी बढ़ा और आज एक चौपहिया ईवी 250-300 किमी का रेंज देती है। ईवी का दाम भी कम हुआ है। इस हफ्ते लॉन्च हुई और टाटा मोटर्स द्वारा उत्पादित Curvv.ev का दाम अपने श्रेणी की एक आम गाड़ी जितना ही है। 

दुनिया भर में ईवी प्रयोग यानि वाहनों का विद्युतिकरण आवश्यक है। और भारत ने इस क्षेत्र में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया है। अब तक का हमारा प्रदर्शन शोभनीय है। जिस प्रकार भारत की सरकार और निजी कम्पनियों ने मिलजुल कर ग्लोबल वॉर्मिंग की रोकथाम में अपना योगदान दिया है वह प्रशंसनीय है। साल 2023 में भारत में 90,000 से भी ज़्यादा ईवी की बिक्री हुई। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि भारत को 100% वाहन विद्युतीकरण में ज्यादा समय नहीं लगेगा और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का 2030 तक 30% वाहन विद्युतीकरण का सपना दूर नहीं है। 

नितिन गडकरी ने 2021 में अपने एक बयान में कहा था कि सरकार का इरादा 2030 तक प्राइवेट कारों में ईवी की बिक्री हिस्सेदारी 30%, कमर्शियल वाहनों में 70% और दुपहिया और तिपहिया वाहनों में 80% करने का है क्योंकि ट्रांसपोर्ट सेक्टर में कार्बन उत्सर्जन करने की तत्काल जरूरत है।