देश में साफ हवा घटकर 47.3 फीसदी शहरों तक सीमित, कल की तुलना में 13 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
ग्रेटर नोएडा सबसे प्रदूषित, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 227 पर पहुंचा, मानकों से 400 फीसदी अधिक प्रदूषण।
शिलांग सबसे साफ शहर – एक्यूआई महज 10, ग्रेटर नोएडा से 21 गुणा बेहतर।
दिल्ली की हवा बिगड़ी – एक्यूआई बढ़कर 138, 'संतोषजनक' से ‘मध्यम’ श्रेणी में पहुंची वायु गुणवत्ता।
नारनौल, भिवाड़ी, करनाल, नोएडा और गुरुग्राम भी सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल।
पीएम10 और पीएम2.5 मुख्य प्रदूषक।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 04 अक्टूबर 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के जहां 47.3 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं 40.1 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 12 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज हवा साफ है। चिंता की बात यह है कि देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में कल से 13 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज प्रदूषण के मामले में ग्रेटर नोएडा की स्थिति सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 227 दर्ज किया गया। मतलब की वहां वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में है। इस दौरान वहां की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम10) हावी रहे। रुझानों के मुताबिक वहां फिजाओं में घुला जहर इतना है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी सुरक्षित सीमा से 400 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि कल ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता का स्तर 104 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 127 अंकों का भारी उछाल आया है।
कल देश में किशनगंज की हवा सबसे खराब थी। जब वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 184 तक पहुंच गया था। हालांकि आज सरकारी आंकड़ों से किशनगंज नदारद है।
दूसरी तरफ आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 10 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर ग्रेटर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 21 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 138 पर पहुंच गया। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता संतोषजनक से मध्यम श्रेणी में पहुंच गई है। वहीं फरीदाबाद की बात करें तो वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 108 रिकॉर्ड किया गया। कल से वहां स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
आंकड़ों से पता चला है कि आज प्रदूषण के मामले में नारनौल (200) दूसरे जबकि भिवाड़ी (180) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 162 अंकों के साथ करनाल चौथे स्थान पर है। नोएडा-गुरूग्राम में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 158 और 153 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं। देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज मुजफ्फरनगर (152) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज गाजियाबाद (150), बुलन्दशहर (139) और गोरखपुर (139) भी शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि आज जहां नारनौल, भिवाड़ी, गुरूग्राम, गाजियाबाद, मंडी गोबिंदगढ़, मानेसर, गुम्मिडिपूंडी, हनुमानगढ़, बर्नीहाट, फरीदाबाद, आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी है। वहीं ग्रेटर नोएडा, करनाल, नोएडा, बुलन्दशहर, बद्दी, विशाखापत्तनम, बहादुरगढ़, पलवल, अमृतसर, आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
इन शहरों के विपरीत आज देश के करीब 47.3 फीसदी यानी 106 शहरों में हवा साफ है।
इन साफ हवा वाले शहरों में कल्याण, कानपुर, करौली, कारवार, काशीपुर, कटनी, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कोरबा, कुंजेमुरा, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, मुंबई, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागपट्टिनम, नागपुर, नाहरलगुन, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, परभनी, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर आदि शामिल हैं।
चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 13 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। इसी तरह आज देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में भी गिरावट आई है। इन शहरों की संख्या एक फीसदी से ज्यादा की गिरावट के साथ घटकर 90 पर पहुंच गई है।
आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें कटिहार, क्योंझर, खन्ना, खुर्जा, कोहिमा, कोटा, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, मालेगांव, मंडीदीप, मुरादाबाद, नगांव, नागौर, नलबाड़ी, नमक्कल, पाली, पंचगांव, पानीपत, पटियाला, पीथमपुर, पुणे, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, रतलाम, रोहतक, राउरकेला, सतना, सवाई माधोपुर, सिलचर, सिरसा, श्री गंगानगर, तिरुवनंतपुरम आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 26 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में अमृतसर, बद्दी, बहादुरगढ़, भिवाड़ी, बुलन्दशहर, बर्नीहाट, दिल्ली, डिंडीगुल, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गोरखपुर, गुम्मिडिपूंडी, गुरूग्राम, हनुमानगढ़, जयपुर, जोधपुर, करनाल, मंडी गोबिंदगढ़, मांडीखेड़ा, मानेसर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, नारनौल, नोएडा, पलवल, विशाखापत्तनम, शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 271 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है, जोकि चिंता का विषय है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 224 में से 106 (-13.1 फीसदी) शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 90 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 03 अक्टूबर 2025 को यह आंकड़ा 91 दर्ज किया गया था।
26 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में ग्रेटर नोएडा (227) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 230 के करीब पहुंच गया। कल किशनगंज में वायु गुणवत्ता सूचकांक 184 रिकॉर्ड किया गया था।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। दिल्ली में 50 अंकों के इजाफे के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 138 पर पहुंच गया है। इसके साथ ही वायु गुणवत्ता संतोषजनक से मध्यम श्रेणी में पहुंच गई है। वहीं फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता का स्तर 108 पर बना हुआ है।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज करनाल चौथे स्थान पर है, वहीं नारनौल (200) दूसरे, जबकि भिवाड़ी (180) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 52, गाजियाबाद में 150, गुवाहाटी में 43, गुरूग्राम में 153, नोएडा में 158, ग्रेटर नोएडा में 227 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 49 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘बेहतर‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 63, चेन्नई में 61, चंडीगढ़ में 71, हैदराबाद में 63, जयपुर में 113 और पटना में 47 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 106 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, अकोला, अंगुल, अररिया, आसनसोल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बागलकोट, बालासोर, बारबिल, बैरकपुर, बेलापुर, बेंगलुरु, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवानी, भुवनेश्वर, बिलासपुर, बोईसर, ब्रजराजनगर, बूंदी, चामराजनगर, चिक्कामगलुरु, चित्तौड़गढ़, कुड्डालोर, दमोह, दावनगेरे, धौलपुर, डूंगरपुर, फिरोजाबाद, गंगटोक, गया, गुवाहाटी, हाजीपुर, हल्दिया, होसुर, हावड़ा, हुबली, इंदौर, जबलपुर, जलगांव, जालौर, झांसी, जींद, कलबुर्गी, कल्याण, कानपुर, करौली, कारवार, काशीपुर, कटनी, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कोरबा, कुंजेमुरा, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, मुंबई, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागपट्टिनम, नागपुर, नाहरलगुन, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, परभनी, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, राजसमंद, रामनाथपुरम, रानीपेट, ऋषिकेश, रूपनगर, सागर, सलेम, समस्तीपुर, सांगली, शिलांग, शिवमोगा, सीकर, सिलीगुड़ी, सिंगरौली, सिरोही, शिवसागर, सोलापुर, सूरत, ठाणे, तंजावुर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, तिरुपुर, वाराणसी, विजयपुरा, यादगीर शामिल हैं।
वहीं आगरा, अहमदाबाद, अजमेर, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), बदलापुर, बांसवाड़ा, बारां, बारीपदा, बाड़मेर, बठिंडा, बेगूसराय, भरतपुर, भिवंडी, भोपाल, बिहारशरीफ, बीकानेर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चरखी दादरी, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चित्तूर, चुरू, कोयंबटूर, कटक, दौसा, देवास, धनबाद, धारवाड़, धुले, दुर्गापुर, एलूर, गांधीनगर, ग्वालियर, हापुड, हैदराबाद, जैसलमेर, जालंधर, जलना, झालावाड़, झुंझुनूं, कांचीपुरम, कन्नूर, कटिहार, क्योंझर, खन्ना, खुर्जा, कोहिमा, कोटा, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, मालेगांव, मंडीदीप, मुरादाबाद, नगांव, नागौर, नलबाड़ी, नमक्कल, पाली, पंचगांव, पानीपत, पटियाला, पीथमपुर, पुणे, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, रतलाम, रोहतक, राउरकेला, सतना, सवाई माधोपुर, सिलचर, सिरसा, श्री गंगानगर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरुपति, टोंक, तुमिडीह, उल्हासनगर, वापी, वातवा, विजयवाड़ा, विरार, वृंदावन आदि 90 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।